जिहादियों को सुधारने के लिए फाइव स्टार सुविधाएं
२९ नवम्बर २०१७सऊदी अरब की राजधानी रियाद में हिंसक जिहादियों के लिए एक रिहैब यानि पुर्नवास केंद्र बनाया गया है. मोहम्मद बिन नायेफ काउंसलिंग एंड केयर सेंटर में घरेलू स्तर पर पैदा जिहादियों को रखा जा रहा है ताकि उन्हें फिर से सही रास्ते पर लाया जा सके. लेकिन सऊदी सरकार की यह पहल विवादों में भी है.
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को अकसर ड्रोन हमलों और उत्पीड़न से जोड़ कर देखा जाता है, लेकिन सऊदी अरब के इस रिहैब सेंटर के पीछे यह सोच है कि चरमपंथियों के साथ बुरा बर्ताव नहीं होना चाहिए बल्कि उन्हें भी वैचारिक देखभाल की जरूरत है.
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जिहादी हिंसा का रास्ता अपनाने वाले लोगों को यहां धर्म गुरुओं और मनोविज्ञानियों की देखरेख में रखा जाता है. इसका मकसद चरमपंथी गतिविधियों के कारण जेल की सजा काट चुके लोगों को फिर से जिहाद के रास्ते पर जाने से रोकना है. इसके लिए उनकी काउंसलिंग होती है और वैचारिक रूप से उनके दिमाग को साफ किया जाता है.
सेंटर के डायरेक्टर याहया अबु मागयेद कहते हैं, "हमारा फोकस विचारों को ठीक करने पर है. उनकी गलतफहमियों को दूर करना और इस्लाम से भटकाव को रोकना है." उन्होंने ताड़ के पेड़ों से सजे इस शानदार परिसर की सैर कराते हुए एएफपी के रिपोर्टर से यह बात कही. इस सेंटर में चरमपंथियों को जिन कमरों में रखा गया है, उनमें बड़ी स्क्रीन वाले टेलिविजन और किंग साइज बिस्तर मौजूद हैं. सभी कमरों के आगे शानदार लॉन भी तैयार किया गया है.
अल कायदा और तालिबान जैसे संगठनों के जुड़े लोग यहां सफेद कपड़ों में आजादी से घूमते हैं. यहां न सिर्फ जिम है बल्कि वे बैंक्वेट हॉल में भी जा सकते हैं. अगर पत्नियां उनसे मिलने आती हैं तो उनके लिए पूरी तरह से फर्निश्ड अपार्टमेंट भी बनाये गए हैं. याहया अबु मागयेद कहते हैं, "हम चाहते हैं कि 'लाभार्थी' खुद को एक सामान्य इंसान समझें और यह मानें कि उनके पास अब भी एक मौका है- समाज में लौटने का." वह कहते हैं कि सेंटर में रहने वाले लोगों को यहां कैदी नहीं कहता.
लंबे समय से सऊदी अरब पर दुनिया भर में कट्टरपंथी सुन्नी वहाबी विचारधारा को फैलाने का आरोप लगता है. लेकिन अब वह खुद इसका शिकार बन रहा है. 2004 में इस रिहैब सेंटर को बनाया गया ताकि चरमपंथी रास्ते पर जाने वाले लोगों को वापस मुख्यधारा में लाया जा सके. सेंटर का कहना है कि उसने अब तक 3,300 से ज्यादा ऐसे लोगों का इलाज किया है जो आतंकवाद से जुड़े अपराधों में दोषी करार दिये गये थे. सेंटर का दावा है कि उसकी सफलता की दर 86 प्रतिशत है. यहां से निकलने वाला कोई व्यक्ति अगर दस साल तक किसी जिहादी कार्रवाई में शामिल नहीं होता तो अबु मागयेद के मुताबिक वह इलाज की सफलता का पैमाना है.
बाकी 14 प्रतिशत लोगों के बारे में अबु मागयेद का कहना है कि उनमें "भटकाव वाला व्यवहार" देखने को मिला है और बहुत ही कम ऐसे हैं जो फिर से जिहाद के रास्ते पर गये. हालांकि सऊदी अरब के इस कार्यक्रम का नजदीक से अध्ययन करने वाले एक अमेरिकी जानकार जॉन होरगान इस पर सवाल उठाते हैं. उनका कहना है कि सेंटर से निकले लोग अच्छी खासी संख्या में फिर से युद्ध के मोर्चों पर दिखायी दिये हैं.
एके/एनआर (एएफपी)