जापान के पूर्व प्रधानमंत्री नाकासोने का निधन
२९ नवम्बर २०१९जापान के पूर्व प्रधानमंत्री यासुहीरो नाकासोने का शुक्रवार को निधन हो गया. वे 101 वर्ष के थे. उनके पुत्र हीरोफुमी नाकासोने, जो जापान की संसद के ऊपरी सदन के सदस्य हैं, के कार्यालय ने उनके निधन की पुष्टि की. उनके निधन से सम्बंधित और कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई.
नाकासोने एक प्रखर कन्जर्वेटिव थे जिन्होंने जापान के अमेरिका के साथ सैन्य संबंधों को और मजबूत बनाने के लिए काम किया. बतौर प्रधानमंत्री, उनका कार्यकाल नवम्बर 1982 से लेकर नवम्बर 1987 तक था. उन्हें द्वितीय विश्व युद्ध में हार का सामने करने वाले जापान को शीत युद्ध काल के दौरान पश्चिम के सम्पूर्ण सदस्य के रूप में बदल देने के लिए जाना जाता है.
उन्होंने एक ऐसे समय में अमेरिका से सुरक्षा संबंध मजबूत बनाने का प्रयास किया जब वाशिंगटन से व्यापार को लेकर टकराव बढ़ रहा था. पर उन्होंने अमेरिका को "जापान का सबसे महत्वपूर्ण सहयोगी" बताया और तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन से दोस्ती की.
उन्होंने जापान में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद निषेध समझने जाने वाले कई कदम उठाये. उन्होंने अमेरिका को सैन्य तकनीक उपलब्ध कराने का निर्णय लिया और जापान के सालाना रक्षा खर्च पर लगी सीमा को हटा दिया. उन्हें रक्षा मामलों में काफी तेजतर्रार और एक राष्ट्रवादी माना जाता है. रक्षा पर उनकी नीतियों से जापान के वामपंथी नाराज रहते थे, क्योंकि वो एक ऐसा समय था जब विश्व युद्ध में हारने के बाद देश में युद्ध-विरोधी भावना आज से भी ज्यादा प्रबल थी.
अमेरिकी राष्ट्रपति की "रीगोनोमिक्स" नीतियों की तर्ज पर ही, नाकासोने ने रेल और टेलीफोन ऑपरेटर जैसे राष्ट्रीय उपक्रमों का निजीकरण कर दिया. उनका झुकाव मुक्त व्यापार और सरकार की सीमित भूमिका होने की तरफ था. उन्होंने युद्धकालीन इतिहास के भूत से जूझते हुए चीन और दक्षिण कोरिया के साथ भी जापान के रिश्तों पर अपनी छाप छोड़ी.
सन 1910 से द्वितीय विश्व युद्ध के अंत तक जापान के उपनिवेशी शासन में रहे दक्षिण कोरिया जाने वाले वो पहले जापानी प्रधानमंत्री थे. 1985 में वे एक विवादित युद्ध को समर्पित स्थान पर भी गए लेकिन चीन के कड़े विरोध के बाद वे अगले साल वहां नहीं गए. चीन का आरोप था कि नाकासोने का वहां जाना इतिहास के दाग मिटाने की एक कोशिश थी.
सन 1987 में जब उन्होंने एक व्यापक अप्रत्यक्ष कर प्रणाली को लागू करने की कोशिश की तब उनकी सरकार के लिए समर्थन घट गया. इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया.
सीके/आरपी (एएफपी)
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