जान हथेली पर लिए सीरिया से जर्मनी
सीरिया में युद्ध की भयावहता से बचने के लिए कई सारियाई तमाम खतरों का सामना करते हुए किसी तरह यूरोप पहुंचना चाहते हैं. एक नजर इस खतरनाक यात्रा के मुख्य बिंदुओं पर.
घर छोड़ने की मजबूरी
2011 से जारी सीरियाई संघर्ष में अब तक 2,40,000 से भी अधिक लोगों की जान जा चुकी है. किसी तरह सीरिया से जान बचा कर भागने कि लिए लोग कोई भी ट्रेन, पैदल या फिर मानव तस्करों तक की मदद ले रहे हैं.
पहला स्टॉप: तुर्की
सीरिया से तुर्की के इज्मीर प्रांत पहुंचने वाले कई लोग वहां हॉस्टलों में रहते हैं. जो इसका खर्च नहीं उठा सकते, वे पार्कों और फुटपाथों पर ही सोने को मजबूर होते हैं.
ग्रीस की ओर
तुर्की छोड़ने के बाद कई रिफ्यूजी ग्रीस की ओर से यूरोप में प्रवेश की कोशिश करते हैं. तस्वीर में दिख रहा एक सीरियाई समूह तुर्की के तटीय इलाके से एक फुलाने वाली छोटी सी नाव में बैठकर ग्रीस के कॉस द्वीप की ओर बढ़ते हुए.
यूरोप की मुख्यभूमि तक
तस्वीर में एक छोटी सी सीरियाई लड़की कॉस से ग्रीस मुख्यभूमि पर पिरेउस तक जाने वाली फेरी में. दस घंटे की यात्रा के बाद कई रिफ्यूजी उत्तर की ओर बढ़ते हुए ग्रीस और मैसेडोनिया की सीमा और फिर मैसेडोनिया से होते हुए सर्बिया की ओर इस "बाल्कन रूट" पर आगे बढ़ते हैं.
सीलबंद सीमाएं
अगस्त में मैसेडोनिया ने शरणार्थियों की बढ़ती तादाद को देखते हुए आपातकाल घोषित कर दिया. सेना को देश की सीमाओं को बंद करने के आदेश दिए गए. तस्वीर में मैसेडोनिया से सर्बिया जाने वाली ट्रेनों में भरे हुए शरणार्थी.
बेलग्रेड में सुस्ताते
सर्बिया की राजधानी बेलग्रेड में कई रिफ्यूजी सार्वजनिक स्थलों पर कुछ समय तक रुक कर सुस्ताते हैं. अंतरराष्ट्रीय आप्रवासन संगठन के आंकड़े दिखाते हैं कि 2015 की शुरुआत से जून के मध्य तक ही करीब 1,60,000 प्रवासियों ने दक्षिण यूरोपीय देशों में कदम रखे हैं.
सर्बिया के बाद हंगरी बेहाल
हंगरी में गैरकानूनी रूप से सीमा पार करने की कोशिश करने वालों के लिए सजा कड़ी कर दी गई है. ईयू नियमों के अनुसार पकड़े जाने पर ऐसे लोगों का हंगरी में ही रजिस्ट्रेशन करवाया जाना चाहिए, लेकिन रिफ्यूजी आगे जर्मनी तक जाने की कोशिश कर रहे हैं.
अप्रत्याशित रोड़ा
हंगरी के बाद अगला पड़ाव ऑस्ट्रिया है, जहां इनको शरण के लिए पंजीकृत किए जाने पर लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरु कर दिया. ऑस्ट्रिया के बिचके स्टेशन पर ऐसे ही एक प्रदर्शन में जर्मनी जाने देने की मांग करती एक रिफ्यूजी बच्ची.
गर्मजोशी से स्वागत
कई दिनों तक हंगरी में अटके रहने के बाद हजारों रिफ्यूजी ऑस्ट्रिया और जर्मनी तक पहुंच रहे हैं. जर्मन शहर म्यूनिख में तो कई जर्मन एक बेहद मुश्किल यात्रा के बाद जर्मनी पहुंचने पर रिफ्यूजी दल के स्वागत के लिए पहुंच रहे हैं.
अब आगे क्या?
जर्मन राजनीतिज्ञ बड़ी संख्या में जर्मनी पहुंचने वाले रिफ्यूजी को शरण देने संबंधी व्यवस्था और खर्च का हिसाब लगाने में व्यस्त हैं. केवल सीरिया से भागने वालों के लिए ही नहीं बल्कि उन्हें शरण देने वालों के सामने भी एक बड़ी चुनौती है.