जानवरों से इबोला का खतरा
९ सितम्बर २०१४पशुओं से इंसानों में इबोला के पहुंचने का खतरा आमतौर पर उतना ज्यादा नहीं माना जाता जितना इंसान से इंसान में है. 1976 में पहली बार इबोला के फैलने से लेकर अब तक ऐसे 30 मामले सामने आए हैं. लेकिन जानकारों के मुताबिक आबादी का बड़े क्षेत्र में फैला होना और वहां से लोगों के आने जाने का सिलसिला आम होने की वजह से खतरा बड़ा है. चमगादड़, चिंपांजी या गोरिल्ला जैसे संक्रमित जानवरों के मांस से इसके इंसानों में फैलने का खतरा पैदा होता है.
कई देशों में खतरा
इबोला वायरस से 90 फीसदी मामलों में मरीजों की मृत्यु ने इसे आपदा के रूप में खड़ा कर दिया है. अब तक इसका इलाज या इसके खिलाफ टीका नहीं खोजा जा सका है. वे देश भी इसके खतरे में हैं जहां पहले कभी सीधे जानवरों से इंसानों में संक्रमण नहीं पाया गया. ये देश हैं, अंगोला, बुरुंडी, कैमरून, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, इथियोपिया, घाना, लाइबेरिया, मेडागास्कर, मालावी, मोजांबीक, नाइजीरिया, रवांडा, सियेरा लियोन, तंजानिया और टोगो हैं. इससे पहले कांगो, गैबोन, गिनी, आइवरी कोस्ट, दक्षिण सूडान और युगांडा में जानवरों से इंसानों में इबोला के पहुंचने के मामले सामने आ चुके हैं.
अब गंभीर
वैज्ञानिकों के मुताबिक, "खतरे के इलाके में रहने वाली इंसानी आबादी बड़ी है. वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ज्यादा जुड़े हुए और बाहर आने जाने वाले हैं. जबकि 1976 में जब इस वायरस के बारे में पहली बार पता चला था तब स्थिति ऐसी नहीं थी." परिणामस्वरूप जब इस तरह की बीमारी फैलती है तो फिर एक जगह रुक कर नहीं रहती. वे 22 देश जिन्हें इसका खतरा है उनमें करीब 2.2 करोड़ लोग रहते हैं. खासकर उन इलाकों के लिए बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है जहां स्वास्थ्य व्यवस्था अच्छी नहीं है.
पिछले 40 सालों के इतिहास में यह इबोला का सबसे बड़ा कहर है. अब तक 2000 से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन की 31 अगस्त को आई रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिम अफ्रीकी देशों में 4000 से ज्यादा इलोग इससे संक्रमित हैं. इबोला का पहला मामला पश्चिम अफ्रीकी देश गिनी में सामने आया. वहां से यह लाइबेरिया, सियेरा लियोन और नाइजीरिया तक फैल गया.
एसएफ/एएम (एएफपी)