जलवायु रक्षा के लिए साझा प्रयासों पर जोर
२३ मई २०१७चांसलर ने बर्लिन में पेटर्सबर्गर जलवायु संवाद को संबोधित करते हुए कहा, "हम एक दूसरे के लिए जिम्मेदार हैं. हम एक दूसरे के प्रति उत्तरदायी हैं." चांसलर ने ग्लोबल वॉर्मिंग के सिलसिले में भारत और चीन द्वारा किये जा रहे प्रयासों की सराहना की. ग्लोबल वॉर्मिंग की सच्चाई पर सवाल उठाए जाने संबंधी बहसों की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि पेरिस के जलवायु समझौते की भावना जिंदा रहनी चाहिए. इस समझौते में धरती का तापमान 2 डिग्री से ज्यादा ना बढ़ने देने पर सहमति हुई थी.
अमेरिका का एक बार भी नाम लिये बिना चांसलर ने कहा, "मैं कोशिश करती हूं कि संदेह करने वालों को भी समझा सकूं. इसमें हमेशा काम रहेगा." चांसलर ने अमेरिका और राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप का नाम भले ही नहीं लिया हो, लेकिन उनके बाद भाषण देने वाले फिजी द्वीप के प्रधानमंत्री फ्रांक बाइनीमारामा ने यह काम किया. उन्होंने कहा, "यहां हॉल में एक हाथी है. और वह है अमेरिका के रवैये पर असुरक्षा की भावना."
इसके पहले सम्मेलन के पहले दिन जर्मनी और चीन दोनों ने ही अमेरिका से अनुरोध किया कि वह पेरिस जलवायु समझौते में बना रहे. ऐसी आशंका है कि अमेरिका यह समझौता छोड़ भी सकता है. बर्लिन में चल रहे पीटर्सबर्ग क्लाइमेट डॉयलॉग के दौरान जर्मनी और चीन के पर्यावरण मंत्रियों ने संयुक्त बयान जारी पर अमेरिका से समझौते में बने रहने का अनुरोध किया.
जर्मनी की पर्यावरण मंत्री बारबरा हेन्ड्रिक्स ने कहा, "अमेरिका जलवायु परिवर्तन करार का हिस्सा बना रहे, इसके लिए हम प्रत्येक स्तर पर कोशिश कर रहे हैं." हेन्ड्रिक्स के मुताबिक अमेरिका का समझौते के साथ बने रहना बढ़ते तापमान पर अंकुश लगाने जैसे प्रयासों के लिये मददगार होगा. साथ ही आर्थिक लिहाज से यह अमेरिका के लिये लाभदायक होगा. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप पेरिस समझौते को छोड़ने की अपनी मंशा जाहिर कर चुके हैं. ट्रंप ने एक मौके पर कहा था कि जलवायु परिवर्तन महज एक दिखावा है जिसे चीन ने अमेरिकी निर्यात को कमजोर करने के उद्देश्य से बनाया है.
हेन्ड्रिक्स ने जोर देते हुए कहा इस समझौते को लेकर अमेरिका का ऐसा रुख नुकसानदायक हो सकता है. उन्होंने कहा अगर अमेरिका इस समझौते को छोड़ता है तो दुनिया के बाकी देशों के लिये जलवायु सुरक्षा से जुड़े इस मसौदे के पक्ष में होना अहम होगा. उन्होंने भरोसा जताते हुये कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि हम सफल होंगे और समझौते पर कोई असर नहीं होगा.
चीन के पर्यावरण मंत्री शीये जेनहुआ ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग के पक्ष को रखते हुये भविष्य की पीढ़ियों से जुड़ी जिम्मेदारी की बात की. शीये ने कहा कि मौजूदा अस्थिरता को देखते हुये चीन का यही पक्ष है. दुनिया भर के 30 देशों के प्रतिनिधि बर्लिन में सोमवार से शुरू हुई दो दिवसीय वार्ता में भाग ले रहे हैं. इसका मकसद इस साल बॉन में होने वाले जलवायु सम्मेलन की तैयारी करना है.
एए/एमजे (एएफपी, डीपीए)