जर्मन राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार क्रिस्टियान वुल्फ
४ जून २०१०30 जून को संसद बुंडेसटाग के सदस्यों व प्रादेशिक विधायिकाओं के प्रतिनिधियों से बनी संघीय सभा को नए राष्ट्रपति का चुनाव करना है. संघीय सभा में सत्तारूढ़ मोर्चे के दलों का बहुमत है, इसलिए वुल्फ के चुनाव में कोई संदेह नहीं होना चाहिए. जर्मन राष्ट्रपति देश के औपचारिक प्रधान होते हैं, कार्यपालिका में उनकी कोई शक्ति नहीं होती है. अक्सर कोशिश की जाती है कि ऐसे औपचारिक पद पर व्यापक राजनीतिक सहमति के आधार पर चुनाव हो.
इस चुनाव में ऐसी सहमति नहीं होगी. विपक्षी एसपीडी और ग्रीन पार्टी की ओर से प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार के रूप में योआखिम गाउक के नाम की घोषणा की गई है. पूर्वी जर्मनी के नागरिक आंदोलन से उभरे पूर्व प्रोटेस्टैंट पादरी गाउक पूर्वी जर्मन जासूसी संस्था श्टाज़ी के दस्तावेजों के अभिलेखागार के संस्थापक प्रधान रहे हैं.
पूर्वी जर्मनी की साम्यवादी पार्टी से उभरी वामपंथी पार्टी ने कहा है कि वह गाउक का समर्थन नहीं करेगी. उनकी ओर से एक तीसरे उम्मीदवार मैदान में आएंगे, जिनके नाम की घोषणा अभी तक नहीं की गई है.
अगर वह चुने जाते हैं तो 50 वर्षीय क्रिस्टियान वुल्फ जर्मनी के इतिहास में सबसे कम उम्र के राष्ट्रपति होंगे. मनोनयन स्वीकार करते हुए उन्होंने कहा कि अपने नए पद पर वे इंसानों को आपस में जोड़ना चाहेंगे, समाज में एकजुटता लाने के लिए काम करना चाहेंगे, कठिन समय में भी साहस दिलाने की कोशिश करेंगे.
सीडीयू की अध्यक्ष चांसलर अंगेला मैर्केल, सीएसयू के अध्यक्ष व बवेरिया के मुख्यमंत्री होर्स्ट जे़होफर तथा एफडीपी के अध्यक्ष व उप चांसलर गीदो वेस्टरवेले ने संयुक्त रूप से क्रिस्टियान वुल्फ़ की उम्मीदवारी की घोषणा की. मैर्केल ने कहा कि वह एक ऐसे इंसान हैं, जिनमें उत्सुकता कूट-कूटकर भरी हुई है, वह सर्जनशील हैं, लोगों के नजदीक पहुंचने के काबिल हैं.
राजनीति से संन्यास की घोषणा करने वाले हेस्से प्रदेश के मुख्यमंत्री रोलांड कॉख की तरह क्रिस्टियान वुल्फ भी सीडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. इससे पहले बाडेन-व्युर्टेमबैर्ग प्रदेश के मुख्यमंत्री ग्युंटर ओएटिंगर अपना पद छोड़कर यूरोपीय आयोग में जा चुके हैं. देश के सबसे बड़े प्रदेश नार्थराइन वेस्टफ़ालिया के मुख्यमंत्री युर्गेन रुएटगर्स चुनाव हार चुके हैं.
क्रिस्टियान वुल्फ शायद सीडीयू के आखिरी कद्दावर नेता हैं, जो संकट की स्थिति में अंगेला मैर्केल के नेतृत्व को चुनौती दे सकते थे. अब वे भी दलीय राजनीति से ऊपर उठ जाएंगे. पार्टी पर चांसलर की पकड़ फ़ौलादी हो जाएगी. लेकिन सीडीयू में दूसरी पांत के नेता अब नहीं रह जाएंगे.
रिपोर्ट: उज्ज्वल भट्टाचार्य
संपादन: एस गौड़