जर्मन युवाओं के संगीत पर झूमे मुंबईवासी
१९ जनवरी २०१८जर्मन युवा संगीतकारों ने 18 जनवरी को मुंबई की खुशनुमा शाम को अपनी संगीत लहरियों से बेहद खास बना दिया. यशवंतराव चव्हाण ऑडिटोरियम में मौजूद संगीत प्रेमियों ने जर्मन युवा संगीतकारों के पाश्चात्य संगीत का भरपूर लुत्फ़ उठाया. ऑर्केस्ट्रा कंडक्टर हेरमन बॉयमर ने संगीत और अंदाज से लोगों को खूब हंसाया. "वेदर एंड फोर्सेस ऑफ नेचर" को संगीत का थीम बनाया गया है. यह प्रकृति से प्रेरित है, जैसा कि इसके नाम में भी इसकी झलक मिलती है.
कम उम्र के हुनरबाज
भारत में अपने कला का प्रदर्शन कर रहे नेशनल यूथ ऑर्केस्ट्रा में किशोरों की प्रतिभा को खूब सम्मान मिला है. हेरमन बॉयमर कहते हैं कि इन किशोरों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है और मौका मिलते ही लोग इनके हुनर के मुरीद बन रहे हैं. वैसे, मुंबई के कंसर्ट में मौजूद लोगों ने युवाओं के प्रदर्शन की दिल खोल कर सराहना की. 25 लोगों के इस दल में 11 वर्ष के बच्चे से लेकर 60 की उम्र को पार कर चुके वादक भी शामिल हैं, पर अधिकतर वादकों की उम्र 25 साल से कम ही है.
11 वर्षीय योहानेस मुंबई के कंसर्ट में विशेष आकर्षण रहे. उन्होंने अपने टेनर हॉर्न वादन से लोगों का ऐसा मन मोहा कि लोगों को उनकी उम्र का अहसास ही नहीं हुआ. नन्हें योहानेस भी अपने भारतीय प्रशंसकों की प्रतिक्रिया से बहुत उत्साहित थे. ये उनके चेहरे से समझा जा सकता था. योहानेस की उम्र ही इतनी नहीं है कि वह अपनी खुशी और उमंग को शब्दों के जरिये साझा कर सके.
सांस्कृतिक सेतु
भारत में इन कलाकारों को सांस्कृतिक दूत जैसा सम्मान मिला. इनकी कला की सराहना में भारतीय दर्शकों ने कंजूसी नहीं बरती, यह बात जर्मन कलाकारों को अभिभूत कर गयी. ऑडिटोरियम में मौजूद संगीत प्रेमियों की प्रतिक्रिया को उत्साह बढ़ाने वाला बताते हुए हेरमन बॉयमर ने कहा कि वह दोबारा भारत आना चाहेंगे. दर्शकों से मिले प्रतिसाद से सेक्सोफोन वादक जॉर्ज सेगेर बहुत ही खुश हैं. उनका कहना है, "अपनी कला से लोगों को खुशी देना सबसे बड़ा पुरस्कार होता है, जो मुंबई में उन्हें मिल चुका है.”
यूथ ऑर्केस्ट्रा की मेजबानी का जिम्मा भारतीय सांस्कृतिक सबंध परिषद् ICCR के पास था, जो कार्यक्रम को मिले सराहना से गदगद है. आईसीसीआर के क्षेत्रीय निदेशक एनके मलिक को पूरा भरोसा है कि इस तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों से दोनों देशों के बीच सबंध मज़बूत होंगे.
बॉन में बीथोफेन महोत्सव
जर्मन नेशनल यूथ ऑर्केस्ट्रा का भारत दौरे का एक मकसद बॉन के सालाना बीथोफेन महोत्सव के लिए भारत के साथ सहयोग भी है. बीथोफेन महोत्सव के दौरान किसी देश के युवा संगीतकारों के साथ कैंपस प्रोजेक्ट का आयोजन होता है. इस साल के बीथोफेन महोत्सव में भारत मेहमान देश होगा.
जर्मनी में क्लासिकल संगीत के अपनी परंपरा है जबकि भारत की भी संगीत की अपनी ऐतिहासिक परंपरा है. दो सदियों के ब्रिटिश शासन के बावजूद भारतीय क्लासिकल संगीत की परंपरा कमजोर नहीं हुई. दूसरी ओर पश्चिमी क्लासिकल संगीत भारत में अभी भी उतना लोकप्रिय नहीं है. बॉन के कैंपस प्रोजेक्ट का संगीत की दोनों धाराओं को साथ लाना और जर्मनी तथा भारत के संग्रीतप्रेमियों को उसक परिचय कराना है. इस प्रोजेक्ट में भारत के युवा वांसुरीवादक राकेश चौरसिया भी सहयोग कर रहे हैं.