जर्मनी 2015
एक सेल्फी संकेत में बदल गया. क्या चांसलर को और दूसरे लोगों को इस तरह की तस्वीर के असर का अंदाजा था? साल की समाप्ति 10 लाख शऱणार्थियों के साथ हो रही है. 2015 आधुनिक जर्मनी के इतिहास का अहम साल है.
भावनाएं और सख्ती
जुलाई 2015 की यह महत्वपूर्ण तस्वीर थी. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने भावनाएं तो दिखाईं लेकिन सख्त रहीं. उन्होंने 14 वर्षीय फलीस्तीनी लड़की को सहलाया और उसके दर्द पर मरहम जरूर लगाया, जिनके माता पिता अभी भी शरण का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन यह भी कहा कि जर्मनी सबको शरण नहीं दे सकता. लड़की सोशल मीडिया स्टार बन गई लेकिन चांसलर की बड़ी आलोचना हुई.
प्रोमिस्ड लैंड की चांसलर
और अचानक काफिले आने लगे. सीरिया, इराक, अफगानिस्तान से शरणार्थियों ने जर्मनी आना शुरू कर दिया. वे सब यहां शरण चाहते हैं. गर्मियां खत्म होने से पहले ही लाखों लोग जर्मनी पहुंच चुके थे. राजनीतिज्ञों में खलबली मची थी. अंगेला मैर्केल ने घोषणा की शरण के अधिकार में संख्या की सीमा नहीं है. चांसलर ने मानवीयता दिखाई और युद्ध ग्रस्त इलाकों के दमित पीड़ितों की स्टार बन गईं.
हर सोमवार
एक ओर हजारों लोग अपनी इच्छा से शरणार्थियों की मदद करने में, जर्मनी में उनके निवास को आसान बनाने में लगे थे. इतना कि स्वागत की संस्कृति साल का अहम शब्द बन गया. तो दूसरी ओर बहुत से लोग मैर्केल की शरणार्थी नीति के खिलाफ एकजुट हो रहे थे. पेगीडा नाम के संगठन के लिए ड्रेसडेन शहर हर सोमवार को आप्रवासन और प्रतिनिधि लोकतंत्र के खिलाफ विरोध का ठिकाना रहा.
घृणा में आगजनी
जर्मनी ने 2015 में अपना यह चेहरा भी दिखाया. इस साल शरणार्थियों के रहने के लिए बने 600 घरों पर हमला किया गया. 2011 में उनकी संख्या सिर्फ 18 थी. सुरक्षा अधिकारियों ने इन हमलों में अब किसी ग्रुप का समन्वित हाथ होने का सबूत नहीं पाया है. हमला करने वाले लोग आम तौर पर स्थानीय युवा हैं. और उनमें से अधिकांश अब तक विदेशियों का विरोध करने के कारण पुलिस फाइलों में नहीं हैं.
हवाई त्रासदी
यूरोप में विमान हादसा. 24 मार्च को बार्सिलोना से डुसेलडॉर्फ आ रहा यात्री विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया. 150 लोग मारे गए. उनमें हाल्टर्न शहर के हाई स्कूल के 16 बच्चे भी थे. त्रासद बात यह रही कि मनोरोग के शिकार को-पाइलट ने जर्मनविंग्स कंपनी के यात्री विमान को जानबूझकर बार्सिलोना से डुसेलडॉर्फ के रास्ते में फ्रांस की आल्प पहाड़ियों पर टकरा दिया.
राजनीतिक रिश्तेदारी
गद्दी पर बैठने के बाद से ही वे जर्मनी के लोगों को आकर्षक और दिलचस्प लगती रही हैं. इस साल जब ब्रिटेन की महारानी अपने संभवतः अंतिम राजकीय दौरे पर जर्मनी आईं तो यह कुछ कुछ रिश्तेदारों से भेंट जैसी भी थी. महारानी के पति प्रिंस फिलिप जर्मन मूल के हैं. शायद जर्मन सहानुभूति के पीछे ब्रिटेन का ताज वाला गणतंत्र होना है, जैसा कि एक बार जॉर्ज ऑरवेल ने कहा था.
अतीत का सामना
ये कैसा भाव प्रदर्शन था. आउशवित्स के नाजी यंत्रणा शिविर में कैद रहीं एफा कॉर ने कुख्यात एसएस के पूर्व सदस्य 94 वर्षीय ऑस्कर ग्रोएनिंग की ओर अदालत में सुलह का हाथ बढ़ाया. आउशवित्स के अपराधियों के खिलाफ सबसे ताजा मुकदमे में 81 वर्षीया कॉर ने कहा, "मैंने नाजियों को माफ कर दिया है." अब तक सामान्य जिंदगी जी रहे पूर्व गार्ड ग्रोएनिंग ने भी नाजी काल के नैतिक अपराध को स्वीकार किया.
ताकतवर चांसलर
जब पश्चिमी दुनिया बवेरिया में चांसलर मैर्केल की मेहमान थी, उस समय तक मैर्केल को लेकर विवाद शुरू नहीं हुआ था, वह मतदाताओं के दिलों पर एकछत्र राज कर रही थीं और यूरोप में उनका रुतबा था. विला एलमाउ में जी-7 शिखर सम्मेलन के अंत में ग्लासहाउस गैसों में कमी लाने का फैसला हुआ. नतीजा पेरिस में पर्यावरण समझौते के रूप में सामने आया.
राजनीति और साहित्य
इस साल जर्मनी और विश्व ने जिन लोगों को खोया उनमें नोबेल पुरस्कार विजेता जर्मन साहित्यकार गुंटर ग्रास और पूर्व चांसलर हेल्मुट श्मिट भी थे. कोलकाता में एक साल रह चुके ग्रास की मौत 13 अप्रैल को हुई तो लोकप्रिय पूर्व चांसलर हेल्मुट श्मिट ने 10 नवंबर को आखिरी सांसें लीं, हालांकि ग्रास एसपीडी के समर्थक थे लेकिन दोनों शख्सियतों में ज्यादा अपनापन नहीं था.
नामी ब्रांड का पतन
भरोसेमंद, इमानदार और किफायती - इसके लिए जर्मन कंपनी फोक्सवागेन की कारों का नाम था. और तब इस साल हुआ रहस्योद्घाटन कि कंपनी ने दुनिया भर को धोखा दिया है. लाखों डीजल गाड़ियों में ऐसा सॉफ्टवेयर लगा था जो उत्सर्जन के बारे में सही सूचना नहीं देता था. कंपनी पर अब अलग अलग देशों में करोड़ों का दावा ठोंका गया है.
बात मनवाने की कला
जैसे जैसे जर्मनी में शरणार्थी संकट गहराता गया, चांसलर अंगेला मैर्केल का राजनैतिक फातिहा पढ़ने की तैयारी होने लगी. पार्टी का बड़ा हिस्सा उनके खिलाफ था. लेकिन मैर्केल ने अपना जुझारुपन दिखाया और कार्ल्सरूहे में हुए पार्टी सम्मेलन में पार्टी और आलोचकों का विश्वास जीतने में कामयाब रहीं. उन्होंने कहा कि जर्मनी ताकतवर है, वह चुनौती का सामना कर पाएगा.