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जर्मनी में भी इलेक्ट्रॉनिक टैगिंग का इस्तेमाल

३० अगस्त २०११

जब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के पूर्व प्रमुख स्ट्रॉस कान की गिरफ्तारी हुई तो इलेक्ट्रॉनिक टैगिंग के जरिए उन पर चौबीसों घंटे नजर रखी गई. जर्मनी में इलेक्ट्रॉनिक टैगिंग को लेकर एक नया कानून लागू किया गया है.

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Man's legs dragging a ball and chain, selective focus. debt; business; businessman; ball and chain; prisoner; manager; bondage; freedom; risk; paying; releasing; rescue; responsibility; slavery; dragging; interest rate; chain; isolated on white; close-up; selective focus
तस्वीर: Fotolia/Anton Sokolov

इस के तहत कत्ल और बलात्कार के पूर्व दोषियों पर टैगिंग के जरिए नजर रखी जाएगी. जर्मनी के सभी राज्यों के लिए एक सेंट्रलाइज्ड सिस्टम तैयार किया जाएगा जहां इन सब पूर्व अपराधियों की पूरी जानकारी होगी. ऐसा इसलिए जरूरी है ताकि इन लोगों के आचरण पर ध्यान दिया जा सके. जर्मनी में ऐसे मामले आए हैं जब दोषियों ने सजा पाने और जेल से छूट जाने के बाद दोबारा जुर्म किया. इसी को रोकने के लिए अब यह कदम उठाया जा रहा है. 2012 से इसे लागू किया जाएगा. जर्मनी के राज्य नॉर्थराइन वेस्टफेलिया, बाडेन व्यूर्टेमबेर्ग और मेक्लेनबुर्ग वेस्टपोमेरेनिया ने सोमवार को एक राजकीय समझौते पर दस्तखत किए जिसके तहत जर्मनी के प्रांतों का साझा निगरानी केंद्र बनाया जा रहा है. बवेरिया और हेस्से प्रांत पहले ही राज्यों के बीच हुई सहमति पर दस्तखत कर चुके है और बाकी के राज्य जल्द ही इस का हिस्सा बन जाएंगे. इस सिस्टम के तहत सैंकड़ों पूर्व आरोपियों की इलेक्ट्रॉनिक टैगिंग की जा सकेगी.

Der Darmstädter Bewährungshelfer Hans-Dieter Amthor demonstriert am Montag (31.05.2010) am Rande einer Pressekonferenz im Landtag in Wiesbaden den Einsatz einer elektronische Fußfessel. Das Justizministerium legt eine Bilanz zum Einsatz der elektronischen Fußfessel vor, die in Hessen seit zehn Jahren genutzt wird. Gedacht ist die Fessel als Ersatz für eine Untersuchungshaft oder als Auflage dafür, dass der Vollzug einer Haftstrafe zur Bewährung ausgesetzt wird. Die elektronische Fußfessel wird auch Thema der Justizministerkonferenz Mitte Juni in Hamburg sein. Foto: Arne Dedert dpa/lhe (zu dpa lhe BLICKPUNKT HESSEN vom 31.05.2010)
घड़ी जैसे दिखने वाले टैग को अधिकतर पैर में बांधा जाता है.तस्वीर: picture-alliance/dpa

जेल के बाहर जेल

जर्मनी में 3एम एल्मोटेक नाम की कंपनी सरकार को इलेक्ट्रॉनिक टैग मुहैया कराती है. कंपनी के प्रतिनिधि गोएट्स श्टाम बताते हैं, "ऐसा कई बार होता है कि जिस व्यक्ति को जेल की सजा होती है वह परिवार का इकलौता कमाऊ इंसान होता है. ऐसे मामलों में पूरा परिवार उस व्यक्ति पर निर्भर करता है. और उसकी गैर मौजूदगी में परिवार को सरकार द्वारा दी जाने वाली सोशल सिक्योरिटी का सहारा लेना पड़ता है. (इलेक्ट्रॉनिक टैगिंग द्वारा) ऐसा होने से रोका जा सकता है."

आम तौर पर इसका इस्तेमाल नजरबंदी जैसे मामलों में होता है जहां आरोपी के हाथ या पैर में एक बेल्ट बांध दी जाती है और जीपीएस के जरिए उस पर नजर रखी जाती है. यदि आरोपी अपने घर या निश्चित किए गए दायरे से बाहर निकलता है तो इलेक्ट्रॉनिक चिप के जरिए अधिकारियों तक सूचना पहुंच जाती है. लेकिन इसके विपरीत इलेक्ट्रॉनिक टैग का इस्तेमाल आरोपी को किसी निश्चित जगह से दूर रखने के लिए भी किया जाता है.

Dominique Strauss-Kahn, former manager of the International Monetary Fund, appears at a bail hearing in Criminal Court, Thursday, May 19, 2011 in New York. Strauss-Kahn faces charges he sexually assaulted a hotel maid. (AP Photo/Richard Drew, Pool)
इलेक्ट्रॉनिक टैगिंग की मदद से रखी गई थी स्ट्रॉस कान पर नजरतस्वीर: AP

परिवार की सुरक्षा के लिए

उदाहरण के तौर पर यदि अदालत ने किसी व्यक्ति को अपनी पत्नी और बच्चों से दूर रहने के आदेश दिए हों, क्योंकि उसके परिवार को उस से खतरा हो सकता है, तो इलेक्ट्रॉनिक टैगिंग के जरिए यह सुनिश्चित किया जाता है कि वह व्यक्ति अपनी पत्नी के घर या बच्चों के स्कूल तक ना पहुंच पाए. इसका मतलब यह कि हाउ अरेस्ट के विपरीत इस मामले में व्यक्ति को कुछ जगह छोड़ कर आजादी से घूमने की इजाजत होती है.

एल्मोटेक की काटरीन हेम्सिंग बताती हैं, " प्रभावित व्यक्ति को भी इस बात का पता होता है कि उसे किस क्षेत्र में जाने की इजाजत है और किस में नहीं और अगर वह अपने क्षेत्र से बाहर निकलता है तो उसके हाथ या पैर में लगी बेल्ट वाइब्रेट करने लगती है. इस मामले में व्यक्ति की पत्नी को भी सूचित किया जाता है. या तो उसे एसएमएस मिलता है या फिर उसके पास लगा टैग बीप करके या वाइब्रेट करके उसे बताता है."

Das Alkoholtestgerät MEMS3000 der Firma 3M/Elmotech. Das Alkoholtestgerät verfügt über eine Gesichtserkennung und wird zusammen mit der elektronischen Fußfessel zur Überwachung von Bewährungsauflagen verurteilter Straftäter eingesetzt. (Foto: 3M / Elmotech) ***ACHTUNG: Das Bild darf nur im Zusammenhang mit der Berichterstattung über dieses Produkt verwendet werden.***
इस मशीन से किया जाता है अल्कोहोल टेस्टतस्वीर: 3M/Elmotech

शराब मत छूना

इसी तरह से इस बात पर भी नजर रखी जा सकती है कि कहीं वह व्यक्ति शराब तो नहीं पी रहा. यदि अदालत उसके शराब पीने पर पाबंदी लगाती है तो उसके शरीर पर इलेक्ट्रॉनिक टैग लगाने के साथ साथ उसके घर पर एक मशीन भी रखी जा सकती है जिसमें उसे तय किए गए समय के बाद फूंक कर अल्कोहोल टेस्ट देना होता है. यदि वह ऐसा नहीं करता या यदि उसके टेस्ट में पता चलता है कि उसने शराब पी है तो जीपीएस के जरिए यह जानकारी अधिकारियों तक पहुंच जाती है.

हेम्सिंग बताती हैं कि ऐसा घरेलू हिंसा के मामलों में किया जाता है, "अलार्म का बजना उस व्यक्ति के लिए नियमित किए गए स्तर पर निर्भर करता है. हो सकता है कि उस व्यक्ति के लिए शून्य की मात्रा तय की गई हो या शायद उसे एक बीयर पीने की अनुमति हो." साथ ही इस मशीन में कैमरा भी लगा होता है जो व्यक्ति का चेहरा पहचानता है. इसलिए वह व्यक्ति इस टेस्ट के लिए कभी अपनी जगह किसी और को खड़ा नहीं कर सकता.

Screenshot der Gesichtserkennungs-Software für das Alkoholtestgerät MEMS3000 der Firma 3M/Elmotech. Die Software gleicht das Foto dessen, der den Alkoholtest durchführt mit einem hinterlegten Foto ab. Sollten die biometrischen Daten nicht übereinstimmen, löst das System Alarm aus. Das Alkoholtestgerät wird zusammen mit der elektronischen Fußfessel zur Überwachung von Bewährungsauflagen verurteilter Straftäter eingesetzt. (Foto: 3M / Elmotech) ***ACHTUNG: Das Bild darf nur im Zusammenhang mit der Berichterstattung über dieses Produkt verwendet werden.***
मशीन में लगे कैमरे से रिकॉर्ड होता है टेस्ट का वीडियोतस्वीर: 3M/Elmotech

शक्ल और आवाज की पहचान

कई मामलों में शक्ल की पहचान के साथ साथ आवाज की पहचान भी की जा सकती है. ऐसी तकनीक का इस्तेमाल वहां किया जा सकता है जब अदालत फुटबॉल के मैच के दौरान हंगामा करने वाले किसी शख्स को घर पर ही रहने के आदेश दे. ऐसे में किसी भी समय उस व्यक्ति को फोन किया जा सकता है और क्योंकि मशीन उसकी आवाज पहचानती है, इसलिए उसी को जवाब देना पड़ता है. साथ ही हर बार अलग तरह के सवाल पूछे जाते हैं.

हालांकि गोएट्स श्टाम मानते हैं कि इलेक्ट्रॉनिक टैगिंग का फायदा तभी हो सकता है जब अभियुक्त पुलिस का साथ दे. अभियुक्त टैग तोड़ने की भी कोशिश कर सकता है. ऐसे में पुलिस का अलार्म तो बजेगा ही, लेकिन हो सकता है कि पुलिस के पहुंचने तक वह भाग चुका हो. लेकिन ऐसे में पकड़े जाने पर जेल पक्की है. जर्मनी में भी पुलिस ने इसकी आलोचना करते हुए कहा है कि इस तरीके से किसी को बलात्कार या कत्ल करने से रोका नहीं जा सकता. ऐसा जरूरी है कि जिस व्यक्ति को खतरा हो उसकी सुरक्षा के लिए हर समय कोई पुलिसकर्मी पास ही हो.

रिपोर्ट: फाबियान श्मिट/ईशा भाटिया

संपादन: महेश झा

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