जर्मनी में पीएचडी या प्रोफेसरशिप
७ अप्रैल २०११डॉक्टोरेट के लिए जरूरी है कि छात्र ने विश्वविद्यालय की पढ़ाई अच्छे अंकों के साथ पूरी की हो. डॉक्टोरल प्रोग्राम के दाखिले की प्रकिया एक समिति करती है. विदेशी छात्रों को पहले यह देखना चाहिए कि उनकी पढ़ाई या डिग्री को जर्मन यूनिवर्सिटी में मान्यता दी जाती है या नहीं.
हालांकि मेडिकल के छात्रों के लिए शर्तें अलग हैं. उन्हें पढ़ाई के दौरान ही डॉक्टोरेट के लिए लिखित और मौखिक परीक्षा पास करनी होती है.
पीएचडी करने के दो तरीके:
ज्यादातर छात्र कई साल तक पढ़ाई करके डॉक्टोरेट पूरा करते हैं. इस दौरान प्रोफेसर छात्रों के सलाहकार की तरह रहते हैं. प्रोफेसर विषय और शोध से संबंधित चीजों के चुनाव नजर रखते हैं. लेकिन अब चलन बदल रहा है. अब ज्यादा से ज्यादा छात्र ग्रेजुएट कॉलेज के जरिए डोक्टोरेट करना चाह रहे हैं. इसके तहत एक एडवाइजर के अंतर्गत काम नहीं किया जाता. ग्रेजुएट कॉलेज तेजी से डोक्टोरेट पाने का रास्ता बन गया है.
अनुशासन
ग्रेजुएट कॉलेज वर्किंग ग्रुप हैं. इनमें अनुशासन के साथ एक बड़े विषय पर फोकस किया जाता है. समूहों में 10 से 15 प्रोफेसर हो सकते हैं और अधिकतम 30 छात्र. ग्रेजुएट कॉलेज छात्रों को पढ़ाई का खर्च निकालने का मौका भी देते हैं. छात्रों को पढ़ाने या शोध करने के अलावा पार्ट टाइम रोजगार करने का मौका मिलता है.
प्रोफेसर बनना
प्रोफेसर बनने के चाहत रखने वालों के लिए डोक्टोरेट काफी नहीं है. छात्रों को हैबिलिटेशन पूरा करना होता है. यह जर्मन यूनिवर्सिटियों का उच्चतम प्रमाण पत्र है. यह शैक्षिक डिग्री नहीं है. लेकिन इसी से तय होता है कि छात्र डॉक्टोरेट के विद्यार्थियों को सलाह देने योग्य है या नहीं. बड़े और गहरे शोध के विषयों को अक्सर इसका आधार बनाया जाता है.
शानदार ढंग से डॉक्टोरेट की डिग्री हासिल करने वाले युवा छात्रों को अपने साथ जोड़ने के लिए की यूनिवर्सिटियों की फैकल्टी में जूनियर प्रोफेसर के पद होते हैं. यहां हैबिलिटेशन पूरा न करने के बावजूद पीएचडी कर चुके छात्र स्वतंत्र शोध कर सकते हैं और यूनिवर्सिटी में पढ़ा भी सकते हैं. जूनियर रिसर्च प्रोफेसरों को आम तौर पर तीन से चार साल का कॉन्ट्रैक्ट मिलता है. इस दौरान वह हैबिलिटेशन पूरा कर प्रोफेसरशिप के लिए क्वालिफाई कर सकते हैं.
रिपोर्टः क्लाउडिया उनसेल्ड
संपादनः गाबी रोएशर