जर्मनी क्यों कर रहा है चेहरों की पहचान
निजता संबंधी चिंताओं के बीच जर्मनी में बर्लिन के ज्युडक्रॉयत्स स्टेशन पर फेस ट्रैकिंग सिस्टम का परीक्षण शुरू हुआ है. जर्मन गृह मंत्री ने छह महीने तक चलने वाली परियोजना का बचाव किया है.
स्टेशन के उन इलाकों की अलग से पहचान की गयी है जहां पहुंचते ही कैमरे से तस्वीर लिया जाना शुरू हो जाता है.
लोग खुद फैसला कर सकते हैं कि वे कौन सा रास्ता लेंगे, फेस ट्रैकिंग वाला या जहां चेहरे की शिनाख्त के कैमरे नहीं लगे हैं.
स्टेशन पर लोगों को फेस ट्रैकिंग कैमरा होने की चेतावनी भी दी जा रही है और बताया जा रहा है कि यह उनकी सुरक्षा के लिए है.
बर्लिन के ज्युडक्रॉयत्स स्टेशन पर चेहरे की शिनाख्त के लिए विशेष निगरानी कैमरे लगाये गये हैं.
फेस ट्रैकिंग सॉफ्टवेयर की मदद से सार्वजनिक जगहों पर लोगों की निगरानी भी हो सकती है और उनकी शिनाख्त भी की जा सकती है.
फेस ट्रैकिंग सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल लोगों का मूड जानने के लिए भी हो रहा है. इससे ड्राइवरों को नींद की चेतावनी दी जा सकती है.
पुलिस ने कुछ महीने पहले बर्लिन ज्युडक्रॉयत्स स्टेशन पर एक अभियान चलाकर वॉलंटियरों का चुनाव किया था.
इस तकनीक में बायोमेट्रिक सूचनाओं के आधार पर कंप्यूटर तेजी से गणना कर चेहरों की पहचान करता है.
इस साल हनोवर में दुनिया के सबसे बड़े सेबिट कंप्यूटर मेले में फेस ट्रैकिंग सॉफ्टवेयर का प्रदर्शन किया गया.
जर्मनी के बोखुम यूनिवर्सिटी में भी कंप्यूटर तकनीक की मदद से लोगों के चेहरे की शिनाख्त का परीक्षण चल रहा है.
राइनहार्ड थीमे टेस्ट वोलंटियर हैं और अगस्त से स्वेच्छिक रूप से पाइलट प्रोजेक्ट में हिस्सा ले रहे हैं.
डिजीटल करेज पहलकदमी के पॉल गैर्स्टेनकॉर्न बर्लिन में शुरू हुए संघीय पुलिस के प्रोजेक्ट के खिलाफ हैं.