जर्मनी का स्थायी सदस्यता पर जोर
२७ सितम्बर २०१३जी-4 में शामिल इन देशों के विदेश मंत्रियों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान न्यूयॉर्क में मुलाकात की. उन्होंने कहा, "संयुक्त राष्ट्र के गठन के करीब 70 साल बाद सुरक्षा परिषद का सुधार बहुत जरूरी है." उन्होंने कहा कि मौजूदा अंतरराष्ट्रीय संकट से निबटने में संयुक्त राष्ट्र की इस ताकतवर संस्था की मुश्किलें सुधारों की जरूरत का एक और संकेत है.
विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद जारी एक बयान में सदस्यता के उम्मीदवार देशों के विदेश मंत्रियों ने कहा कि सुरक्षा परिषद को 21वीं सदी की हकीकतों के अनुरूप होना चाहिए. उन्होंने इस बात की याद दिलाई कि विश्व समुदाय ने 2005 में सुरक्षा परिषद में सुधार करने का वचन दिया है. उन्होंने मांग की कि 2015 तक सुधार के प्रयासों का ठोस नतीजा सामने आना चाहिए.
जर्मन विदेश मंत्री गीडो वेस्टरवेले विदेश मंत्रियों की मुलाकात में कहा कि संयुक्त राष्ट्र के अंदर मौजूदा हालत पर बढ़ता असंतोष दिख रहा है. उन्होंने कहा कि कुछ विरोध के बावजूद सुधार के लिए बातचीत जारी रखना फायदेमंद है. जी-4 की बैठक से पहले वेस्टरवेले ने भारत के विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद और ब्राजील के विदेश मंत्री लुइस अलबैर्तो फिगुइरेडो से अलग अलग मुलाकात की. खुर्शीद और वेस्टरवेले इस साल प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के जर्मनी दौरे के सिलसिले में भी मिले थे.
सुरक्षा परिषद में इस समय 15 सदस्य हैं. इनमें से पांच अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन संस्था के स्थायी सदस्य हैं और उन्हें फैसलों को वीटो करने का अधिकार है. बाकी 10 सदस्यों को महासभा दो-दो साल के लिए चुनती है. जर्मनी और भारत 2011-12 में सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य रहे हैं. सुरक्षा परिषद में होने वाले किसी भी विस्तार के लिए महासभा में दो तिहाई बहुमत की जरूरत होगी, जिसमें सभी पांच स्थायी सदस्यों का समर्थन भी जरूरी होगा. अब तक स्थायी सीटों के बंटवारे सवाल पर मतभेद के कारण सुरक्षा परिषद का सुधार टलता रहा है.
एमजेएनआर (एएफपी)