जब कोलोन का आसमान जल उठा
ब्रिटेन ने इसे ऑपरेशन मिलेनियम का नाम दिया था. 30 मई 1942 को कोलोन शहर के ऊपर कार्पेट बमबारी हुई. कोलोनवासियों के लिए ये 1000 बमवर्षकों वाली रात थी. दो घंटे के अंदर कोलोन का चेहरा बदल गया.
प्रसिद्ध कैथीड्रल और मलबा
बम की मॉनसूनी बरसात में भी कैथीड्रल के गुंबदों को कुछ नहीं हुआ. कुछ लोग कहते हैं कि ऐसा धार्मिक ताकत की वजह से हुआ. लेकिन पाइलटों के लिए ये गुंबद मई 1942 की रात में कोलोन को पहचानने का सबसे अच्छा जरिया थे. विशेषज्ञों का मानना है कि गोथिक आर्किटेक्ट भी उसके बचने की वजह रही. अनगिनत खिड़कियों ने बम के दबाव को बाहर निकालने में मदद की.
पुराना कोलोन
हर कहीं कोलोन का पुराने रूप में निर्माण करना संभव नहीं था. 3330 इमारतें और 41,000 फ्लैट बमबारी का शिकार हुए थे. नये घर आनन फानन में किफायती तरीके से बनाये गये. आज पुराना शहरों पर्यटकों का अड्डा है.
युद्ध घर पर आया
31 मई को रात 12 बज कर 47 मिनट पर कैथीड्रल के निकट शुरू हुई बमबारी में 469 लोग मारे गये. सुबह 3 बजकर 10 मिनट तक 20 हवाई सुरंगे फटीं, 864 बम फेंके गये और 1044 फॉस्फोरस बम. 45,000 लोग कुछ ही घंटों में बेघर हो गये.
पुराने कोलोन का अंत
कोलोन मध्य युग में सबसे बड़ा कारोबारी और विश्वविद्यालय शहरों में से एक हुआ करता था. इस पुराने रोमन शहर के चेहरे को 30 मई की रात गहरा जख्म लगा. ये जख्म आज भी देखे जा सकते हैं. बहुत लोग मानते हैं कि कैथीड्रल और राइन नदी के बिना कोलोन बदसूरत शहर होता.
विवादास्पद जनरल
बॉम्बर हैरिस के नाम से कुख्यात आर्थर हैरिस को जर्मन शहरों पर कार्पेट बटम्बिंग का जनक माना जाता है. आम नागरिकों पर बमबारी के जरिये दुश्मन का मनोबल तोड़ने की उनकी रणनीति ब्रिटेन में भी विवादित थी. उन्हें इन हमलों के कारण ब्रिटिश संसद में जगह नहीं मिली.
हजार बमवर्षकों की रात
विंस्टन चर्चिल हर सुबह एयरफोर्स कमांड में टेलिफोन करते और जर्मन शहरों पर रात में हुए हमलों की खबर लेते. लेकिन वायु सेना के जनरल हैरिस का जोश चर्चिल के लिए भी थोड़ा ज्यादा था. उन्होंने हैरिस को कहा बताते हैं, मैं कोलोन पर हमले से तंग आ गया हूं. हैरिस ने जवाब दिया, कोलोन के लोग भी.
कोलोन की ट्रिप
लैंकास्टर बमवर्षक पर कोलोन हमले के लिए हथियार लादे जा रहे हैं. अब ये हवाई हमले क्या युद्ध के लिए निर्णायक थे, इस पर इतिहासकार आज भी एकमत नहीं हैं. रॉयल एयरफोर्स को भी इस लड़ाई में बारी नुकसान हुआ. हर दूसरा वायुसैनिक लौटकर घर नहीं पहुंचा.
बॉम्बर हैरिस की तोहफा
बमों को निष्क्रिय करने वाले विशेषज्ञों का काम आज भी जारी है. मकान बनाने के लिए जमीन की खुदाई करते समय आज भी पुराने बम मिलते हैं. अक्सर बड़े इलाकों को खाली कराना पड़ता है. कितने बन अभी भी जमीन में दबे हैं किसी को पता नहीं. हैरिस ने एक बार कहा था, "वे पूर्ण युद्ध चाहते थे, हमने उन्हें पूर्ण युद्ध दिया."