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समाज

छात्रों और अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ता स्टूडेंट लोन

१२ जनवरी २०१९

अमेरिकी यूनिवर्सिटियों से अच्छे छात्र निकल रहे हैं या कर्ज में डूबे युवा? अमेरिकी अर्थव्यवस्था को यह सवाल परेशान कर रहा है. रिकॉर्ड स्टूडेंट लोन को अगली आर्थिक मंदी का बारूद कहा जा रहा है.

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तस्वीर: Fotolila/Leticia Wilson

टोनी विन्सेंट ने तीन साल पहले सार्वजनिक स्वास्थ्य में मास्टर्स किया. इसके लिए उन्हें भारी भरकम कर्ज लेना पड़ा. बीए और एमए की पढ़ाई पूरी करते करते विन्सेंट 1,00,0000 डॉलर के कर्ज में दब चुकी थीं. 15,000 डॉलर बीए में लगे. प्रतिष्ठित जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी से मास्टर्स डिग्री लेने में 85,000 डॉलर खर्च हुए.

पढ़ाई के बाद विन्सेंट ने एक एनजीओ में बतौर प्रोग्राम मैनेजर काम करना शुरू किया. नौकरी को तीन साल हो चुके हैं और 32 साल की विन्सेंट अब भी 80,000 डॉलर के कर्ज के नीचे दबी हैं.

विन्सेंट जैसी हालत करीब 4.4 करोड़ अमेरिकियों की है, ये सब स्टूडेंट लोन के नीचे दबे हैं. स्टूडेंट लोन की कुल रकम 1,500 अरब डॉलर है. अमेरिका में इससे ज्यादा कर्ज सिर्फ मोर्टगेज सेक्टर में फंसा है. अमेरिका में कुल कर्ज का सात फीसदी हिस्सा स्टूडेंट लोन का है. इसके अलावा 64.2 अरब डॉलर का प्राइवेट स्टूडेंट लोन भी है जो बैंकों और अन्य संस्थाओं ने दिया है.

अमेरिका के केंद्रीय संघीय बैंक, फेडरल रिजर्व ने जून 2018 में एक शोध किया. शोध के मुताबिक अमेरिका में पढ़ने वाले सभी छात्रों में से 42 फीसदी कर्ज के नीचे दबे हुए हैं. 20 साल के छात्रों पर ही औसतन 25,000 डॉलर का कर्ज चढ़ा हुआ है.

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कर्ज डूबा तो मुश्किल में पड़ जाएगी अमेरिकन ट्रेजरीतस्वीर: AP

नौकरी चाहिए तो डिग्री लाओ

जिन छात्रों ने 2016 में पढ़ाई शुरू की, उन पर औसतन 37,000 डॉलर का कर्ज चढ़ा हुआ है. अमेरिकन काउंसिल ऑन एडुकेशन के डायरेक्टर जॉन फैनस्मिथ के मुताबिक कर्ज में दबने वाले छात्रों की संख्या बढ़ती जा रही है, "ज्यादा लोग स्कूल जा रहे हैं और ज्यादा लोग कर्ज ले रहे हैं और ये कोई बहुत बुरी बात नहीं है."

2018 के पतझड़ तक दो करोड़ छात्रों ने अमेरिका की यूनिवर्सिटियों में दाखिला लिया. सन 2000 में ऐसे छात्रों की संख्या 1.5 करोड़ थी. जॉब मार्केट की वजह से ऊंची डिग्री लेना जरूरी होता जा रहा है. जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च के मुताबिक 2020 तक 65 फीसदी नौकरियां उन्हीं को मिलेंगी, जिनके पास कम से कम स्नातक की डिग्री हो.

टोनी विन्सेंट पढ़ाई पर किए गए खर्च को निवेश की तरह देखती हैं. लेकिन इस निवेश की रकम लगातार बड़ी होती जा रही है. सरकारी कॉलेज में अब चार साल की पढ़ाई का औसत खर्च 20,000 डॉलर है और प्राइवेट कॉलेज में 50,000 डॉलर.

कर्ज लेने वाले छात्रों को औसतन हर महीने 351 डॉलर की किस्त भरनी पड़ती है. यह किस्तें दशकों तक चलती हैं. ज्यादातर छात्र दो साल बाद ही किस्त भरने में नाकाम हो जाते हैं और लोन डिफॉल्टरों की श्रेणी में आ जाते हैं.

कोंस्टांटिन यानेलिस न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी में फाइनेंस पढ़ाती हैं. उन्होंने स्टूडेंट लोन पर रिसर्च की है. वह इस बात की पुष्टि करती हैं कि अमेरिका में 4 करोड़ से ज्यादा छात्र कर्ज में दबे हैं. इनमें से 10 फीसदी दो साल से पहले ही डिफॉल्टर बन जाते हैं.

मंदी न ले आए स्टूडेंट लोन

स्टूडेंट लोन के 90 फीसदी मामलों में राज्य कर्ज देता है, यानि कर्जदाताओं के पैसे से स्टूडेंट लोन दिया जाता है. लेकिन ऋण न चुका पाने वाले छात्रों की संख्या जिस तेजी से बढ़ रही है, उससे वित्त विशेषज्ञ चिंता में हैं. ब्रूकिंग्स इंस्टीट्यूट के मुताबिक 2023 तक करीब 40 फीसदी छात्र कर्ज चुकाने में नाकाम हो जाएंगे. हो सकता है कि विशाल कर्ज के डूबने से 2008 की मंदी जैसे हालात पैदा हों.

अमेरिकी मीडिया में अब स्टूडेंट लोन की तुलना 2008 में डूबे लेमन ब्रदर्स इनवेंस्टमेंट बैंक से हो रही है. लेमन ब्रदर्स इनवेस्टमेंट बैंक के डूबने के साथ ही अमेरिका में मंदी शुरू हुई और फिर पूरी दुनिया उसकी चपेट में आ गई. अमेरिकी बिजनेस चैनल सीएनबीसी स्टूडेंट लोन को कभी भी फूटने वाला बुलबुला बता रहा है. फॉक्स न्यूज और मार्केट वॉच इसे संकट बता रहे हैं.

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ओबामा का कर्ज माफी कार्यक्रम मुश्किल मेंतस्वीर: picture alliance/dpa/T.Maury

अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर असर

अमेरिका की मौद्रिक नीति तय करने वाले फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पॉवेल अमेरिकी संसद से कह चुके हैं कि युवाओं का कर्ज में डूबना देर सबेर अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाएगा. युवाओं के पास घर और कार खरीदने का पैसा नहीं होगा. वे खरीदारी करने में भी हिचकिचाएंगे. पॉवेल के मुताबिक कर्ज का बोझ माक्रो इकोनोमिक्स को जोखिम में डालेगा.

पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के प्रशासन ने छात्रों को राहत देने के लिए कर्ज माफी का कार्यक्रम चलाया था. कार्यक्रम के तहत पढ़ाई के बाद सरकारी नौकरी करने वाले छात्रों का लोन माफ किया गया. लेकिन अमेरिकी शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक डॉनल्ड ट्रंप के कार्यकाल में कर्ज माफी की 99.5 फीसदी अर्जियां खारिज कर दी गईं. ट्रंप प्रशासन प्रोग्राम को खत्म करना चाहता है.

सोफी शीमांस्की, न्यूयॉर्क/ओएसजे