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चीन का बढ़ता दखल क्या नेपाल में भारत का असर कम करेगा

१४ अक्टूबर २०१९

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का नेपाल दौरा रविवार को दोनों देशों के बीच 20 समझौतों पर दस्तखत के साथ खत्म हुआ. इसमें चीन और नेपाल के बीच हिमालय पार रेल लाइन बनाने का करार भी शामिल है.

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Xi Jinping in Nepal
तस्वीर: picture-alliance/dpa/L. Xueren

चीन और नेपाल के गहराते रिश्ते में क्या भारत के लिए कोई संदेश है? भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लंबी मुलाकातों के बाद शनिवार को शी जिनपिंग काठमांडू पहुंचे. यह किसी चीनी राष्ट्रपति की दो दशकों में पहली नेपाल यात्रा थी. यात्रा का समापन 18 करारों और दो पत्रों के लेनदेन से हुआ. इसमें संपर्क, सुरक्षा, सीमा प्रबंधन, कारोबार, पर्यटन और शिक्षा के क्षेत्र में हुए करार शामिल हैं.

इसमें एक करार चीन और नेपाल के बीच रेलवे प्रोजेक्ट भी है जो चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड परियोजना का भी हिस्सा है. चीन चिंगाई- तिब्बत रेललाइन को काइरुंग तक बढ़ाने पर काम कर रहा है. यह नेपाल की सीमा से महज 35 किलोमीटर दूर है और राजधानी काठमांडू से करीब 70 किलोमीटर. तिब्बत के गाइरोन से काठमांडू को जोड़ने वाली रेल लाइन देश में आधारभूत ढांचे के लिहाज से सबसे महत्वाकांक्षी परियोजना होगी.

एक चीनी दल ने पहले ही इस प्रोजेक्ट के लिए शुरुआती अध्ययन कर लिया है. इसके साथ ही एक 28 किलोमीटर लंबी सुरंग भी बनाई जाएगी जो सड़क मार्ग से काठमांडू की चीनी सीमा से दूरी को आधी कर देगी. नेपाल के आधारभूत संरचना और परिवहन मंत्रालय के प्रवक्ता राजेशोर ग्यावाली का कहना है, "चीन रेल परियोजना पर एक नया अध्ययन करेगा और सुरंग वाले मार्ग को बनाने के लिए मदद देगा. सीमा की नाकेबंदी की स्थिति में इससे हमें वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध होगा."

Mount Everest
तस्वीर: picture alliance/dpa/XinHua/Zhang Rufeng

शी का नेपाल दौरा और दोनों देशों के बीच हुए समझौते इस लिहाज से अहम हैं कि भारत पारंपरिक रूप से नेपाल का बड़ा सहयोगी रहा है. दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध होने के साथ ही तीन दिशाओं में करीब 1,751 किलोमीटर लंबी खुली सीमा है. 2016 में चीन और नेपाल के बीच रेल संपर्क पर सहमति बनी थी. इसके जवाब में भारत ने भी काठमांडू तक रेल सेवा का विस्तार करने की बात की और साथ ही इसके जलमार्गों के जरिए भी संपर्क को मजबूत बनाने का एलान किया.

नेपाल के त्रिभुवन विश्वविद्यालय में राजनीति पढ़ाने वाले प्रोफेसर कपिल श्रेष्ठ का कहना है कि शी के दौरे से दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत होंगे और इससे भारत के "नेपाल के मामलों में दबंगई पर लगाम लगेगी." कपिल श्रेष्ठ ने कहा, "इस यात्रा से भारत का प्रभाव थोड़ा कम होगा और 2015 में जिस तरह आर्थिक नाकेबंदी की थी उस तरह के कदमों के बारे में दिल्ली दो बार सोचेगी. चीन के लिए नेपाल में एक अनुकूल सरकार है और दक्षिण एशिया में अपने कदम बढ़ाने का सबसे आसान रास्ता भी."

Nepal Transport und Handel in der Nähe zu China
नेपाल से लगता तिब्बत का इलाकातस्वीर: Getty Images/AFP/P. Mathema

हालांकि तिब्बत को लेकर नेपाल की स्थिति अभी भी चिंता बनी हुई है. कपिल श्रेष्ठ का कहना है कि चीन के साथ संबंध बढ़ाने के प्रयासों में नेपाल को लोकतंत्र, मानवाधिकार और तिब्बती शरणार्थियों के अधिकारों की रक्षा को लेकर अपने मूल सिद्धांतों से समझौता नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा, "नेपाल का तिब्बत के साथ एक सहजीवी और मूलभूत संबंध है."

हालांकि नेपाल के विदेश मंत्रालय से जारी बयान में चीन के साथ प्रत्यर्पण संधि का जिक्र नहीं हुआ. दोनों देशों की बातचीत के एजेंडे में इसके शीर्ष पर रहने की बात थी. हालांकि नेपाली अधिकारियों ने इससे पहले प्रत्यर्पण के मामले में तुरंत कोई समझौता होने से इनकार किया था. चीन नेपाल पर इस समझौते के लिए कुछ सालों से दबाव बना रहा है. चीन का कहना है कि इससे सीमावर्ती इलाकों का प्रशासन बेहतर होगा और लोगों का गैरकानूनी तरीके से सीमापार जाना,  बैंकिंग धोखाधड़ी, मानव तस्करी, सोना और जंगली जीवों कें अंगों की तस्करी, इन सब पर लगाम लग सकेगी. नेपाल की अर्थव्यवस्था और राजनीति पर भारत का बहुत प्रभाव है जबकि चीन के साथ लगती नेपाल की सीमा मुख्य रूप से ऊंचे पहाड़ों से घिरी है.

चीनी राष्ट्रपति के दौरे ने नेपाल के पर्यटन क्षेत्र में भी भारी उत्साह पैदा किया है. नेपाल पहुंचने से पहले नेपाली मीडिया में छपे एक आर्टिकल में शी जिनपिंग ने नेपाल को चीन के सैलानियों के लिए दक्षिण एशिया की पहली स्वीकृत मंजिल घोषित किया. इसके साथ ही शी जिनपिंग ने "विजिट नेपाल 2020" को भी समर्थन देने का वादा किया. नेपाल के प्रधानमंत्री के पी ओली ने "विजिट नेपाल 2020" का एलान किया है जिसके तहत 2020 में 2 करोड़ सैलानियों को नेपाल बुलाने का लक्ष्य है.

एनआर/आईबी (रॉयटर्स, एपी)

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