चमकने वाले जीव
प्राणियों के खुद को रोशन की क्षमता को बायोलुमिनेसेंस कहा जाता है. देखें कि कौन कौन से प्राणियों में खुद ये क्षमता होती है और कौन से इंसानी करामात के कारण रोशन हैं.
जीव और रंग
थ्योरी में सभी जानवर जीन तकनीक से रोशन हो सकते हैं. उरुग्वे के एक शोध संस्थान ने एक इस तरह के भेड़ बनाए हैं. जब उनपर पराबैंगनी रोशनी डाली जाती है तो वह पीले चमकते हैं.
पानी के नीचे
इस खास जेलीफिश को जब कोई छूता है तो यह रोशन हो जाती है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह बायोल्यूमिनेसेंट है, मतलब जो खुद से या फिर बैक्टीरिया के कारण चमकती है.
समुद्र में लाइट
एक कोशिका वाले जीव भी लाइट पैदा कर सकते हैं, जैसे यह डाइनोफ्लेगेलेट. कोशिका की तह टूटने या फिर तेजी से तैरती मछलियों के कारण इनकी लाइट ऑन हो जाती है.
पूंछ में लाइट
जुगनू इन जीवों में सबसे मशहूर है. वह अपनी पूंछ के आखिरी हिस्से में लुसिफेरिन पैदा करता है जो ऑक्सीजन के साथ मिलकर रोशनी पैदा करता है. नर और मादा जुगनू भी इसी रोशनी से संवाद करते हैं.
गहरे समंदर में
गहरे समंदर में रहने वाली कई मछलियों में भी यह क्षमता होती है जैसे इस मरीन हैचफिश में. कुछ अंधेरे के कारण लाइट पैदा करती हैं तो कुछ शिकार को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए.
आंखों से
स्टोमेइड नाम की मछली भी रोशन होती है. गहरे सागर में रहने वाली इस मछली की आंखों के पीछे लाइट वाला अंग होता है जो लाल रोशनी पैदा करता है. समंदर में यह अजीब रंग है. दूसरे समुद्री जीवों को इस मछली की लाइट नहीं दिखती.
जीन तकनीक से
चूहे वैसे तो चमकते नहीं हैं. लेकिन प्रयोगशाला में कुछ भी हो सकता है. अगर इनकी कोशिकाओं में हरे फ्लोरोसेंट लाइट बन सके तो चूहे भी चमकेंगे. नीले लाइट में पूरा चूहा हरा चमकता है.