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घोटालों के बीच यूपीए सरकार का तीसरा साल

२१ मई २०११

बड़े घोटालों और जेल पहुंचे बड़े नेताओं की बदनामी के साथ कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए सरकार ने भारत में दो साल पूरे कर लिए. लेकिन दूसरी पारी में आर्थिक मोर्चे पर सरकार विफल रही और विकास के नाम पर सिर्फ घोटाले सामने आए.

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तस्वीर: AP

करीब सात साल पहले सोनिया गांधी के इनकार के बाद मनमोहन सिंह ने भारत के प्रधानमंत्री पद की गद्दी संभाली. तब उनके सामने कोई मुश्किल नहीं थी और उन्होंने बहुत जल्दी ही काफी लोकप्रियता भी हासिल कर ली. वह दूसरी बार भी चुन कर आए. लेकिन पिछले सात महीने में 79 साल के मनमोहन सिंह ने सिर्फ परेशानियां ही देखी हैं. वह एक समस्या से निकल भी नहीं पाते कि दूसरी में फंस जाते हैं.

इस बीच केंद्र की सरकार को कामयाबी सिर्फ हाल के विधानसभा चुनावों के दौरान मिली. जब उसने दक्षिण भारत में केरल की सत्ता पर दोबारा कब्जा कर लिया और पश्चिम बंगाल में उसकी सहयोगी पार्टी तृणमूल कांग्रेस को कामयाबी मिली, जिसने 34 साल बाद वामपंथी पार्टी को बंगाल से निकाल बाहर किया. गठबंधन सरकार ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के लिए रविवार शाम को कुछ कार्यक्रम की व्यवस्था की है.

Flash-Galerie Indien Unabhängigkeitstag
तस्वीर: UNI

टेलीकॉम के 2जी घोटाले, कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाले, आदर्श हाउसिंग घोटाला और पीजे थॉमस को केंद्रीय सतर्कता आयुक्त बनाया जाना हाल के दिनों में सरकार के लिए बेहद शर्मिंदगी के सबब बन कर उभरे. सरकार को यह फजीहत तो उस वक्त भी नहीं देखनी पड़ी थी, जब पिछली सरकार वामपंथी पार्टियों के सहारे बनी थी और परमाणु करार के मौके पर लेफ्ट ने समर्थन वापस ले लिया था.

घोटाले पर घोटाला

2जी स्कैम में तो भारत की सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तक को फटकार लगाई और पूछा कि जब टेलीकॉम मंत्री ए राजा के खिलाफ इतने संकेत मिल रहे हैं, तो उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है. इस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी मुश्किल दिन देखने पड़ रहे हैं. उनका ज्यादातर समय पार्टी की क्षतिपूर्ति में निकल रहा है.

महंगाई के मुद्दे ने जितना आम भारतीयों को परेशान कर रखा है, आर्थिक समझ में पारंगत प्रधानमंत्री भी उससे उतने ही परेशान हैं. सब्जियों और रोजमर्रा की चीजों के अलावा पेट्रोल की कीमतें आसमान पर पहुंच गई हैं, जिसके दूरगामी असर होते दिख रहे हैं.

Wahlen in Indien 2009
तस्वीर: AP

पूर्व टेलीकॉम मंत्री ए राजा के अलावा कांग्रेस के दिग्गज नेता और सांसद सुरेश कलमाडी के अलावा डीएमके की सांसद कनिमोडी भी दिल्ली के तिहाड़ जेल में पहुंच गई हैं. ऊपर से नीरा राडिया के टेपों ने मनमोहन सिंह सरकार की क्षमता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं.

समस्याएं और भी

इसके अलावा दागदार अधिकारी पीजे थॉमस को सीवीसी बनाने का सरकार का फैसला भी उलटा पड़ा और अभी हाल में भारत सरकार की वांटेड लोगों की सूची की वजह से भी किरकिरी हुई. पाकिस्तान को दी गई वांछितों की सूची में शामिल लोग भारत में ही पाए जा रहे हैं.

इस बार केंद्र सरकार को लेफ्ट के सपोर्ट की जरूरत नहीं थी और समझा जा रहा था कि वह अर्थव्यवस्था में बेहतरी करने के कुछ उपाय कर सकती है. लेकिन दो साल में कुछ भी नहीं हुआ.

पिछले साल संसद का शीतकालीन सत्र 2जी घोटाले की वजह से बेकार हो गया. विपक्ष संयुक्त संसदीय समिति की मांग पर अड़ गया. एक दिन भी कामकाज नहीं हुआ. विपक्ष इसे अब तक का सबसे बड़ा घोटाला बता रही है, जिसमें 176 अरब रुपयों के घोटाले का अंदेशा है.

जिस वक्त पूरा देश घोटालों के आगोश में था, गांधीवादी अन्ना हजारे ने लोकपाल बिल की मांग को लेकर दिल्ली में अनिश्चितकालीन अनशन शुरू कर दिया. विपक्ष का कहना है कि यूपीए 2 किस तरह काम कर रहा है, पता ही नहीं चलता. समाजवादी पार्टी के महासचिव मोहन सिंह का कहना है, "सरकार का कोई न्यूनतम साझा कार्यक्रम या कोई दूसरा एजेंडा ही नहीं है. यूपीए 1 ने तो अच्छा काम किया था और नरेगा तथा सूचना के अधिकार जैसे मुद्दों को सफल बनाया था."

NO FLASH Obama in Indien
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सरकार की सफाई

बुरे में भला खोजते कांग्रेस पार्टी का तर्क है कि गलतियां सामने आने के बाद किसी सरकार ने इतनी तेजी से काम नहीं किया होगा, जितनी तेजी से यूपीए सरकार कर रही है. कांग्रेस के एक नेता का कहना है कि सरकार के पास कोई और चारा भी नहीं है क्योंकि आभासी तौर पर देश सीबीआई, अदालतों और मीडिया के जरिए चल रहा है.

सरकार के इस कदर दबाव में है कि एक बार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी कहना पड़ा कि वह उतने जिम्मेदार नहीं हैं, जितना उन्हें बताया जा रहा है. सिंह का कहना है कि गठबंधन सरकार में कुछ मजबूरियां तो होती ही हैं.

सरकार के साथियों की स्थिति भी अच्छी नहीं है. शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी और कांग्रेस में दरार पैदा हो गई है, जो बढ़ती जा रही है. डीएमके का तमिलनाडु में बुरा हाल हो गया है और वह चुनावों में परास्त हो गई है. उसके नेता टेलीकॉम घोटाले में फंसते जा रहे हैं. तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में जीत हासिल करने के बाद दिल्ली से दूर रहने का फैसला किया है.

आने वाला साल भी यूपीए के लिए आसान नहीं होने वाला है. देश के सबसे महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश में चुनाव होने हैं और सरकार को अगले राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति को भी चुनना है.

जहां तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के साख की बात है, उसने अच्छी पहचान बनाने में कामयाबी हासिल की है. बड़े देश उसे अब एक परिपक्व, मजबूत और जिम्मेदार राष्ट्र मान रहे हैं. अर्थव्यवस्था करीब 8.5 फीसदी की दर से बढ़ रही है. लेकिन जानकारों का कहना है कि यूपीए सरकार अभी देश के अंदर बेहद मुश्किल दौर से गुजर रही है.

रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल

संपादनः एस गौड़

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