घृणा के खिलाफ वैश्विक अभियान की दरकार
२५ फ़रवरी २०१९घृणा फैलाने वाली भाषा के खिलाफ वैश्विक रणनीति का एलान करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा, "चाहे उदारवादी लोकतंत्र हो या अधिकारवादी सिस्टम- घृणा मुख्यधारा की तरफ बढ़ रही है." यूएन काउंसिल के 40वें सत्र के आगाज के मौके पर उन्होंने यह बात रखी.
गुटेरेस ने कहा, "कुछ बड़ी राजनीतिक पार्टियां और नेता असामाजिक तत्वों के आइडिया, कॉपी पेस्ट कर उन्हें अपना प्रोपेगेंडा बना रहे है और चुनावी अभियानों में उनका इस्तेमाल कर रहे हैं." आप्रवासन जैसे मुद्दों पर "विषैली" बहस बढ़ रही है.
यूएन महासचिव के मुताबिक, दुनिया भर में सरकारें नस्लभेद और हेट स्पीच के सहारे राजनीतिक माहौल को बदलते हुए देख रही हैं. वे चिंता में हैं और बहुत कुछ नहीं कर पा रही हैं.
हाल के समय में जर्मनी और फ्रांस जैसे देशों में भी यहूदियों के खिलाफ घृणा भरी भाषा और हरकतों में तेजी देखी गई है. फ्रांस में कई यहूदियों की कब्रों पर स्वास्तिक का निशान बना दिया गया. कुछ जगहों पर यहूदियों के घरों के बाहर धमकी भरे खत भी टांगे गए. जर्मनी में भी यहूदियों के प्रति घृणा के मामले काफी बढ़े हैं.
संयुक्त राष्ट्र चाहता है कि घृणा भरे माहौल को काबू में करने के लिए सभी देश साथ आएं. इस पहल के लिए एक गैर बाध्यकारी सहमति पत्र भी तैयार किया जा रहा है. गुटेरेस के मुताबिक, इंसान के एक जगह से दूसरी जगह जाने पर होने वाली बहस, रिफ्यूजी और माइग्रेशन से जुड़ते हुए आतंकवाद तक पहुंच गई. "समाज में मौजूद कई खामियों के लिए इसे ही जिम्मेदार ठहराया जा रहा है."
संयुक्त राष्ट्र के चीफ ने स्वीकार किया कि अब तक इस दिशा में की गई कोशिशें नाकाम साबित हुए हैं. दिसंबर में जब इस मुद्दे पर एक सहमति पत्र लाने की कोशिश की गई तो 17 देश नदारद हो गए.
अब यूएन में जातीय संहार प्रिवेंशन के स्पेशल एडवाइजर एडमा डिएंग की नेतृत्व में हेट स्पीच के खिलाफ वैश्विक अभियान शुरू किया जा रहा है. डिएंग संयुक्त राष्ट्र के दिग्गज कूटनीतिक कहे जाते हैं. गुटेरेस ने कहा कि, सेनेगल से आने वाले वकील डिएंग अब घृणा भरी भाषा से निपटने के लिए हर तरह के सिस्टम में फिट बैठने वाली रणनीति बनाएंगे और ग्लोबल एक्शन प्लान भी सामने रखेंगे.
हेट स्पीच को फैलाने में सोशल मीडिया और इंटरनेट की भी बड़ी भूमिका है. कई देशों की सरकारें दिग्गज सोशल मीडिया कंपनियों पर हेट स्पीच को रोकने के लिए कानूनी बंदिशें भी लगा रही हैं. लेकिन कुछ सरकारें इसकी आड़ में अभिव्यक्ति की आजादी पर शिकंजा कसने की फिराक में हैं. वे घृणा फैलाने वाले माहौल का इस्तेमाल अपने राजनीति फायदे के लिए कर रही हैं.
(ट्रोल्स से कैसे बचें?)
ओएसजे/एनआर (एएफपी)