घाटी में हिंसक विरोध, दिल्ली में सर्वदलीय बैठक
१५ सितम्बर २०१०बीते तीन महीनों के दौरान सोमवार सबसे त्रासद रहा जब विरोध प्रदर्शनों में 17 लोग पुलिस फायरिंग में मारे गए. लेकिन प्रदर्शनों में कोई कमी नहीं आई और युवाओं ने कर्फ्यू का उल्लंघन कर सुरक्षा बलों पर पथराव किया. बारामूला, बांदीपुरा और बड़गाम जिले से प्रदर्शनों की खबरें मिली हैं और तीन घायलों की हालत गंभीर बताई जा रही है. दो युवक तब गंभीर रूप से घायल हो गए जब सुरक्षा बलों ने पथराव कर रही भीड़ को तितर बितर करने के लिए श्रीनगर के बेमिना इलाके में फायरिंग की.
पुलिस का कहना है कि सुरक्षा बलों ने राजमार्ग को अवरूद्ध कर रही भीड़ को हटाने के लिए पहले आंसूगैस के गोले छोड़े लेकिन पथराव जारी रहा जिसके चलते पुलिस ने गोलियां चलाईं. फयाज अहमद नाइक को सिर में गोली लगी है और उनकी हालत गंभीर है. वहीं बड़गाम में नेशनल कांफ्रेंस के प्रांतीय अध्यक्ष अली मोहम्मद डार के घर पर हमला किए जाने की रिपोर्टें हैं. पुलिस ने जवाब में फायरिंग की और वहां भी दो लोग घायल हुए हैं. बिलाल अहमद बेग और इम्तियाज अहमद को अस्पताल में दाखिल कराया गया है.
बांदीपुरा जिले में पूर्व एमएलसी हबीबुल्लाह के घर पर भी भीड़ ने पथराव किया लेकिन पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को खदेड़ दिया. श्रीनगर से 50 किलोमीटर दूर खानपुरा में भी कर्फ्यू का उल्लंघन करते हुए घरों से बाहर निकल आए और उन्होंने पुलिस और अर्धसैनिक बलों पर पथराव किया. सुरक्षा बलों की फायरिंग में जाविद और तारिक अहमद घायल हुए हैं. जियानकोट इंडस्ट्रीयल एरिया में सीआरपीएफ बटालियन के मुख्यालय पर भी हमला किए जाने की रिपोर्टें हैं.
कश्मीर में हिंसा और विरोध प्रदर्शनों में कमी न आती देख केंद्र सरकार चिंतित है और बुधवार को इस मुद्दे पर विचार विमर्श के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है. सोमवार को सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक में आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर्स एक्ट को आंशिक रूप से हटाने पर कोई फैसला नहीं हो पाया था. प्रधानमंत्री कार्यालय सूत्रों का कहना है कि सरकार विपक्षी दलों के साथ आम राय बनाकर कश्मीरी जनता में भरोसा कायम करने के लिए कई कदमों पर फैसला लेना चाहती है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: आभा एम