ग्वाटेमाला भी येरुशलम ले जाएगा अपना दूतावास
२५ दिसम्बर २०१७फेसबुक पर जारी बयान में राष्ट्रपति मोराल्स ने बताया है कि उन्होंने अपने विदेश मंत्री सांद्रा जोवेल को यह फैसला लागू करने के लिए कहा है कि और इस्राएल के प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू को इसकी जानकारी दे दी है. गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र ने भारी बहुमत से प्रस्ताव पारित कर अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से अपने विवादित फैसले को वापस लेने को कहा. इस प्रस्ताव के विरोध में सिर्फ 9 देशों ने वोट दिया जबकि 128 देश इसके समर्थन में सामने आए.
इस्राएल ने ग्वाटेमाला के इस कदम का स्वागत किया है. इस्राएली संसद के स्पीकर यूली एलटेल्स्टाइन ने सोमवार को कहा कि ग्वाटेमाला के राष्ट्रपति जिम्मी मोराल्स और उनका देश "इस्राएल के सच्चे दोस्त" हैं.
मोराल्स ने अमेरिका को समर्थन देने के फैसले को सही ठहराते हुए कहा, "हालांकि पूरी दुनिया में हम सिर्फ 9 देश ही हैं लेकिन हमें पक्का यकीन है कि सही रास्ता यही है." रविवार को मोराल्स ने कहा कि यहूदी राष्ट्र बनने के समय से ही ग्वाटेमाला और इस्राएल के बीच "बढ़िया रिश्ते" हैं.
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका और इस्राएल का साथ देने वाले देशों में होंडुरास, मार्शल आइलैंड्स, मिक्रोनेशिया, नाउरू, पलाउ, और टोगो भी शामिल हैं. हालांकि ब्रिटेन, फ्रांस, जापान और भारत समेत अमेरिका के कई प्रमुख सहयोगी देशों ने इस अमेरिकी धमकी को किनारे कर इस मुद्दे पर उसके खिलाफ वोट दिया.
येरुशलम फलस्तीन और इस्राएल के बीच विवाद की एक प्रमुख धुरी रहा है. इस्राएल ने 1967 में येरुशलम के पूर्वी हिस्से पर कब्जा कर लिया और बाद में इस हिस्से को अपने साथ मिला लिया. इस्राएल के इस कदम को अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं मिली. पूर्वी येरुशलम में 3 लाख से ज्यादा फलस्तीनी लोग रहते हैं और यह यहूदियों, मुसलमानों और ईसाइयों के लिए प्रमुख धार्मिक केंद्र है.
एनआर/एके (डीपीए)