1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

गुजरात दंगे: ओद नरसंहार में 23 दोषी , 23 बरी

९ अप्रैल २०१२

गुजरात दंगों की सुनवाई की कर रही विशेष अदालत ने ओद नरसंहार मामले में 23 लोगों को दोषी करार दिया. ओद में एक मार्च 2002 को दंगाइयों ने कई महिलाओं और बच्चों समेत 23 लोगों को जिंदा जला दिया.

https://p.dw.com/p/14Zjk
तस्वीर: AP

आणंद की विशेष अदालत ने अल्पसंख्यक समुदाय के 23 लोगों को जिंदा जलाने के मामले में 23 लोगों को दोषी करार दिया. 23 आरोपी सबूतों के अभाव के चलते कानून के फंदे से बच निकले, उन्हें बरी कर दिया गया. अभियोजन पक्ष ने दोषियों को अधिकतम सजा देने की मांग की है.

गुजरात में 2002 में हुए दंगों के दौरान एक मार्च ओद कस्बे के पिरावली भोगल इलाके में 2,000 दंगाई जमा हुए. इस दौरान मुस्लिम समुदाय के लोग जान बचाने के लिए एक घर में छुपे हुए थे. दंगाइयों ने इसी घर पर पेट्रोल और कैरोसिन डालकर आग लगा दी. इस बर्बर घटना में 23 लोग जिंदा जल गए. मृतकों में ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे.

गुजरात पुलिस पर इस मामले में ढिलाई के आरोप लगे. बाद में मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के मार्फत सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. सर्वोच्च अदालत ने मामले की जांच के लिए विशेष जांच समिति (एसआईटी) का गठन किया. सुप्रीम कोर्ट ने नौ मामलों की जांच एसआईटी को सौंपी. जांच के बाद विशेष जज एसवाई त्रिवेदी ने 47 लोगों पर हत्या, साजिश, दंगे, गैरकानूनी ढंग से इकट्ठा होने, हत्या की कोशिश और सबूत मिटाने की कोशिश के आरोप तय किए. सुनवाई के दौरान एक आरोपी की मौत भी हो गई.

Unruhen in Gujarat 2002
तस्वीर: picture-alliance/dpa

मामले का एक आरोपी हीरुभाई पटेल अब भी फरार है. उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस है. एसआईटी के मुताबिक पटेल और एक दूसरा आरोपी अरविंद साताभाई दंगे के बाद विदेश भाग गए. एसआईटी ने साताभाई को आरोपमुक्त करने का सुझाव दिया है.

सुनवाई के दौरान 158 लोगों ने गवाही दी. 35 गवाह पलट गए. एसआईटी ने अदालत के सामने 160 से ज्यादा दस्तावेजी सबूत पेश किए गए. 21 मार्च को सुनवाई पूरी हुई.

इसी अदालत में ओद का एक और मामला है. दो मार्च 2002 को कुछ दंगाइयों ने एक बुजुर्ग व्यक्ति की हत्या कर दी. इस मामले में 15 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज है. आरोपी वही हैं, जिन्होंने एक दिन पहले 23 लोगों को जिंदा जलाया. एसआईटी ओद में हुई सांप्रदायिक हिंसा के एक अन्य मामले की जांच कर रही है. उम्मीद है कि उसका फैसला 16 अप्रैल को आएगा.

गुजरात में 27 फरवरी 2002 के बाद सांप्रदायिक दंगे भड़के. गोधरा के पास साबरमती एक्सप्रेस की एक बोगी में अल्पसंख्यक समुदाय के कुछ लोगों ने आग लगा दी. जिस बोगी में आग लगाई गई उसमें अयोध्या से लौट रहे श्रद्धालु थे. 58 लोग बोगी के अंदर ही जिंदा जल गए. मृतकों में ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे.

इस घटना के बाद गुजरात के कई इलाकों में सांप्रदायिक दंगे शुरू हो गए. तीन दिन तक चली हिंसा में 790 मुस्लिम और 254 हिंदू मारे गए. 223 लोग लापता हो गए. आरोप लगते हैं कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी दंगाइयों को रोकने के लिए जरूरी कार्रवाई नहीं की. उन्होंने पुलिस दंगाइयों के खिलाफ कार्रवाई न करने के आदेश दिए.

रिपोर्टः ओ सिंह (पीटीआई)

संपादनः एन रंजन

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी