गर्मी में गश खातीं जर्मन सेना की गाड़ियां
२१ अप्रैल २०१७धूल, पथरीली सड़कें और करीब 50 डिग्री सेल्सियस की गर्मी ने जर्मन सेना की गाड़ियों की हालत खस्ता कर दी. माली भेजी गई आधी सैन्य गाड़ियां गश खा चुकी हैं. सिर्फ आधी ही ठीक से काम कर पा रही है. जर्मन सेना की गाड़ियों को संयुक्त राष्ट्र के मल्टीडायमेश्नल इंटीग्रेटेड स्टेबिलाइजेश मिशन के तहत माली भेजा गया था.
जर्मन अखबार "डी वेल्ट" ने इस बारे में रिपोर्ट भी छापी है. काफिले की आधी गाड़ियां माली के दुश्वार हालत में बोल गईं. उन्हें ठीक करने के लिए जरूरी पुर्जे भी नहीं भेजे जा सके हैं. अखबार के मुताबिक माली के गाओ में जर्मन मानकों के मुताबिक मैंटेनेंस की सुविधा नहीं है, लिहाजा खराब गाड़ियां जस की तस खड़ी हैं. माली में तैनात जर्मन सेना बुंडेसवेयर के एक अधिकारी ने अखबार से कहा, "माहौल ने तकनीक को ब्रेकिंग प्वाइंट तक पहुंचा दिया है."
माली के मौसम ने जर्मन सेना को उसकी मशीनों की सीमा साफ ढंग से दिखा दी है. डी वेल्ट के मुताबिक जर्मन सेना के टाइगर कॉम्बैट हेलिकॉप्टर को एक मई से काम पर लगना था. लेकिन हेलिकॉप्टर को 43.26 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा गर्मी होने पर उड़ान भरने की क्लीयरेंस नहीं है. पश्चिमी अफ्रीका के रेतीले गाओ इलाके में इस वक्त दिन के समय तापमान 43 से 45 डिग्री के बीच बना रहता है. इसका मतलब साफ है कि टाइगर हेलिकॉप्टर जमीन पर बैठकर गर्मी कम होने का इंतजार करता रहेगा.
पश्चिम अफ्रीकी देश माली में 2012 से गृह युद्ध जैसे हालात है. 2012 में हुए तख्ता पलट के बाद से ही देश सेना के विद्रोहियों, उग्रवादियों और आतंकियों के संघर्ष का अखाड़ा बना है. उत्तरी माली के टिम्बक्टू, किडाल और गाओ जैसे बड़े शहरों पर इस्लामिक स्टेट का खासा नियंत्रण हो चुका था. जनवरी 2013 में फ्रांस ने अपने पूर्व उपनिवेश माली को सैन्य मदद दी. फ्रांस ने इस्लामिक उग्रवादियों पर हवाई हमले शुरू किये. टिमबक्टू जैसी विश्व धरोहर को हुए नुकसान के बाद संयुक्त राष्ट्र की अगुवाई में माली में मल्टीडायमेश्नल इंटीग्रेटेड स्टेबिलाइजेश मिशन शुरू हुआ.
मिशन में अलग अलग देशों के कुल 15,209 कर्मचारी शामिल हैं. इनमें 13,289 सैन्य कर्मचारी हैं और 1,902 पुलिसकर्मी. भारत की तरफ से 6,763 सैनिकों समेत कुल 7,606 कर्मचारी माली मिशन में शामिल हैं.
(बिना सेना वाले देश)
ओएसजे/एमजे (एएफपी, डीपीए)