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गद्दाफी ने समर्थकों से कहा, सड़कों पर उतर आओ

२३ फ़रवरी २०११

लीबिया के नेता मुअम्मर गद्दाफी ने अपने समर्थकों से कहा है कि वे सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शनकारियों का सामना करें. हालांकि कुछ रिपोर्टों के मुताबिक गद्दाफी कई इलाकों पर नियंत्रण खो रहे हैं.

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मंगलवार को टीवी पर प्रसारित हुआ भाषणतस्वीर: Libya State Television via APTN/AP/dapd

गद्दाफी ने मंगलवार को जनता को संबोधित करते हुए कहा, "युवा महिलाओं और युवकों, जिन्हें गद्दाफी से प्यार है, आप अपने घरों से निकलें और सड़कों को घेर लें." सरकारी टीवी चैनल ने त्रिपोली की सड़कों पर गद्दाफी के समर्थकों के वीडियो दिखाए. मंगलवार को गद्दाफी के आदेश पर सुरक्षा बलों ने विरोध प्रदर्शनों को हिंसा से दबाने की कोशिश की और उन पर हवाई हमले भी किए. इनमें कम से कम 200 लोगों के मारे जाने के समाचार हैं. वहीं कुछ आंकड़ों के मुताबिक 400 लोग भी हिंसा में मारे गए हो सकते हैं. लीबिया के सरकारी रिपोर्टों के मुताबिक विरोध प्रदर्शनों में 300 लोगों की मौत हो गई है जिनमें 111 सैनिक भी शामिल हैं. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने लीबिया में हिंसा की निंदा की है. आधे से ज्यादा लोग लीबिया के दूसरे सबसे बड़े शहर बेनगाजी में मारे गए हैं. लीबिया के संसद जनरल पीपुल्स कांग्रेस के प्रमुख मोहम्मद ज्वेइ ने कहा कि नौ दिनों से चल रहे विरोध की जांच के आदेश दे दिए गए हैं.

Libyen Unruhen Proteste in Bengasi
बेनगाजी में प्रदर्शनतस्वीर: dapd

नियंत्रण खो रहे हैं गद्दाफी

हालांकि कुछ रिपोर्टों के मुताबिक गद्दाफी के सुरक्षा बल धीरे धीरे लीबिया की बड़ी शहरों पर अपना नियंत्रण खो रहे हैं. ब्रिटेन के फाइनेन्शियल टाइम्स के मुताबिक गद्दाफी के बेटों में धन को लेकर झगड़ा हो रहा है. यह जानकारी दो अमेरिकी अधिकारियों के बीच की बातचीत से मिली, जिसका खुलासा विकीलीक्स ने किया था. इन अफवाहों को खारिज करने के लिए गद्दाफी के बेटे सैफ अल इस्लाम बुधवार को देश को संबोधित करेंगे.

इस बीच लीबिया के गृह मंत्री अब्दुल फतह यूनुस ने अपने पद से इस्तीफा दिया और सुरक्षा बलों से मांग की कि वे गद्दाफी के खिलाफ विरोध से जुड़ जाएं. लीबिया में ऊंचे पदों पर कई अधिकारियों ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है. भारत, ऑस्ट्रेलिया और मलेशिया के बाद बुधवार को इंडोनेशिया, सिंगापुर और ब्रुनेई के राजदूत सलाहेद्दीन अल बिशारी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.

गद्दाफी के रवैये की निंदा

लीबिया के करीबी माने जा रहे पेरू ने देश के साथ संबंध तोड़ दिए हैं. यूरोपीय देशों में भी लीबिया में संकट को लेकर चिंता बढ़ रही है. इटली ने वहां से संभावित शरणार्थियों को लेकर चिंता जताई है. ट्यूनीशिया में विरोध के बाद वहां से लगभग 5,000 शरणार्थी इटली पहुंचे हैं जो वहां की सरकार के लिए परेशानी बन गया है. लीबिया में संकट की वजह से तेल दामों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. लीबिया ने इटली को तेल बेचना पूरी तरह बंद कर दिया है जिसके बाद इटली के प्रधानमंत्री सिल्वियो बर्लुस्कोनी ने गद्दाफी से शांति कायम करने की मांग की. अमेरिकी विदेश मंत्री हिलरी क्लिंटन सहित जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने भी गद्दाफी के भाषण की निंदा की और प्रतिबंधों की चेतावनी दी. वहीं विदेश मंत्री गिडो वेस्टरवेले के मुताबिक "जो परिवार अपने ही लोगों को धमकी दे रहा है और गृह युद्ध छेड़ रहा है वह खत्म है."

मंगलवार को जनता को संबोधित करते हुए गद्दाफी ने कहा था कि वे देश के नेता बने रहेंगे और वह देश के लिए जान भी देने को तैयार हैं. उन्होंने कहा, "लीबिया की जनता मेरे साथ है." विरोध प्रदर्शनकारियों के बारे में उन्होंने कहा, "उन चूहों को पकड़ लो..अपने घरों से बाहर निकलो और उन पर धावा बोल दो." 41 साल से लीबिया पर शासन कर रहे गद्दाफी ने कहा, "मुअम्मर गद्दाफी क्रांति का नेता है. मुअम्मर गद्दाफी के पास कोई औपचारिक पद नहीं है जिससे वह इस्तीफा दे. वह हमेशा क्रांति का नेता रहेगा."

रिपोर्टः एजेंसियां/एमजी

संपादनः आभा एम

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