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गद्दाफी की सेना ने छोड़ा मिसराता

२३ अप्रैल २०११

मिसराता पर विद्रोही सैनिकों को बढ़त मिलने के बाद गद्दाफी की सेना को शहर छोड़ने का हुक्म दिया गया है. लीबियाई सरकार ने कहा है कि नाटो के हवाई हमलों ने गद्दाफी की सेना को अपने हमले रोकने पर मजबूर कर दिया है.

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तस्वीर: AP

मिसराता लीबिया का तीसरा सबसे बड़ा शहर है और लीबियाई सरकार के मुताबिक जंग की कमान अब स्थानीय कबीलों के हाथ में दे दी गई है. गद्दाफी की सेना के एक जवान खालिद दोरमन ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, "हमें पीछे हटने को कहा गया है. हमें यह आदेश एक दिन पहले दिया गया."

खालिद एक पिकअप ट्रक में 11 दूसरे घायल सैनिकों के साथ जा रहे थे. उन्हें मिसराता के अस्पताल में इलाज के लिए लाया गया था. थोड़ी दूरी पर धमाके और मशीनगनों से गोली चलने की आवाज लगातार सुनाई पड़ रही थी. एक दूसरे सैनिक से जब पूछा गया कि क्या शहर पर से सरकार का नियंत्रण खत्म हो गया है तो उसने जवाब दिया "हां."

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तस्वीर: AP

"मिसराता की स्थिति बेहतर होगी"

पश्चिमी लिबिया में मिसराता अकेला ऐसा शहर है जिस पर विद्रोहियों का कब्जा है. पिछले दो महीने से यहां लड़ाई चल रही है. सैकड़ों आम नागरिक इस लड़ाई में मारे गए हैं. त्रिपोली में लीबिया के उप विदेश मंत्री खालिद कईम ने पत्रकारों से कहा, "मिसराता की स्थिति जल्दी ही बेहतर हो जाएगी. अब यहां मौजूद कबीले और मिसराता के बाकी लोग आपस में फैसला करेंगे, लीबिया की सेना नहीं. आप लोग देखेंगे कि कितनी जल्दी लीबियाई सेना मिसराता से बाहर निकल जाएगी क्योंकि लीबिया के लोग इस हालत में ज्यादा दिन नहीं रह सकते." उप विदेश मंत्री का कहना है कि लीबिया की सेना एक सर्जन की भूमिका निभाती है लेकिन नाटो की बमबारी के बीच यह रणनीति कारगर नहीं हो रही है.

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तस्वीर: AP

मिसराता में गद्दाफी की सेना की रणनीति में बदलाव के एलान के कुछ ही घंटे बाद नाटो ने मध्य त्रिपोली में बमबारी की. नाटो के मुताबिक उसने एक बंकर को निशाना बनाया था. हालांकि लीबियाई सरकार कह रही है कि एक कार पार्किंग पर बम दागे गए जिसमें तीन लोगों की मौत हुई है. पश्चिमी देशों ने गद्दाफी के पद छोड़ने तक बमबारी जारी रखने का एलान किया है.

विद्रोहियों के हमले जारी

मिसराता में पकड़े गए गद्दाफी के सैनिकों का यह भी कहना है कि वापस लौटने के दौरान भी विद्रोही उन पर हमले कर रहे हैं. एक युवा सैनिक अयाद मुहम्मद ने कहा, "मिसराता से वापस लौटने के दौरान विद्रोहियों ने शनिवार सुबह एक पुल के पास हम पर हमला किया. अयाद जब संवाददाता से बात कर रहे थे तभी पास मौजूद वर्दीधारी एक सैनिक दर्द से कराह रहा था और उसके मुंह से आवाज आई, "मेरे खुदा... मेरे खुदा."

इससे पहले विद्रोहियों ने मिसराता में शहर और दफ्तरों की इमारतों पर कब्जा कर लिया. इन जगहों को गद्दाफी के सैनिकों ने अपना अड्डा बना रखा था. इंश्योरेंस के दफ्तर के बाहर तबाह टैंक के टुकड़े, और एक सैनिक की जली हुई लाश पड़ी थी.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः ईशा भाटिया

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