पृथ्वी के भीतर 150 किलोमीटर की गहराई में अति दबाव और तामपान में कार्बन के अणु ऐसे जुड़ते हैं कि चमकीला हीरा बन जाता है.डायमंड उद्योग के जानकारों के मुताबिक भविष्य में हीरे फैक्ट्रियों में बनाए जाने लगेंगे और तब इनका इस्तेमाल बहुत ही आम ढंग से होने लगेगा.