क्लिंटन ने लगाई इस्राएली पीएम को फटकार
१३ मार्च २०१०क्लिंटन ने नेतान्याहू को फ़ोन पर ख़ूब खरी खोटी सुनाई है. दरअसल अमेरिकी उप राष्ट्रपति जो बाइडन की लाख अपीलों के बावजूद इस्राएल ने पूर्वी येरुशलम में 1,600 घर बनाने का काम जारी रखने का फ़ैसला किया है. ख़ासकर यह फ़ैसला ऐसे समय में लिया गया जब अमेरिका इस्राएल और फ़लीस्तीन के बीच दिंसबर 2008 से रुकी पड़ी बातचीत की बहाली के लिए कोशिशें कर रहा है. दोनों पक्ष इसके लिए सहमत भी हो चुके हैं.
क्लिंटन ने कहा, "बस्तियों का निर्माण जारी रखने का फ़ैसला इस्राएल और अमेरिका के रिश्तों पर बुरा असर डालेगा. साथ ही इससे शांति प्रक्रिया में भरोसा और आत्मविश्वास भी प्रभावित होगा." शुक्रवार को इस्राएल ने पश्चिमी तट को सील कर दिया और येरुशलम के पवित्र स्थलों के आसपास दंगा नियंत्रण बल तैनात कर दिए. इस्राएल ने यह क़दम जुमे की नमाज़ के वक़्त फ़लीस्तीनी मुसलमानों के ग़ुस्से को नियंत्रित करने के इरादे से उठाया.
पिछले हफ़्ते अमेरिकी उप राष्ट्रपति जो बाइडेन ने मध्यपूर्व दौरे के तहत इस्राएल को भरोसा दिलाया कि अमेरिका क्षेत्र में ईरान जैसे देशों से उसकी पूरी सुरक्षा करेगा. साथ ही वह 15 महीनों से रुकी पड़ी शांति बातचीत की बहाली के लिए बेहतर माहौल तैयार करने के इरादे से इस्राएली और फ़लीस्तीनी नेताओं से मिले.
वहीं, बाइडन की तरफ़ से सुरक्षा का भरोसा दिए जाने के चंद घंटों बाद ही इस्राएल के गृह मंत्रालय ने पश्चिमी तट के येरुशलम वाले हिस्से में 1,600 इस्राएली घरों के निर्माण को मंज़ूरी दे दी. क्लिंटन के प्रवक्ता पीजी क्रोली ने वॉशिंगटन में पत्रकारों से कहा, "विदेश मंत्री ने कहा कि उन्हें समझ नहीं आता कि ये कैसे हो गया. ख़ासकर तब, जब अमेरिका बार बार इस्राएल को सुरक्षा का भरोसा दे चुका है. उन्होंने कहा कि इस्राएल सरकार को बयानबाज़ी से नहीं, बल्कि स्पष्ट क़दमों से यह दिखाना होगा कि वह रिश्तों और शांति प्रक्रिया को लेकर प्रतिबद्ध हैं." इस्राएली सरकार की तरफ़ से अभी इस बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः ओ सिंह