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क्या हवाई टैक्सी के इस्तेमाल से बनेगा दुबई ग्रीन शहर

२२ अक्टूबर २०१९

खाड़ी में स्थित दुबई हवाई टैक्सी और स्वचालित पॉड का इस्तेमाल बढ़ाकर अपने कार्बन उत्सर्जन को कम करने की कोशिश कर रहा है. लेकिन वहां की गर्मी और परिवहन ढांचे को देखते हुए ये आसान नहीं है.

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Dubai Drone Taxis
तस्वीर: picture alliance/AP Photo/J.Gambrell

दुबई में रहने वाली डेबोरा इरेचुक्वू का घर बस स्टॉप से सिर्फ 5 मिनट दूर है जिसकी वजह से उनके लिए सार्वजनिक यातायात का इस्तेमाल करके सिटी सेंटर तक जाना आम तौर पर काफी सुविधाजनक होता है. लेकिन गर्मियों में वो ऐसा नहीं कर पातीं क्योंकि तब तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा हो जाता है और ऐसे में 5 मिनट चलना भी बहुत तकलीफदेह होता है. ऐसे में  इरेचुक्वू को अगर कहीं जाना होता है तो वो अक्सर टैक्सी ले लेती हैं. दोपहर में एक वातानुकूलित बस शेल्टर में बैठी इरेचुक्वू अपने चेहरे से पसीना पोंछते हुए कहती हैं, "आज तो बाहर बहुत गर्मी है. लेकिन आज मेरे पास ज्यादा नगद पैसे नहीं थे तो मजबूरन बस लेनी पड़ी." नाइजीरिया की रहने वाली इरेचुक्वू का कहना है, "दुबई में गाड़ी में सफर करना बेहतर होता है". 

सड़क और यातायात प्राधिकरण के अनुसार, दुबई में हर दो लोगों पर एक से ज्यादा वाहन हैं और इसकी वजह से न्यूयॉर्क, बर्लिन और लंदन के मुकाबले दुबई में प्रति व्यक्ति गाड़ियों का अनुपात ज्यादा है. विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, ये उन कारणों में से है जिनकी वजह से संयुक्त अरब अमीरात प्रति व्यक्ति सबसे अधिक कार्बन उत्सर्जन करने वाले शीर्ष 10 देशों में शामिल है. पर दुबई इस स्थिति को बदलने की कोशिश कर रहा है. इसके लिए कई महत्त्वाकांक्षी योजनाएं बनाई गई हैं और हो सकता है कुछ सालों बाद सैद्धांतिक तौर पर इरेचुक्वू जैसे लोग मॉल तक उड़ कर जा सकें या बिजली से चलने वाले स्वचालित "रूम ऑन व्हील्स" में जा सकें.

यातायात की नई तकनीकें

सिंगापुर से लेकर बर्लिन तक, शहरों में यातायात की नई तकनीकों पर विचार हो रहा है जिससे ट्रैफिक और जलवायु को गर्म करने वाले उत्सर्जनों को कम किया जा सके. 2005 से ले कर अभी तक, दुबई मेट्रो ट्रेन, ट्राम और बस लाइनों जैसे बुनियादी ढांचे में 100 अरब दिरहम (27 अरब डॉलर) का निवेश कर चुका है. अब यहां ड्रोन टैक्सी और चालक-मुक्त यातायात जैसी तकनीकों का परीक्षण हो रहा है, इस उम्मीद में कि इनकी वजह से लोग निजी गाड़ियों का इस्तेमाल कम कर देंगे. इस नई नीति से भले ही दुबई की गाड़ियों पर निर्भरता पर बस आंशिक असर पड़े, पर यातायात विशेषज्ञों का मानना है कि इसने शहर को भविष्य के यातायात के लिए एक प्रयोगशाला बना दिया है.

Symbolbild Flugtaxi
तस्वीर: picture-alliance/abaca/Balkis Press

लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में एलएसी सिटीज नामक शोध केंद्र के संचालक फिलिप रोड कहते हैं, "दुबई में जो हो रहा है उसे कोई आसानी से उन आकर्षक प्रयोगों से जोड़ सकता है जो थोड़े बनावटी लगते हैं. रोड ने थॉमसन रायटर्स फाउंडेशन से कहा, "ये एक शहर को योजनाबद्ध स्केल पर फिर से सोचने जैसा नहीं है, पर फिर भी अगर आप थोड़ी सी और बारीकी से देखें तो आप पाएंगे कि ये सब दिलचस्प नई खोज हैं."

बस, टैक्सी या पॉड?

फिलिप रोड कहते हैं कि इन प्रयासों में शामिल हैं स्वाचालित पॉड जिनका उद्देश्य है ऊबर जैसी सेवाओं के आराम और बसों की क्षमता और कुशलता को जोड़ देना. क्यूब के आकार के इन वाहनों को कैलिफोर्निया स्थित कंपनी नेक्स्ट फ्यूचर ट्रांसपोर्टेशन ने इटली में बनाया है. एक पॉड पर एक बार में 10 व्यक्ति सवार हो सकते हैं और ये चलते समय एक साथ जुड़ जाते हैं. इस से यात्री यात्रा करते करते एक इकाई से दूसरी इकाई में भी जा सकते हैं. ये वाहन यात्रियों को उनके घर से ले लेंगे, फिर एक दिशा में जाने वाले यात्रियों को एक ही मॉड्यूल में डाल देंगे और बाकी पॉड को और यात्रियों को ले लेने के लिए छोड़ देंगे. इसके आविष्कारक और कंपनी के सह-संस्थापक टोम्मासो गेक्केलीन कहते हैं, "ये एक रिले रेस जैसा है." उन्होंने फोन पर दिए एक साक्षात्कार में बताया कि ये पॉड 6.5 वर्गमीटर बड़े हैं , 90 किलोमीटर प्रति घंटे तक की रफ्तार छू सकते हैं और देखने में पहियों पर चलने वाले कमरों की तरह लगते हैं.

एयरपोर्ट की तरफ जाने वाले यात्रियों के लिए इनमें बार, शौचालय और चेक-इन करने जैसी सुविधाओं को भी रखा जा सकता है. गेक्केलीन का अनुमान है कि ऐसे 1000 वाहनों की मदद से दुबई के ट्रैफिक को आधा किया जा सकता है और इरेचुक्वू जैसे लोगों को साल भर कम खर्च में आरामदायक यात्रा कराई जा सकती है. कंपनी की योजना है कि अगले साल के अंत तक उत्पादन शुरू हो जाए और दुबई एक्सपो 2020 तक कम से कम 4 पॉड तैयार हो जाएं. 2018 में दुबई में ही 2 नमूनों का परीक्षण हो चुका है.

4. International Drone Photography Contest
तस्वीर: dronestagram/Bachirm

स्वचालित यातायात

पॉड के ट्रायल दुबई की उस योजना के अंतर्गत आते हैं जिसके तहत रोज के यातायात के एक चौथाई हिस्से को 2030 तक स्वचालित बना देने का लक्ष्य है. आरटीए का कहना है कि इससे यातायात के खर्च, सड़क हादसे और प्रदूषण को काफी कम करने में सहायता मिलेगी. आरटीए के महानिदेशक मत्तर अल-तयर ने बताया कि दुबई में स्वचालित गाड़ियों, "स्काई पॉड" और हवाई टैक्सियों पर भी विचार चल रहा है. 2017 में दुबई ने विश्व की पहली ड्रोन टैक्सी सेवा शुरू करने की कोशिशों की शुरुआत भी कर दी थी. इसके तहत एक मानव रहित 2 सीटों और 18 पंखों वाले ड्रोन ने अमीरात के अंदर अपनी पहली उड़ान भरी थी. 

इस स्काई कैब को बनाने वाली जर्मन कंपनी वोलोकॉप्टर के सह-संस्थापक अलेक्जांडर योसेल कहते हैं कि पूरे शहर में करीब 30 स्थानों से सीधे उड़ने और सीधे नीचे आने वाले इस तरह के 1000 ड्रोनों की मदद से हर घंटे 10,000 लोग यात्रा कर सकते हैं. उनका कहना है कि सफर का शुल्क लगभग उतना ही होगा जितना आम टैक्सी का इस्तेमाल करने पर देना पड़ता है. उन्होंने थॉमसन रायटर्स फाउंडेशन को फोन पर बताया, "हम चाहते हैं कि सब हमारे साथ उड़ सकें," हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि इस तकनीक को पूर्णतया विकसित होने में अभी कम से कम एक दशक लगेगा. 

उड़ना या चलना?

भले ही स्वचालित गाड़ियां और हवाई टैक्सियां दुबई में यातायात का भविष्य हों, ये हर जगह काम नहीं कर पाएंगी, कहना है एलएसी सिटीज के फिलिप रोड का. ऐसे शहर जो गाड़ियों के इस्तेमाल को ही कम करने की कोशिश कर रहे हैं, स्वचालित वाहनों के फैलाव को  शायद पसंद न करें. "स्वचालित वाहनों को साझा गतिशीलता पर आधारित होना पड़ेगा, नहीं तो यातायात के एक कुशल साधन को लाने के लिए एक और कुशल साधन को हटा देने का जोखिम है. और हवाई टैक्सियों के अनचाहे दुष्परिणाम भो हो सकते हैं, जैसे पूरे शहर पर परछाइयों का एक जाल, हवा की गति का बढ़ना और शोर का बढ़ना.

कोपेनहेगेन और सिंगापुर जैसे शहर लोगों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए नए तरीकों को खोजने की जगह उनके कहीं जाने की जरूरत को ही कम करने की कोशिश कर रहे हैं. वे कोशिश कर रहे हैं कि सुपरमार्केट और स्कूल जैसी सेवाओं को लोगों के घरों के एकदम करीब लाया जा सके. हालांकि इस तरह के बदलावों को लागू करने के मौके दुबई से ज्यादा यूरोपीय और एशियाई शहरों के पास हैं, क्योंकि पिछले 40 सालों में दुबई का विस्तार ड्राइविंग के इर्द गिर्द ही केंद्रित रहा है. दुबई में ऐसे आरामदायक फुटपाथ कम ही हैं जिनपर लोग पैदल चल कर मॉल और यातायात स्टेशनों तक पहुंच सकें. 

"हमेशा चुनौती यही होती है: एक बार शहर बन जाए तो उसे बदलना बहुत मुश्किल होता है," ये कहना है करीम एलगेंडी का, जो लंदन-स्थित इंजीनियरिंग कंसल्टेंसी दर अल-हंदासा में सस्टेनबिलिटी एसोसिएट हैं. वो कहते हैं, "नए रास्ते, नए आवाजाही के नेटवर्क बनाना बहुत मुश्किल है क्योंकि सवाल ये उठता है कि उन्हें आखिर बनाएंगे कहां?" दुबई में भी एक तरफ भविष्य की तकनीकों पर उम्मीदें टिकाई जा रही हैं और दूसरी तरफ कुछ नागरिक कहते हैं कि शहर को सिर्फ इतनी जरूरत है कि लोग अपने नजदीकी मेट्रो स्टेशन तक पैदल चल कर पहुंच सकें. अमीरात में लगभग एक दशक से रह रहे इतालवी प्रवासी मार्को सेलेन्तानो कहते हैं, "इस तरह की पायलट परियोजनाएं सिर्फ लोगों को प्रभावित करने के लिए बनाई जाती हैं, लेकिन जोखिम ये है कि इन्हें ऐसे स्केल पर लागू नहीं किया जाएगा जिस पर ये वाकई उपयोगी  सिद्ध होंगी." 

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