कौन भरता है इंद्रधनुष में रंग
२९ मार्च २०१३इंद्रधनुष को कोई स्वर्ग का पुल बताता है, तो कोई इसके सिरों को सोने से भरा बताता है. अगर एक प्रिज्म के जरिए देखा जाए तो पता चलता है कि कैसे सूरज की रौशनी सात रंगों में बिखर जाती है. दरअसल दिन में जो रौशनी हमें दिखती है वह असल में सफेद होती ही नहीं, बल्कि वह कई रंगों के प्रकाश का मिला जुला रूप है. इंद्रधनुष इस का उल्टा है, यानी ये हमें तब दिखता है जब सफेद रोशनी अपने मूल रंगों में बिखर जाती है.
अपना अपना इंद्रधनुष
बादल और बारिश इसका राज हैं. सूर्य की रोशनी जब बारिश की बूंदों में घुसती है तो वह परिवर्तित होती है और बूंद की अंदरूनी दीवार से टकराती है. फिर वह लौटती है लेकिन तब वह मूल रंगों में बिखर जाती है. विज्ञान की भाषा में इसे प्रकाश का वर्ण विक्षेपण यानी रंगों का बिखराव कहते हैं. इंद्रधनुष कितना बड़ा और गहरा होगा, यह बारिश की बूंदों के आकार पर निर्भर करता है. बूंदें बड़ी होंगी तो चटक सतरंगी इंद्रधनुष दिखेगा. बारिश के वक्त सूर्य जितना नीचे होगा, इंद्रधनुष की ऊंचाई उतनी ज्यादा होगी.
इंद्रधनुष देखने के लिए एक खास संयोग की जरूरत भी पड़ती है. इंद्रधनुष देखने वाले को सूरज और बारिश के बीच होना चाहिए. जरूरी है कि आपकी पीठ सूर्य की तरफ हो और मुंह बारिश की तरफ. यही कारण है कि हर व्यक्ति को अपना अलग इंद्रधनुष दिखता है. हम कहां खड़े हैं, इंद्रधनुष का इस पर आकार निर्भर करता है. लेकिन चाहे छोटा हो या बड़ा, सात रंगों वाला इंद्रधनुष वाकई कुदरत का एक करिश्मा है.
क्या है भेड़चाल?
इसके साथ साथ मंथन में इस बार बात हो रही है इंसानी व्यवहार की. जानवर हों या इंसान सब झुंड में रहते हैं. जानवरों में यह आदत साफ साफ दिखती है. इंसानों में भले ही यह जानवरों की तरह न दिखे, लेकिन इंसान भी वैसे ही व्यवहार करते हैं. इसीलिए शायद भेड़चाल का मुहावरा भी बना. मंथन में जानेंगे कि विज्ञान इस व्यवहार से कौन सी मुश्किल हल करना चाहता है. इसके अलावा जानेंगे कि किस तरह से तेल माफिया और नामी गिरामी कंपनियां नाइजीरिया को नुकसान पहुंचा रहे हैं.
साथ ही बात होगी सुनने की मशीनों पर. विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार दुनिया भर में 36 करोड़ लोग ठीक से सुन नहीं सकते. इन लोगों को सुनने की मशीन की उतनी ही जरूरत है जितनी कमजोर नजर वालों को चश्मे की. लेकिन ये मशीनें 10 फीसदी से भी कम लोगों तक पहुंच पाती हैं. जर्मनी के ओल्डनबुर्ग में इसका हल ढूंढा जा रहा है. यहां के वैज्ञानिकों ने ऐसा आधुनिक हीयरिंग एड बनाया है जिसकी मदद से एकदम स्वस्थ कानों जैसी आवाज सुनाई पड़ती है.
विज्ञान की इन दिलचस्प जानकारियों के साथ साथ यह जानने के लिए कि ऑनलाइन शॉपिंग की दुनिया में क्या हो रहा है नया, देखना न भूलें मंथन शनिवार सुबह 10.30 बजे डीडी-1 पर.
रिपोर्ट: ईशा भाटिया
संपादन: ओंकार सिंह जनौटी