1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

कोरोना से बचाने के उपायों पर जर्मनी में गुस्सा क्यों

४ जनवरी २०२२

सोमवार की शाम जर्मनी में 35,000 से ज्यादा लोग कोरोना वायरस के कारण लग रहे प्रतिबंधों का विरोध करने सड़कों पर उतरे. महामारी से बचने के लिए उठाए जा रहे कदमों पर इन लोगों में आखिर इतनी नाराजगी क्यों है?

https://p.dw.com/p/458LM
Proteste gegen die Corona-Maßnahmen - Rostock
तस्वीर: Bernd Wüstneck/dpa/picture alliance

बीते कुछ हफ्तों में जर्मनी का उत्तर पूर्वी राज्य मैक्लेनबुर्ग फोरपोमर्न ने विरोध प्रदर्शनों की आंच सबसे ज्यादा सहन की है. सोमवार को भी पुलिस के मुताबिक राज्य के कम से कम 20 शहरों या कस्बों में 10 हजार से ज्यादा लोग विरोध प्रदर्शन करने सड़कों पर उतरे. सैक्सनी अनहाल्ट राज्य के माग्देबुर्ग में तो प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ झड़प भी हुई. प्रदर्शन कर रहे लोगों ने घेराबंदी को तोड़ा और पुलिस अधिकारियों पर बोतलें फेंकी. हालांकि किसी पुलिस अधिकारी के घायल होने की खबर नहीं है. माग्देबुर्ग में करीब 2,500 लोग विरोध करने निकले थे.

जर्मन कानून के तहत विरोध प्रदर्शन करने से पहले अधिकारियों को इसकी पूरी जानकारी देनी होती है. महामारी के खिलाफ होने वाले ज्यादातर प्रदर्शनों की जानकारी अधिकारियों को पहले से दी जा रही है लेकिन बहुत से ऐसे प्रदर्शन भी हो रहे हैं जिनके बारे में पहले से नहीं बताया जाता. जाहिर है कि ये प्रदर्शन गैरकानूनी है.

Proteste gegen die Corona-Maßnahmen - Magdeburg
तस्वीर: Klaus-Dietmar Gabbert/dpa/picture alliance

पुलिस पर हमला

थुरिंजिया राज्य में पुलिस का कहना है कि 16,000 लोगों ने गैरकानूनी प्रदर्शनों में हिस्सा लिया. लिष्टेनश्टाइन शहर में तो प्रदर्शनकारियों के हमले में 14 अधिकारी घायल भी हुए हैं. पुलिस ने उन पर पेपर स्प्रे का इस्तेमाल किया. हिंसा की घटनाओं के बाद 40 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है.

इसी तरह रोस्टॉक में कई हजार लोगों ने सिटी सेंटर में मार्च किया. इस मार्च की मंजूरी तो दी गई थी  लेकिन लोगों के लिए चेहरे पर मास्क लगाना जरूरी था.  विरोध में शामिल बहुत से लोगों ने मास्क नहीं लगाया. इससे पहले हुए प्रदर्शनों के दौरान लोग तय रास्ते को छोड़ दूसरे रास्तों पर भी निकल गए. रोस्टॉक की पुलिस ने इस बार सख्ती की थी और मार्च के लिए तय रास्ते की घेरेबंदी कर दी थी ताकि ये लोग दूसरी सड़कों पर ना जाएं.

Proteste gegen Corona-Maßnahmen | Rosenheim Bayern
तस्वीर: Alexander Pohl/aal.photo/imago images

बवेरिया राज्य के न्यूरेमबर्ग में भी बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ. यहां 4,200 से ज्यादा लोगों ने मार्च किया हालांकि पुलिस को इससे आधी संख्या में ही लोगों के मार्च की उम्मीद थी. बवेरिया के आंसबाख और बायरॉइथ समेत कई और शहरों में भी प्रदर्शन हुए हैं जिनमें कई गैरकानूनी थे. कई शहरों में सोशल मीडिया के जरिए विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया गया और उनमें बड़ी संख्या में लोगों की मौजूदगी रही. बर्लिन में तो एक टीवी चैनल के दफ्तर के सामने ही लोग प्रदर्शन करने जमा हो गए. ये लोग प्रेस पर झूठा होने का आरोप भी लगा रहे हैं.

नाराजगी की वजह

प्रदर्शन कर रहे लोग मुख्य रूप से कोरोना महामारी से बचने के लिए लगाई जा रही पाबंदियो के खिलाफ हैं. उन्हें लगता है कि उनकी आजादी में खलल डाली जा रही है. वो सरकार के आंकड़ों पर भी भरोसा नहीं कर रहे हैं और बहुत से लोग टीका लगवाने के लिए भी तैयार नहीं है. इस बीच कोरोना के संक्रमण की बढ़ती तादाद को देखते हुए सरकार और ज्यादा सक्रियता से टीका लगाने की कोशिश में जुटी है. जिन लोगों ने टीका नहीं लगवाया है उनके लिए तमाम दुकानों, रेस्तराओं और मनोरंजन की जगहों के दरवाजे बंद हो गए हैं. ऐसे में इन लोगों की नाराजगी और ज्यादा बढ़ गई है.

Proteste gegen Corona-Maßnahmen | Nürnberg Bayern
तस्वीर: Daniel Vogl/dpa/picture alliance

वैक्सीन का विरोध

तमाम कोशिशों के बाद भी जर्मनी में अब तक महज 71 फीसदी से कुछ ज्यादा लोगों को ही टीका लग पाया है. इनमें से ज्यादातर को दूसरी डोज दी जा चुकी है और उन्हें अब बूस्टर डोज दी जा रही है. कुल आबादी के कम से कम 25.8 फीसदी लोग ऐसे हैं जिन्होंने कोई वैक्सीन नहीं ली है. इनमें 5 साल से छोटी उम्र के बच्चे भी शामिल हैं जिनके लिए अभी टीके की मंजूरी नहीं मिली है. जर्मन सरकार का नीति आयोग देश की कुल आबादी के अनिवार्य टीकाकरण के पक्ष में है. स्वास्थ्यकर्मियों के लिए तो इसे पहले ही जरूरी कर दिया गया है. टीके का विरोध करने वाले इस आशंका से भी काफी नाराज हैं.

एनआर/आरपी (डीपीए, एएफपी)