कोरोना ने ठप्प कराया इन पेशों में काम
कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में कई व्यवसायों को ठप्प कर दिया है. सीमाओं को बंद कर दिया गया है, लोगों की आवाजाही को रोक दिया गया है. सबसे ज्यादा असर पर्यटन और मनोरंजन उद्योग को हुआ है.
ट्रेवल एजेंसी
जर्मनी की ट्रेवल एजेंसियां अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही हैं. कोरोना की वजह से पर्यटन उद्योग को खासा नुकसान हुआ है. जर्मनी आने जाने दोनों पर रोक है. ट्रेवल एजेंसियों को ग्राहकों को कैंसिल की गई छुट्टियों का पैसा वापस करना पड़ रहा है. अभी तो कोई कमाई नहीं ही हो रही है, पुरानी कमाई भी वापस करनी पड़ रही है.
एयरपोर्ट
कोरोना पर काबू पाने के लिए हवाई यातायात को रोक दिया गया है. उसका असर जर्मनी के भी हवाई अड्डों पर पड़ा है. कोलोन-बॉन हवाई अड्डा जर्मनी के बड़े हवाई अड्डों में शामिल है. यहां से साल में 1.3 करोड़ लोग दुनिया के 130 ठिकानों के लिए हवाई यात्रा करते हैं. इस समय ये सूना पड़ा है.
विमान सेवा
पहले तो विमान सेवाओं ने कोरोना के कारण यात्रियों की घटती संख्या के कारण अपनी उड़ानें घटानी शुरू की, फिर जब कई देशों ने बाहर से आने वाले यात्रियों पर पाबंदियां लगानी शुरू की तो उन्हें अपनी सेवाएं पूरी तरह ही बंद कर देनी पड़ी. जर्मनी विमान कंपनी लुफ्तहंसा ने इस समय 90 फीसदी विमान पार्क कर रखा है.
पायलट
विमान नहीं उड़ेंगे, तो पायलट क्या करेंगे. वे इस समय बेकार पड़े हैं. दुनिया की प्रमुख विमान सेवाओं ने अपनी सेवाएं रोक दी हैं और लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं. पायलट इस समय उन्हीं विमानों को उड़ा रहे हैं जो दूसरे देशों में फंसे यात्रियों को वापस लाने के लिए हैं.
एयर हॉस्टेस
पायलट जैसा ही हाल एयर हॉस्टेसों का भी है. उनके लिए भी इस समय कोई काम नहीं है. और परेशान करने वाली बात ये भी है कि उन्हें पता नहीमं कि वे कब काम शुरू कर पाएंगी. कोई धंधा न होने के कारण बहुत सी विमान कंपनियों के सामने दिवालिया हो जाने की भी खतरा है. कर्मचारी डर के साए में जी रहे हैं.
एयरपोर्ट कर्मचारी
एयरपोर्ट कर्मचारी भी हवाई यातायात रुकने के कारण परेशान हैं. कोलोन का उदाहरण लें तो 1.3 करोड़ यात्रियों को हवाई अड्डे पर विभिन्न सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए बहुत से लोगों की जरूरत होती है. कोलोन एयरपोर्ट पर 130 कंपनियों और सरकारी संस्थानों के 15,000 लोग काम करते हैं.
होटल
कोरोना से होटल उद्योग को भारी नुकसान हुआ है. 2001 या 2008 के पिछले वित्तीय संकट के दौरान 25 प्रतिशत का नुकसान हुआ था तो इस बार तो वायरस की वजह से होटल पूरी तरह खाली हैं. कुछ होटल चेन ने होम ऑफिस की वजह से घर में परेशान रहने वालों को होटल में आकर काम करने का ऑफर दिया है.
होटल कर्मचारी
होटल खाली रहेंगे तो होटल कर्मचारियों के पास भी कोई काम नहीं रहेगा. मालिकों की मुश्किल है कि आमदनी न हो तो होटल को चलाने का, कर्मचारियों को वेतन देने का खर्च कैसे उठाएं. होटल और रेस्तरां उद्योग सालाना 90 अरब यूरो का कारोबार करता है, लेकिन इस समय पूरा कारोबार ठप्प पड़ा है.
मेकैनिक
लॉकडाउन में कहीं ऐसा काम नहीं हो रहा है जो सामान्य जनजीनम को चलाने के लिए एकदम जरूरी न हो. जर्मनी की प्रसिद्ध कार बनाने वाली कंपनियों ने भी अपना उत्पादन रोक रखा है. जितने कम कर्मचारी दफ्तर या कारखाने आएंगे उतनी ही ज्यादा सोशल डिस्टैंसिंग होगी.
कारीगर
घर बनाने से लेकर घरों में बिजली और सैनिटरी फिटिंग और मरम्मत के लिए पेशेवर कारीगरों की जरूरत होती है. लॉकडाउन की वजह से सारा काम ठप्प पड़ा है. ग्राहक नहीं आ रहे. हालांकि छोटे उद्यमों और एकल कारीगरों को सरकार 15,000 यूरो की मदद देगी, लेकिन उनके अस्तित्व पर संकट फिर भी है.
सिनेमा हॉल
कोरोना की वजह से हर उस जगह को बंद कर दिया गया है जहां लोगों के इकट्ठा होने की संभावना होती है. सिनेमा हॉल भी बंद हैं. नहीं भी बंद किए जाते तो इस बीच बंद हो जाते क्योंकि लोग अपने घरों में बंद हैं. जर्मनी में 700 सिनेमाघरों में करीब 4000 पर्दे हैं. बंदी की वजह से उन्हें हर हफ्ते 1.7 करोड़ यूरो का घाटा हो रहा है.
फिल्म की शूटिंग
कोरोना वायरस के खतरे को रोकने के लिए फिल्मों की शूटिंग भी रद्द है. पहले तो स्थानीय निकायों ने शूटिंग की अनुमति वापस ले ली. कुठ जगहों पर निजी घरों में शूटिंग हुई. लेकिन बाद में मामला गंभीर होने लगा और वायरस के तेजी से फैलने के मामले सामने आने लगे तो शूटिंगें रोक दी गईं.
थिएटर
जर्मनी में कोरोना के चलते थिएटर भी बंद पड़े हैं, कम से कम 19 अप्रैल तक. यूरोप के थिएटर भी बंद हैं. थिएटरों के प्रबंधक यह हिसाब करने में लगे हैं कि नुकसान की भरपाई कैसे होगी. बर्लिन के शाउब्यूनेथिएटर के टोबियास फाइट के अनुसार इस अवधि में नुकसान करीब 5 लाख यूरो का है.
ऑर्केस्ट्रा
थिएटर बंद हैं तो ऑर्केस्ट्रा के प्रदर्शन भी बंद हैं. इसका असर कलाकारों की आमदनी पर भी पड़ रहा है. ऑर्केस्ट्रा में काम करने वाले बहुत से आर्टिस्ट छोटे छोटे अनुबंधों से बंधे होते हैं. नए अनुबंध नहीं होंगे तो आमदनी भी नहीं होगी. उनमें से बहुत लोगों पर भी बेरोजगारी का खतरा मंडरा रहा है.
कॉफी हाउस
कोरोना की वजह से कॉफी हाउस भी बंद हैं. सारे देश में लॉकडाउन की स्थिति है तो कोई बाहर निकल भी नहीं रहा. मौसम इन दिनों अपेक्षाकृत बहुत ही अच्छा है. साधारण सी ठंड और चमचमाती धूप, लेकिन बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं. आफत है कॉफी हाउस चलाने वालों की.
बार
होटलों और रेस्तरां की तरह जर्मनी में बार भी बंद हैं. बार चलाने की अनुमति नहीं है लेकिन होम सप्लाई हो सकती है. बहुत से लोगों ने इसका फायदा उठाया है. वे ड्रिंक ग्राहकों के घरों में पहुंचा रहे हैं. ऑर्डर कीजिए और डिलीवरी लीजिए. लेकिन ये कमाई किराये और बिजली जैसे खर्चों को पूरा करने के ले काफी नहीं है.
किताब की दुकान
कोरोना की बंदी का असर किताब की दुकानों पर भी पड़ा है. हालांकि वे उन दुकानों में हैं जो बंदी के दौरान खुली रह सकती हैं, लेकिन छोटी दुकानें ग्राहकों की भीड़ का सामना नहीं कर सकतीं. वे तकनीक का सहारा ले रही हैं. दुकान की लाइव स्ट्रीमिंग और कूरियर के जरिए किताबों को ग्राहक तक पहुंचाना.
जिम
जर्मनी में कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए जिम और फिटनेस स्टूडियो को भी बंद कर दिया गया. खेलकूद और व्यायाम के दूसरे सार्वजनिक साधन या संस्थान भी बंद हैं. स्वीमिंग पूल और खेल के मैदान भी काम नहीं कर रहे हैं, जहां आम तौर पर फुटबॉल जैसे खेल खेले जाते हैं या जॉगिंग की जाती है.
सैलून
बाल काटने छांटने या रंगने का काम भी दूरी से नहीं हो सकती. वायरस को रोकने के लिए सरकार की सोशल डिसटेंसिंग की कोशिशों के बीच सैलून चलाना तो अत्यंत मुश्किल हो गया था. सरकार से पहले सैलून के मालिक ही कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए दुकान बंद किए जाने की वकालत कर रहे थे.
ऑटो वर्कशॉप
जर्मनी में कार खराब होने पर लोग वर्कशॉप में जा सकते हैं लेकिन पुर्जे खरीदने कार की दुकान में नहीं जा सकते. सरकार का यही फैसला है. मुश्किल कार की दुकानों में काम करने वाले वर्कशॉपों की है. वे गाड़ियां ठीक तो कर सकते हैं लेकिन ग्राहकों को कोई स्पेयर पार्ट बेच नहीं सकते.
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