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कैसी होगी प्रणब दा की पिटारी

१५ मार्च २०१२

चीन के रक्षा बजट में 11.2 फीसदी की बढ़ोतरी, यूरोप में चल रहे यूरो संकट और अमेरिकी चुनावों और सबसे बड़ी बात रेल बजट पर बिफरी तृणमूल कांग्रेस के बीच आ रहा है इस साल का बजट.

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तस्वीर: AP

चीन के रक्षा बजट में बढ़ोतरी के बाद भारत के रक्षा बजट पर एशिया और पश्चिमी देशों की नजर निश्चित नजर रहेगी. वैसे इस बजट में कटौती की संभावना तो बिलकुल नहीं है अलबत्ता कोई बड़ी घोषणा होना आश्चर्य की बात नहीं होगी. ब्रिक्स देशों की बैठक के पहले भारत का बजट अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए दिलचस्पी का विषय रहेगा.

कहा जा रहा है कि प्रणव मुखर्जी 2012 के बजट में आयकर छूट की सीमा तीन लाख कर दी जा सकती है. और निवेश पर भी कर छूट बढ़ाई जा सकती है. वहीं होम लोन पर ब्याज भुगतान की सीमा तीन लाख रुपये तक पहुंच सकती है. बैंकिंग विधेयक, खाद्य विधेयक जैसे सुधार के फैसले ठंडे बस्ते में जाने के कयास भी हैं.

सोने की तिजोरी

भारत में अगर सबसे गोपनीय कोई सार्वजनिक चीज है तो बजट है. बजट भाषण में कही गई बातें या बजट में पेश किए जा रहे प्रस्तावों को बेहद गोपनीय माना जाता है और उन्हें ठीक उसी तरह ढका छिपाकर, संभालकर रखा जाता है जैसे हर आदमी अपने घर में सोने को रखता है. दिल्ली का नॉर्थ ब्लॉक यानी वित्त मंत्री का दफ्तर सरकार के लिए तिजोरी की तरह है और बजट आने से कुछ दिन पहले से तो इस तिजोरी की सुरक्षा इतनी कड़ी कर दी जाती है कि परिंदा भी वहां पर नहीं मार सकता.

बजट की सुरक्षा के लिए सरकार कितनी सचेत रहती है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2006 से भारत की जासूसी एजेंसी आईबी के एजेंट की इसकी निगरानी करते हैं. वे लोग दफ्तर के, बजट के लिए काम कर रहे लोगों के घरों और मोबाइल फोनों को टैप करते हैं. बजट तैयार करने में लगभग एक दर्जन लोग काम करते हैं और वे लोग कहां जा रहे हैं, किससे मिल रहे हैं, क्या कर रहे हैं, हर बात पर आईबी की नजर रहती है. भारत के वित्त सचिव तक की निगरानी की जाती है. बजट से पहले वित्त सचिव को जेड क्लास सिक्योरिटी उपलब्ध कराई जाती है और आईबी नजर रखती है कि उनके आसपास क्या हो रहा है.

Indien Finanzminister Pranab Mukherjee
सबसे गोपनीयतस्वीर: AP

छपाई से पहले और बाद
इलेक्ट्रॉनिक युग में मुश्किलें बढ़ गई हैं क्योंकि अब हर काम कंप्यूटर से होता है. इसलिए कई बार तो बजट से पहले वित्त मंत्रालय से ईमेल भेजने तक की सुविधा भी छीन ली जाती है. बजट तैयार हो जाने के बाद उसे छपाई के लिए जाना होता है. यह बात सार्वजनिक नहीं की जाती कि बजट भाषण की छपाई कब होती है. माना जाता है कि बजट पेश होने से एक या दो दिन पहले ही छपाई के लिए इसे प्रेस में भेजा जाता है. लेकिन यह कोई सामान्य सरकारी प्रेस नहीं है.

केंद्रीय बजट की छपाई विशेष प्रेस में होती है जो नॉर्थ ब्लॉक यानी सबसे सुरक्षित जगह पर मौजूद है. बेसमेंट में बनाई गई यह विशेष प्रेस आधुनिक है. जहां सारी सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं.
बजट के छपाई के लिए जाने से लेकर बजट भाषण पढ़े जाने तक इसे तैयार करने वाले अधिकारी लगभग कैद में रहते हैं. उनके लिए बाहर से ही खाना जाता है और शायद तब तक वे किसी से बात भी नहीं करते.

कई मंत्रालयों का काम

लेकिन बजट तैयार करना सिर्फ वित्त मंत्रालय का काम नहीं है. इसके लिए कम से कम पांच और मंत्रालयों के अधिकारी और अलग अलग क्षेत्र के विशेषज्ञ वित्त मंत्रालय के अधिकारियों की मदद करते हैं. मसलन कानून के जानकार पूरे बजट को पढ़ते हैं और बताते हैं कि कहीं एक भी शब्द संविधान के बाहर तो नहीं है. यह काम कानून मंत्रालय का होता है. इसीलिए वित्त मंत्री जब बजट भाषण पढ़ने संसद में जाते हैं तो अपना गहरे भूरे रंग का ब्रीफकेस फोटोग्राफरों को दिखाते हैं. उस ब्रीफकेस की अहमियत यही है कि उसके अंदर देश का सबसे गोपनीय दस्तावेज बंद होता है.

इतनी गोपनीयता क्यों

भारत में कई सालों से यह बहस चल रही है कि बजट के लिए जिस तरह की गोपनीयता बरती जाती है वह फिजूल है और उससे बाजार में सिर्फ डर पैदा होता है. जब प्रशासन में पारदर्शिता की बात की जा रही है तो इस तरह की गोपनीयता बरतना अंतर्विरोध है. ऐसा इसलिए भी है कि कई देशों में बजट ऐसा गोपनीय मुद्दा नहीं है जैसा भारत में है. मसलन अमेरिका में तो राष्ट्रपति लोगों का समर्थन जुटाने के लिए अक्सर सार्वजनिक रूप से बताते हैं कि वह बजट में क्या करना चाहते हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम

संपादनः ए जमाल

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