कैसी है एड्स से बचाने वाली गोली
एक सितंबर 2019 से जर्मनी में 16 साल से ऊपर का कोई भी व्यक्ति एचआईवी के संक्रमण से बचाने वाली गोली ले सकता है. यह उन लोगों के लिए खासी मददगार होगी जिन्हें संक्रमण का भारी खतरा है.
कैसे काम करती है दवा
एचआईवी के साथ जी रहे कई लोगों को पता ही नहीं होता कि उन्हें संक्रमण है. इसके कारण उनके आसपास के लोगों में भी अनजाने में संक्रमित होने का खतरा कहीं ज्यादा बढ़ जाता है. अगर ऐसे लोग प्री-एक्पोजर प्रोफिलेक्सिस (PrEP) गोलियां लें तो संक्रमण से बच सकते हैं. गर्भनिरोधक गोलियों की तरह इसे रोज खाना होता है.
प्रभावी है गोली
गर्भनिरोधक गोलियों की ही तरह इतना असर भी इस बात पर निर्भर करता है कि इसे कितने नियमित तौर पर लिया जा रहा है. शत प्रतिशत नियमित होने पर ही संक्रमण से बचने की शत प्रतिशत गारंटी होती है. खासकर महिलाओं को तो ये रोजाना लेना ही चाहिए. समलैंगिक पुरुषों में भी यह बहुत असरदार पाई गई है.
बिल्कुल सुरक्षित है
प्री-एक्पोजर प्रोफिलेक्सिस (PrEP) गोलियां लोगों के लिए उतनी ही सुरक्षित हैं जितनी एस्पिरिन की गोली. इसके साइड इफेक्ट भी उतने ही कम हैं जैसे किसी आम पेनकिलर गोली के होते हैं. 2017 में दक्षिण अफ्रीका में की गई एक स्टडी से पता चला कि यौन रूप से सक्रय किशोर-किशोरियों में भी यह काफी सुरक्षित रही.
ज्यादा लोगों तक नहीं पहुंची
जागरुकता की कमी के कारण इतनी असरदार दवा अब तक ज्यादा लोगों तक नहीं पहुंच पाई है. कई देशों में स्वास्थ्य के क्षेत्र में पर्याप्त खर्च नहीं होता और महंगी होने के कारण ये लोगों की पहुंच से दूर ही रह जाती है. कई स्वास्थ्यकर्मी भी दुर्भावना से ग्रस्त होने के कारण इसके बारे में लोगों को नहीं बताते.
दूसरे यौन संक्रामक रोगों के लिए नहीं
ये गोलियां लेने वाले दूसरे यौन रोगों से सुरक्षित नहीं हो जाते. उसके लिए उन्हें यौन संबंधों के दौरान कंडोम का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि हर्पीज, गोनोरिया (तस्वीर में), क्लेमाइडिया और सिफलिस जैसी बीमारियों से बचा जा सके. (सैम बेकर/आरपी)