कैंसर को मारने के नए तरीके
जानलेवा बीमारियों में शामिल कैंसर के इलाज के लिए नई नई कोशिशें होती रहती हैं. रिसर्चरों ने इस बार मरीज के इम्यून सिस्टम में कुछ बदलाव लाकर कैंसर को नष्ट करने की कोशिश की है. लेकिन इसके खतरनाक नतीजे भी हो सकते हैं.
ऑक्सीजन पिलाओ
कैंसर के ट्यूमर को अगर ऑक्सीजन ना मिले तो उसका आकार कम हो जाता है. स्विट्जरलैंड के कैंसर वैज्ञानिक ज्यूरिख के उनीवर्सिटेट्स स्पिटाल में इसका उल्टा करने की कोशिश कर रहे हैं. चूहे के ट्यूमर को आईटीपीपी अणु से नॉर्मलाइज करने के बाद उसमें ऑक्सीजन भरा गया, इससे कीमोथेरेपी और रेडिएशन का असर बहुत ज्यादा बढ़ गया.
नींबू से रूका फैलाव
इस अनोखे प्रयास में लिवर कैंसर के फैलाव को रोकने के लिए नींबू का इस्तेमाल किया गया. बोखुम की रूअर यूनिवर्सिटी में फलों में पाए जाने वाले टेरपीन नाम के कंपाउंड का इस्तेमाल कैंसर की कोशिकाओॆं को खोलने के लिए हुआ. इनके खुलने से कैल्शियम का स्तर बढ़ गया और कैंसर की कोशिकाओं का फैलाव कम हो गया.
असीम संभावनाओं वाली इम्यूनोथेरेपी
इम्यूनोथेरेपी से शरीर के पूरे प्रतिरोधी तंत्र को कैंसर की कोशिकाओं पर हमला करने के लिए बल मिलता है. इसमें समस्या ये है कि प्राकृतिक रूप से हमारा इम्यून सिस्टम करीब 99.9 प्रतिशत कैंसर वाले प्रोटीनों को सुरक्षित समझता है. रिसर्चरों को ऐसा रास्ता निकालना होगा जिससे इन प्रोटीनों पर लक्ष्य किया जा सके. लेकिन, ऐसा एक सीमा में ही होना चाहिए ताकि ऑटो-इम्यून प्रतिक्रियाएं ना होने लगें.
म्यूटेटेड प्रोटीन
वैक्सीन: हाइडेलबर्ग की ब्रेन क्लिनिक के प्रोफेसर डॉ मिषाएल प्लाटेन कहते हैं, "हमारा मकसद इम्यून सिस्टम को सक्रिय बनाना है जिससे वह म्यूटेटेड (ब्रेन ट्यूमर) प्रोटीनों को खास तौर पर पहचान सके." प्लाटेन की टी-सेल स्टडीज में चूहों के मस्तिष्क में ट्यूमर को कम या खत्म करने में कामयाबी मिली है. इंसान और चूहों के इम्यून सिस्टम में काफी समानता होती है. अब उनकी टीम 39 इंसानी मरीजों पर इसे परखने वाली है.
एंटीबॉडीज
इम्यूनथेरेपी का ही एक और टूल है - एंटीबॉडी. ट्यूबिंगन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ हेल्मुट सालिह की टीम ने एंटीबॉडीज का सात मरीजों पर इस्तेमाल किया. आमतौर पर एंटीबॉडी शरीर की अच्छी कोशिकाओं को ब्लॉक करने का काम करते हैं जिससे कैंसर कोशिकाएं उनको संक्रमित ना कर पाएं. शुरुआत में इससे कैंसर कोशिकाएं गायब होती दिखीं, लेकिन जल्द ही उनकी वापसी हो गई.
फ्रांस से पोस्टकार्ड
ये पोस्टकार्ड अलग ही दिखता है. इसमें डॉ सालिह के एक 59-वर्षीय फ्रांसीसी मरीज के शरीर में ब्लड कैंसर की निशानी, ल्यूकीमिया कोशिकाओं का कम होता दिखता ग्राफ है. पोस्टकार्ड उस मरीज की पत्नी भेजती रहती हैं, जिन पर डॉक्टर सालिह अपनी थेरेपी आजमा रहे हैं. फिलहाल मरीज पर ट्रायल रूका हुआ है क्योंकि आगे बढ़ने के लिए ट्यूबिंगन की टीम को नियामकों की मंजूरी का इंतजार है.
फूलगोभी जितना बड़ा ट्यूमर गायब
27 साल के जॉर्जियोस अपने गले के लिंफ नोड्स में सूजन की शिकायत लेकर डॉक्टर के पास गए थे. इसे किसी फ्लू का असर सोच रहे जॉर्जियोस को तब पता चला कि वह फेफड़ों के कैंसर के चौथे चरण की निशानी है. उन पर तुरंत फेज-वन ट्रायल शुरु हुए. आज वे कैंसर मुक्त हैं और फूलगोभी जितना बड़ा उनका ट्यूमर जा चुका है. उन पर आजमाई गई इम्यूनोथेरेपी को अभी गुप्त रखा गया है क्योंकि इसमें एक दवा कंपनी का भी साथ था.
कैंसर मरीजों के लिए उम्मीदें
आमतौर पर इम्यूनोथेरेपी के ऐसे प्रायोगिक तरीके कैंसर मरीजों में आखिरी उपाय के तौर पर आजमाए जाते हैं. सभी परंपरागत तरीकों के बार बार फेल हो जाने पर ही नई दवाएं और तरीके टेस्ट किए जाते हैं. इन नए तरीकों पर काम कर रहे रिसर्चरों से जुड़ने के लिए आप भी जर्मनी की "कैंसर सूचना सेवा" या क्रेब्सइंफोर्मात्सियोन्सडीन्स्ट से संपर्क कर सकते हैं.