1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

किंगफ़िशर और जेट में समझौता

१४ अक्टूबर २००८

भारत की दो सबसे बड़ी विमान कंपनियों ने वित्तीय संकट से मिल कर मुक़ाबला करने का फ़ैसला किया है. जेट एयरवेज़ और किंगफ़िशर एयरलाइन्स कई क्षेत्रों में मिल कर काम करने का फ़ैसला किया. इससे दोनों कंपनियां का घाटा कम होगा.

https://p.dw.com/p/FYh8
विमान कपंनियों में समझौतातस्वीर: AP

दुनिया भर में छाई वित्तीय मंदी ने भारत के दो प्रतियोगितों में दोस्ती करा दी है. दो सबसे बड़ी विमान सेवा कंपनियों जेट एयरवेज़ और किंगफ़िशर एयरलाइन्स ने हाथ मिला लिया है. उन्होंने एलान किया कि वे अपने नेटवर्क का साझा इस्तेमाल करेंगे और विमान सेवा क्षेत्र में आई गिरावट का मिल कर सामना करेंगे. पिछले कुछ दिनों में हवाई ईंधन की क़ीमत बहुत बढ़ी है और पूरी विमान सेवा घाटे में चल रही है. किसी भी कंपनी को फ़ायदा नहीं हो रहा है.

सोमवार देर शाम किंगफ़िशर प्रमुख विजय माल्या और जेट एयरवेज़ के नरेश गोयल ने एक साथ आकर इस बात की जानकारी दी और साफ़ किया कि समझौते में शेयरों पर कोई बात नहीं हुई है. माल्या ने इसे दिल और दिमाग़ का मिलन बताया.

समझौते के तहत अब दोनों विमान कंपनियां ग्राउंड स्टाफ़ और एयरपोर्ट पर एक ही व्यवस्था से काम चला सकेंगी, जिससे ख़ासी बचत होगी. भारतीय विमान बाज़ार में 60 फ़ीसदी की हिस्सेदारी रखने वाली जेट और किंगफ़िशर ने सात क्षेत्रों में सहयोग का फ़ैसला किया है, जिसमें रूट और कोड शेयरिंग भी शामिल है. हालांकि दोनों कंपनियों के ब्रांड यानी अपने अपने नाम बने रहेंगे. सोमवार को माल्या और गोयल की दो मुलाक़ात हुई, जिसमें यह फ़ैसला हुआ. हालांकि उनके इस फ़ैसले से सस्ती उड़ान भरने वाली हवाई कंपनियों पर असर पड़ सकता है.

जेट और किंगफ़िशर के मिलन से इन्हें कुछ राहत मिलेगी. दोनों ही हर रोज़ क़रीब 10-10 करोड़ रुपये का घाटा उठा रहे हैं. लेकिन इससे भारत में सस्ती हवाई सेवा की संभावना को गहरा झटका लग सकता है. जेट पहले सहारा एयरलाइन्स को ख़रीदा चुका है, जबकि किंगफ़िशर डेक्कन एयरलाइन्स को. प्रतियोगिता से दो कंपनियां पहले ही बाहर हो गई हैं. अब सरकारी कंपनी इंडियन को छोड़ दिया जाए तो भारतीय बाज़ार पर जेट और किंगफ़िशर का एकाधिकार होगा और ये दोनों ही सस्ती उड़ानों के ख़िलाफ़ हैं. यानी हवाई सफ़र करने वाले आम मुसाफ़िर की जेब और ढीली हो सकती है.