कार्निवाल का मौसम
कार्निवाल मनाने वाले इलाकों में चार नहीं पांच मौसम माने जाते हैं. चार मौसम तो आम हैं लेकिन पांचवा होता है मौज मस्ती और मसखरों का मौसम. रोज मंडे को जर्मनी के कोलोन, डुसेलडॉर्फ और माइंस जैसे शहरों में झांकियां निकलती हैं.
कार्निवाल का चरम
कार्निवाल के मौसम का अंत राइनलैंड के इलाके में पार्टियों के शिखर के साथ होता है. जर्मनी में इसे कहीं कार्निवाल तो कहीं फाशिंग की रात कहा जाता है. फरवरी में गुरुवार से बुधवार तक के जश्न के बाद कैथोलिक गिरजे में उपवास का महीना शुरू होता है.
नारी शक्ति
कार्निवाल के अंतिम चरण की शुरुआत गुरुवार को वाइबरफास्टनाख्ट से होती है जब परंपरा के अनुसार महिलाएं नगर प्रशासन को अपने हाथों में ले लेती हैं. आने वाले एक हफ्ते के लिए सत्ता के कब्जे के प्रतीक के रूप में महिलाएं पुरुषों की टाई काट लेती हैं.
पांचवा मौसम
कार्निवाल के मौसम की शुरुआत 11 नवंबर को 11 बजकर 11 मिनट पर होती है. पांचवे मौसम की शुरुआत कार्निवाल के गढ़ कोलोन में बड़े जश्न के साथ मनाई जाती है. औपचारिक शुरुआत के लिए हजारों लोग विभिन्न वेशभूषा में सड़कों पर उतर आते हैं.
सड़कों पर मस्ती
कार्निवाल की शुरुआत राइनलैंड के इलाके में सर्दियों की शुरुआत का भी समय है. फिर से वसंत आने और खेती का काम शुरू होने से पहले लोगों का मुख्य काम जश्न मनाना होता है. राइन नदी के किनारे बसे निवासी कार्निवाल के मौसम की शुरुआत का जश्न मनाते हैं.
हेलाऊ नया साल
कार्निवाल का अभिवादन कहीं अलाफ है तो कहीं हेलाऊ. कुछ स्थानों पर कार्निवाल की परेड के साथ नए साल का स्वागत भी किया जाता है. माइंस में कार्निवाल परेड परंपरागत त्यौहार के अलावा नए साल का जश्न मनाने के लिए भी आयोजित की जाती है.
मोएनेनफेराइन
कोलोन के मुइलहाइन में कार्निवाल में भाग लेने वाली तीन पीढ़ियों से तीन महिलाएं. मुइलहाइम का मोएनेनफेराइन 800 महिलाओं का प्रसिद्ध संगठन है. कार्निवाल के हर जश्न में इस संगठन की महिलाएं अपनी रंग बिरंगी पोशाकों के साथ मौजूद होती हैं.
श्टुंकजित्सुंग
कार्निवाल के दौरान होने वाले प्रुंकजित्सुंग कहे जाने वाले आयोजनों की तर्ज पर होने वाले वैकल्पिक गोष्ठियों को श्टुंकजित्सुंग कहा जाता है. यह व्यवस्था के खिलाफ आम लोगों के विद्रोह का प्रतीक है. वैकल्पिक कार्निवाल आयोजनों की शुरुआत पहली बार कोलोन में 1984 में हुई.
सरकारी कार्निवाल
पहले जर्मनी की राजधानी कार्निवाल के इलाके में बॉन में थी. जब राजधानी बॉन से बर्लिन गई तो आबादी बहुल राइनलैंड के सांसदों के अलावा बहुत से अधिकारी भी बर्लिन चले गए. अब वे चांसलर को शामिल कर बर्लिन को नया गढ़ बनाने में लगे हैं. लेकिन यह आसान नहीं.
कार्निवाल की ड्रेस
आधुनिक काल में कोलोन में कार्निवाल परेड की शुरुआत प्रशिया के कब्जे के दौरान उच्चवर्ग के खिलाफ मसखरी के साथ शुरू हुई जो परेड में पहने जाने वाले ड्रेस में भी दिखती है. दक्षिण जर्मनी में कार्निवाल की परेड के दौरान लोग मध्यकालीन ड्रेस पहनते हैं, जिनमें यह घंटिय़ों वाली पोशाक भी शामिल है.
मुखौटे की अहमियत
हर इलाके में कार्निवाल के दौरान अलग तरह की पोशाक पहने जाने की परंपरा है. किसी किसी इलाके में मुखौटा भी कार्निवाल के दौरान पहने जाने वाले पोशाक में शामिल होता है. तर्क यह होता है कि मुखौटे के पीछे इंसान अपनी पहचान छुपाकर बिना किसी चिंता के मस्ती मसखरी कर सकता है.
गुलाबी सोमवार
सोमवार का दिन कार्निवाल के आखिरी दिनों से सबसे महत्वपूर् होता है. इस दिन कार्निवाल संघों की बड़ी परेड निकलती है. कोलोन का कार्निवाल दुनिया के सबसे बड़े और रंग बिरंगे कार्निवाल के रूप में जाना जात है. परेड की झांकियों में में मौज मस्ती के अलावा राजनीतिक व्यंग्य भी दिखता है,.
बुत्स्शेन की परंपरा
कार्निवाल के दौरान अक्सर बुत्स्शेन शब्द सुना जाता है जो विदेशियों को अजीब भी लगता है. होंठ हल्के सिकोड़ कर दिया गया चुंबन बुत्स्शेन कहलाता है और कोलोन की कार्निवाल परंपरा का हिस्सा है. इसे अपने, परायों और अधिकारियों सबके प्रति खुशी का इजहार माना जाता है और लोग इसका बुरा नहीं मानते.
पुलिस सुरक्षा
दूसरे सालों से अलग इस साल कार्निवाल भारी पुलिस सुरक्षा में मनाया जा रहा है. नए साल की रात कोलोन और दूसरे शहरों में महिलाओं के साथ बड़े पैमाने पर हुई बदतमीजी, यौन दुर्व्यवहार और चोरी की घटनाओं के बाद प्रशासन अत्यंत सतर्क है कि ऐसी कोई घटना फिर से न हो.