कश्मीर मुद्दा नहीं, आतंक प्रायोजित करने से है तनाव
३ जून २०१६भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा है कि पाकिस्तान को जम्मू कश्मीर के कुछ हिस्से पर अपने अवैध कब्जे को हटाना चाहिए और भारत के आंतरिक मसलों में दखलअंदाजी नहीं करनी चाहिए. इसके अलावा उन्होंने कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीकरण करने पर जोर ना देने की बात कही. यह बातें उन्होंने कश्मीर मुद्दे के ग्लोबल आयाम पर चर्चा के लिए इस्लामाबाद में कॉन्फ्रेंस आयोजित किए जाने के सवाल पर कहीं.
एक दिन पहले ही पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने बयान दिया था कि भारत वार्ता से "भाग रहा" है. इस पर स्वरूप ने कहा, "हमारे यहां अशांति और अस्थिरता की सबसे बड़ी वजह बाहर से प्रायोजित आतंकवाद और पाकिस्तान का बार बार भारत के अंदरुनी मामलों में दखल देना है."
राष्ट्रपति हुसैन ने कहा था कि पठानकोट आतंकी हमले के मामले में संयुक्त जांच कराने के पाकिस्तान के प्रस्ताव देने के बावजूद भारत बात नहीं करना चाहता. हुसैन ने कश्मीर मुद्दे को "बंटवारे से चला आ रहा अधूरा काम" बताया और इसे क्षेत्रीय तनाव का मुख्य कारण बताया.
वहीं पाकिस्तानी अखबार डॉन ने भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी, एनआईए के प्रमुख शरद कुमार के हवाले से खबर छापी है कि पठानकोट वायु सेना बेस पर हुए हमले में पाकिस्तानी सरकार का किसी भी तरह से हाथ होने के कोई सबूत नहीं मिले हैं. हालांकि उन्होंने जैश ए मोहम्मद और उसके सरगना मसूद अजहर और उसके भाई राउफ अजहर के खिलाफ पर्याप्त सबूत मिलने की बात कही. एनआईए इनके खिलाफ चार्जशीट दायर करने की तैयारी में है.
पाकिस्तानी राष्ट्रपति ने कहा कि पाकिस्तान एक शांतिप्रिय देश है और अपनी सभी देशों से साथ दोस्ती और भाईचारे पर आधारित विदेश नीति अपनाना चाहता है. उन्होंने भरोसा जताया कि पाकिस्तान में लोकतंत्र मजबूत हुआ है और अब वे कई तरह की समस्याओं से निपटने में सक्षम हैं.
इसी के साथ उन्होंने चीन के साथ पाकिस्तान की साझेदारी को अपने राष्ट्रीय आर्थिक विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण बताया और किसी भी कीमत पर चीन के साथ अपने कई अरब डॉलर वाले चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर को पूरा करने का इरादा जताया.