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कराची में शांति लाने के लिए सेना तैयारः कियानी

२१ अगस्त २०११

पाकिस्तान की सेना राजनीतिक और जातीय हिंसा में जल रहे कराची में शांति बहाल करने के लिए तैयार है, अगर सरकार उससे ऐसा करने के लिए कहे तो. सेना प्रमुख अशफाक कियानी ने एक पाकिस्तानी अखबार को दिए इंटरव्यू में यह बात कही है.

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तस्वीर: AP

राजनीतिक पार्टियों और कारोबारी समूहों की तरफ से लगातार यह मांग की जा रही है कि कराची के हालात पर काबू करने के लिए सेना कदम बढ़ाए. कराची की हिंसा में इस साल अब तक कम से कम 900 लोग मारे गए हैं. इनमें से एक तिहाई की हत्या तो केवल जुलाई में हुई है.

Pakistan Karatschi Gewalt
तस्वीर: dapd

पाकिस्तानी अखबार में छपी इस खबर में कहा गया है कि कियानी ने पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर और कारोबारी राजधानी में सुरक्षा की स्थिति पर गहरी चिंता जताई है. कियानी ने कहा है कि अगर सरकार उनसे कहे तो सेना कराची की स्थिति संभालने के लिए तैयार है.

पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल अशफाक कियानी ने कहा है कि अगर पुलिस और अर्धसैनिक बलों को ठीक से तैनात किया जाए तो अशांति पर काबू पाया जा सकता है. अखबार में छपे बयान में सेना प्रमख ने कहा है," कराची देश के अव्यवस्था की धुरी है और यह बहुत बड़ा अन्याय होगा अगर शहर में कानून व्यवस्था की स्थिति को ज्यादा दिन तक नीचे जाने दिया जाता रहा जाए."

विश्लेषकों का कहना है कि सेना पहले से ही तालिबानी आतंकवाद और दूसरे इस्लामी आतंकवादियों से जूझ रही है. ऐसे में वह कराची पर ध्यान नहीं दे पाएगी. लेकिन अब कम से कम सेना के कानों तक यह बात पहुंच तो गई है. पाकिस्तान बनने के बाद पिछले 64 सालों में आधे से ज्यादा समय देश पर सेना का ही शासन रहा है. यहां सेना को सबसे काबिल संस्थान माना जाता है. यहां के नागरिक सरकारों पर लगातार भ्रष्ट और अक्षम होने के आरोप लगते रहे हैं और अब देश में उनकी ऐसी ही छवि बन गई है.

Unruhen in Karachi Pakistan
तस्वीर: picture alliance/landov

हिंसा का इतिहास पुराना

कराची में हिंसा का इतिहास पुराना है. यहां जातीय, धार्मिक और संप्रदायों के बीच के विवाद आए दिन जंग का रूप ले लेते हैं. फिर पूरा इलाका इस आग में जल उठता है. इस हिंसा और अशांति को फैलाने का आरोप हथियारबंद गुटों पर लगता है. इन गुटों का यहां की एक दूसरे की विरोधी तीन राजनीतिक पार्टियों से रिश्ता है. ये हैं सत्ताधारी पाकिस्तान पपुल्स पार्टी, कराची में प्रभावशाली मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट और पश्तूनों की अवामी नेशनल पार्टी. गलियों में घूमने वाले लफंगों और जातीय गुटों को राजनीतिक पार्टियां इस जंग की बिसात पर अपने प्यादों की तरह इस्तेमाल करती हैं. ये तीनों पार्टियां हिंसा में शामिल होने से सीधे सीधे इनकार करती हैं पर सब जानते हैं कि यह उनके बीच कराची पर वर्चस्व की लड़ाई का ही नतीजा है.

Unruhen in Karachi
तस्वीर: dapd

कराची पाकिस्तान को होने वाली टैक्स की कमाई का दो तिहाई हिस्सा जुटाता है. यह शहर समुद्री तट से लगता है और यहां विशाल बंदरगाहों के अलावा स्टॉक एक्सचेंज और देश का सेंट्रल बैंक भी है. शनिवार को कराची के बड़े कारोबारियों ने हिंसा रोकने के लिए सेना से आगे आने को कहा. 1990 में सेना ने कराची में एक ऑपरेशन चलाया था. हालांकि यह ऑपरेशन प्रमुख रूप से एमक्यूएम के खिलाफ था. तब उस पर हिंसा भड़काने के आरोप लगे थे.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः वी कुमार

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