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करज़ई काबुल में आइसैफ़ मुख्यालय गए

१० अप्रैल २०१०

पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान के डोमांडा ज़िले में एक भारतीय निर्माण कंपनी पर हमला हुआ है. तो बढ़ती हिंसा के बीच अफ़ग़ान राष्ट्रपति हामिद करज़ई ने क़ाबुल में नैटो मुख्यालय जाकर नैटो कमांडर स्टैनली मैकक्रिस्टल से मुलाकात की है.

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तस्वीर: AP

अधिकारियों के मुताबिक संदिग्ध तालिबान हमलावरों ने पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान में एक भारतीय निर्माण कंपनी पर भी हमला किया है. शनिवार सुबह संदिग्ध तालिबान हमलावरों ने डोमांडा ज़िले में एक भारतीय निर्माण कंपनी पर हमला किया. अफ़ग़ानी गृह मंत्रालय के मुताबिक कई गाड़ियों में आग लग गई लेकिन कोई घायल नहीं हुआ है. मंत्रालय के बयान के मुताबिक अफ़ग़ान सुरक्षा बलों के आने के बाद हमलावर वहां से भाग निकले.

उत्तरी कुंदूज़ प्रांत में एक महिला की मौत हो गई और दो लड़कियां घायल हो गईं जब तालिबान चरमपंथियों का एक रॉकेट उनके घर पर गिरा. ज़िला प्रमुख अब्दुल वहीद ओमरखेल ने कहा कि इस इलाक़े में अफ़ग़ान और अमेरिकी सैन्य कार्रवाई के बाद तालिबान के हमले बढ़ गए हैं. पिछले शुक्रवार को तालिबान हमले में तीन जर्मन सैनिक मारे गए थे और आठ सैनिक घायल हो गए थे.

General Stanley Mc Chrystal
जनरल मैकक्रिस्टेलतस्वीर: picture-alliance/dpa

इस बीच अफ़ग़ानी राष्ट्रपति हामिद करज़ई ने केंद्रीय क़ाबुल में अंतरराष्ट्रीय सेना आईसैफ के मुख्यालय का दौरा किया. करज़ई ने टॉप नैटो कमांडर स्टैनली मैकक्रिस्टल से मुलाकात की और कुंदूज़ प्रांत की सुरक्षा की स्थिति और वहां हो रही लड़ाई का जायज़ा लिया. माना जा रहा है कि इस दौरे के ज़रिए करज़ई अमेरिकी और पश्चिमी देशों की सरकारों से संबंधों को सुधारना चाहते हैं. करज़ई के दफ्तर ने एक बयान जारी किया जिसमें कहा गया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के मुताबिक अमेरिका अफ़ग़ानिस्तान का रणनीतिक साझेदार बना रहेगा और वे उम्मीद करते हैं कि दोनों देश साझे मकसदों की ओर मिल कर काम करेंगे.

पिछले हफ्ते राष्ट्रपति करज़ई के बयानों से पश्चिमी देशों और अफ़ग़ानिस्तान के बीच अनबन हो गई थी. करज़ई ने पश्चिमी देशों के अधिकारियों पर अफ़ग़ानिस्तान में चुनावों में धांधली करने का आरोप लगाया. व्हाईट हाउस ने इस आरोप को खारिज करते हुए इसे 'तक़लीफ़देह' और 'असत्य' कहा. पिछले दस दिनों के बयानों में करज़ई ने कहा कि साझेदारी और कब्ज़ा करने में फ़र्क बहुत ही कम है और अफ़ग़ान नागरिकों को इसका एहसास होने की ज़रूरत है कि उनकी सरकार किसी और देश की 'कठपुतली' नहीं है.

अमेरिका और अफ़ग़ानिस्तान के बीच यह विवाद एक ऐसे वक़्त पर आया है जब अंतरराष्ट्रीय सेना कंधार में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई की योजना बना रही है. अधिकारी चाहते हैं कि इस कार्रवाई में करज़ई सामने रहें ताकि अफ़ग़ान प्रतिष्ठानों की ताकत को तालिबान के सामने ज़ाहिर किया जा सके. करज़ई के बयान से अफ़ग़ानिस्तान कार्रवाई को लेकर अमेरिकी नागरिकों की असहमति औऱ भी बढ़ सकती है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एम गोपालकृष्णन

संपादन: महेश झा