कबाड़ या विरासत
वे पुरानी हो जाती हैं, पेंट उतर जाता है, उन्हें चलाया नहीं जा सकता. ऐसी ही सुंदर लेकिन पुरानी हो चुकी कारों की प्रदर्शनी जर्मनी के कासेल शहर में चल रही है.
विन्टर विनटेज
पुरानी हो चुकी कारें सामान्य तौर पर फेंक दी जाती हैं. लेकिन कासेल में इन कारों को प्रदर्शनी के लिए रख दिया जाता है. प्रदर्शनी का नाम है, श्लाफेंडे ऑटोमोबिले, यानी सोई हुई कारें. कई साल से इन्हें किसी ने नहीं छुआ.
ऐसी भी दीवानगी
प्रदर्शनी में दिखाई जा रही 40 कारें श्लुम्प्फ कलेक्शन की हैं. हांस और फ्रिट्ज श्लुम्प्फ कारों के दीवाने थे. फ्रांस के मुलहाउस के कपड़ा व्यापारी इससे इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने श्लुम्प्फ को पैसे दिए. लेकिन डेलाआया टाइप 87 जैसी कई कारें खरीदने के कारण 1976 में वह दीवालिया हो गए.
फ्रांसीसी कार संग्रहालय से
दीवालिया होने के बाद कारखाने के कर्मचारियों ने इमारत कब्जे में ले ली और उन्हें कारें मिली. उनमें इतना ज्यादा गुस्सा था कि वह 1927 में बनी मिनर्वा को जला देना चाहते थे. लेकिन कर्मचारी संघ ने इन्हें किसी तरह बचाया. श्लुम्प्फ भाई स्विट्जरलैंड चले गए. सरकार ने इमारत कब्जे में ली. यहां आज फ्रांस का राष्ट्रीय कार संग्रहालय है.
सोई हुई खूबसूरती
आयोजक प्रदर्शनी के जरिए, सोई हुई खूबसूरती के साथ कैसे पेश आना है, इस पर बहस शुरू करना चाहते हैं. इसलिए उन्होंने पुरानी अल्फा रोमियो के साथ रिपेयर की हुई अल्फा रोमियो भी रखी है. जर्मनी के यातायात मंत्री पेटर रामसाउअर ने कहा, "कार ये सवाल उठाती हैं कि क्या वे विरासत हैं या कलाकृति हैं या फिर अटाला."
संग्रहालय में
अभी तक दुनिया के सामने मुलहाउस की 40 कारें नहीं आ पाई थीं. उन्हें फ्रांसीसी कार संग्रहालय में दिखाने के लिए नहीं रखा गया था. हाइंज जॉर्डन और डीटरिष क्राह्न ने इन्हें देखा. कुछ कारों को 80 साल से किसी नहीं छुआ था.
दुर्लभ कारें
सिल्बेरप्फाइल नाम की रेस कार के मर्सीडीज ने सिर्फ 14 मॉडल बनाए थे. इनमें से एक को श्लुम्प्फ भाइयों ने 1966 में खरीद लिया था. यह कार न्यूरेम्बर्ग रेसिंग ट्रैक पर 1939 में आठवें नंबर पर आई थी और राइम्स में पहले.
बहुत कुछ संभला हुआ
हालांकि कई कारों को सालों साल किसी ने हाथ नहीं लगाया लेकिन फिर भी कार की विशेषताएं बरकरार हैं. जैसे की 1925 की बैलट टाइप 2 एलटीएस का यह प्रतीक चिह्न.
प्रदर्शनी मदद से
31 जुलाई 2013 तक श्लाफेंडे ऑटोमोबिले कासेल में देखा जा सकता है. इस प्रदर्शनी का कारण कासेल की स्थापना के 100 साल पूरे होना है. फ्रांस का मुलहाउस सहयोगी शहर है.