ए राजा पांच दिन की हिरासत में
३ फ़रवरी २०११राजा के वकील एसएस गांधी ने रिपोर्टरों को बताया कि राजा और उनके दो पूर्व सहयोगियों को पांच दिनों की हिरासत में भेजे जाने का आदेश दिया गया. राजा 176 अरब रुपये के टेलीकॉम घोटाले के प्रमुख आरोपी हैं.
गांधी ने कहा, "सीबीआई ने हिरासत के लिए अपनी अर्जी देते हुए अदालत से कहा है कि पूछताछ के दौरान राजा ने सकारात्मक रवैया नहीं अपनाया. इसलिए जांच के लिए उन्हें और वक्त की जरूरत है."
पिछले साल महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट में कहा गया कि 2008 के 2जी आवंटन में करीब 176 अरब रुपये का घोटाला हुआ है. इसके बाद इस मामले के तार सीधे उस वक्त के टेलीकॉम मंत्री ए राजा की तरफ मुड़े. भारी दबाव के बीच उन्हें नवंबर,2010 में पद से इस्तीफा देना पड़ा.
हालांकि राजा का कहना है कि उन्होंने कोई भी गैरकानूनी हरकत नहीं की है और 2जी में सिर्फ उन्हीं कंपनियों को लाइसेंस दिया गया, जो उसकी हकदार थीं. उनकी पार्टी डीएमके भी उनके साथ खड़ी हैं. राजा दलित समाज से ताल्लुक रखते हैं. डीएमके का कहना है कि विपक्षी पार्टियां राजा को फंसाने की कोशिश कर रही हैं. पार्टी प्रवक्ता टीकेएस एलानगोवान का कहना है, "राजा की गिरफ्तारी से यह साबित नहीं होता है कि वह दोषी हैं."
डीएमके ने उन रिपोर्टों का भी खंडन किया कि राजा ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. उनका कहना है कि डीएमके के अंदर राजा अपने पद पर बने हुए हैं.
भारत में यूपीए सरकार हाल के दिनों में विशाल घोटालों के साए से गुजरी है. इसमें टेलीकॉम घोटाले के अलावा कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला और मुंबई का आदर्श नगर घोटाला शामिल है. टेलीकॉम घोटाले की वजह से संसद का शीतकालीन सत्र एक भी दिन नहीं चल पाया. विपक्षी पार्टियां इसकी जांच के लिए एक संयुक्त संसदीय दल की मांग कर रही थीं, जबकि केंद्र सरकार का कहना है कि सीबीआई तो इसकी जांच कर ही रही है.
रिपोर्टः डीपीए/ए जमाल
संपादनः ईशा भाटिया