एसएमएस भेजने वाली गाय
२३ जनवरी २०१४वह जल्दी से गोशाला पहुंचते हैं. उनकी प्रिय गाय गर्भधारण की अंतिम अवस्था में है. वह मदद करते हैं. बच्चे का जन्म मुश्किल से होता है. जर्मन प्रांत लोवर सेक्सनी में गोशाला चलाने वाले वेस्ट्रुप अगर देर करते, तो बछड़े की जान भी जा सकती थी. वह कहते हैं, "अगर इस भावना के साथ जीना पड़े कि मेरी वजह से बछड़ा बच नहीं पाया, तो बहुत मुश्किल होगी. यह अच्छी बात है कि हमारे पास ऐसा सिस्टम है, जिससे हमें पता चल जाता है. मेरी दिक्कत दूर हो गई है."
वेस्ट्रुप ने अपनी गायों को सेंसर पहना रखा है, जो उनकी असामान्य हलचल को नोट करता है और इसके संकेत एक मोबाइल के जरिए गाय मालिकों तक पहुंचाता है. जर्मनी में आम तौर पर आठ प्रतिशत बछड़े जिंदा पैदा नहीं हो पाते, लेकिन उनके गोशाला में यह सिर्फ चार प्रतिशत है. सेंसर हफ्ते भर पहले बता देता है कि बछड़े का जन्म कब हो सकता है, ताकि तैयारी रखी जा सके.
गर्दन में सेंसर
सिर्फ पैदाइश नहीं, बल्कि दूध देने के वक्त के बारे में भी उन्हें एसएमएस से पता चल जाता है. उनकी हाइटेक गोशाला में गायों की गर्दन में जो सेंसर बंधे हैं, वे फ्रांस की मेद्रिया कंपनी को संदेश भेजते हैं. फिर जर्मन टेलीकॉम इन संदेशों को एसएमएस का रूप बना कर वापस वेस्ट्रुप के पास भेजता है. उनका कहना है, "चलने फिरने और हिलने के तरीके से पता किया जा सकता है कि क्या उसने ऐसा कुछ किया है जो वह आम तौर पर नहीं करती. मसलन किसी दूसरे पशु पर सर रखना या दूसरे पशु पर कूदना. ऐसी गतिविधियों से कंप्यूटर को पता चल जाता है कि गाय कामुकता दिखा रही है और इसकी सूचना मुझे सेलफोन पर मिल जाती है."
लेकिन गोशाला में यह सॉफ्टवेयर लगाना महंगा पड़ता है और 100 से ज्यादा पशु होने पर ही यह फायदेमंद साबित होता है. उलरिष के पास 600 गायें हैं. सेंसर तकनीक पर पिछले साल उन्होंने 20,000 यूरो का निवेश किया है. लेकिन अब इसका फायदा मिलने लगा है.
रिपोर्ट: होल्गर चेचाक/अनवर अशरफ
संपादन: ईशा भाटिया