हेरोइन का कारोबार बढ़ने की चेतावनी
४ मार्च २०१४संयुक्त राष्ट्र की ड्रग्स और अपराध शाखा यूएनओडीसी के क्षेत्रीय प्रतिनिधि जेरेमी डगलस ने कहा, "तेजी से बढ़ रहे आपसी क्षेत्रीय सहयोग से अंतरराष्ट्रीय ड्रग तस्करी को काफी फायदा हो सकता है." संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के मुताबिक पिछले साल यहां 1.5 अरब मेथाम्फीटामीन टैबलेट और नौ सौ टन अफीम का उत्पादन हुआ. ज्यादातर उत्पादन म्यांमार में हुआ.
म्यांमार है गढ़
मेथाम्फीटामीन और हेरोइन के उत्पादन का प्रमुख गढ़ म्यांमार है. म्यांमार का उत्तर पूर्वी प्रांत शान सरकार का नियंत्रण नहीं के बराबर है. इन दवाओं को बनाने के लिए देश आयात किए जाने वाले रसायनों पर निर्भर है. जैसे हेरोइन को बनाने के लिए एसीटिक एन्हाइड्राइड और मेथाम्फीटामीन्स को बनाने के लिए एफेड्रीन और सूडोएफेड्रीन नाम के रसायन की जरूरत होती है. यूएनओडीसी ने चेतावनी दी है कि व्यापार में मिलने वाली ढील से इन रसायनों के आयात में आसानी हो सकती है.
आर्थिक समझौता
अगले साल से लागू हो रही पूर्वी एशियाई देशों के संघ (आसियान) की आर्थिक समिति की स्कीम से क्षेत्रीय देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा मिलेगा. आसियान आर्थिक समिति के सदस्य ब्रूनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाइलैंड और वियतनाम हैं. समिति का मकसद देशों के बीच व्यापारिक सहयोग को बढ़ावा देना है.
इलाके में ड्रग संबंधित समस्याओं पर दो रिपोर्टें जारी करते हुए डगलस ने कहा, "हम न सिर्फ मेटाम्फीटामीन्स और हेरोइन के उत्पादन में बढ़ोतरी देख रहे हैं बल्कि व्यापारिक अवरोधों को कम होते हुए भी देख रहे हैं."
भारत से दवाएं
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार 2012 में यहां से मेथाम्फीटामीन्स की 22.7 करोड़ गोलियां जब्त की गई थीं. और लगभग इतनी ही गोलियां पिछले साल पकड़ी गईं. हालांकि इनको बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले रसायन कम पकड़े गए.
डगलस ने बताया कि म्यांमार में भारी मात्रा में दवाएं पूर्वी भारत से आ रही हैं. जुकाम जैसे मर्ज की वैध दवाओं में सूडोएफेड्रीन जैसे रसायनिक मिश्रण होते हैं जिन्हें दवाओं से अलग किया जा सकता है. इसकी मदद से मेथाम्फीटामीन्स बनाए जा सकते हैं. म्यांमार ने पिछले दो सालों में विदेशी निवेश के लिए दरवाजे खोले हैं. आसियान आर्थिक समिति की नई स्कीम के तहत इसके विदेशी व्यापार में और इजाफे की उम्मीद है.
एसएफ/एएम (डीपीए)