एरियेन 5 रॉकेट से अंतरिक्ष का सफर
२५ सितम्बर २०१४लॉन्चपैड के विषुवत रेखा के पास होने से रॉकेट आसानी से गुरुत्वाकर्षण को पार करके पृथ्वी की कक्षा तक पहुंच जाता है. इससे ईंधन की खपत भी कम होती है.
अंतरिक्ष में सैटेलाइट ले जाने के लिए एरियेन 5 रॉकेट के अलग अलग मॉडलों का इस्तेमाल होता है. एक मॉडल ऐसा है जो एक साथ दो सैटेलाइट या भारी भरकम मशीनें लेकर उड़ान भर सकता है. एटीवी यानि ऑटोमेटड ट्रांसपोर्ट वेहिकल के लिए एक अलग मॉडल बनाया गया है. 21 टन वाला एटीवी अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन आईएसएस तक सामान पहुंचाता है. अमेरिकी स्पेस शटलों की सर्विस बंद होने के बाद एटीवी और रूस के प्रोग्रेस की मदद से सामान अंतरिक्ष तक पहुंचाया जा रहा है.
चुनौती से सामना
जर्मन शहर ब्रेमेन में कोशिश की जा रही है कि एटीवी वापसी में धरती तक सामान भी लाए. स्पेस स्टेशन में कूड़ा एक समस्या बना हुआ है. इसके लिए एटीवी को एक ऐसा कवच चाहिए जो उसे धरती के वायुमंडल में दाखिल होते समय पैदा होने वाली गर्मी से बचाए. विशेषज्ञों को इसमें चार पांच साल लगेंगे. तकनीक का खाका तैयार है. 1990 के दशक में एआरडी यानि एटमोस्फियरिक री एंट्री डेमोंस्ट्रेटर को टेस्ट किया गया.
एरियेन 5 और एटीवी ऐसे बनाए गए हैं ताकि वह इंसान को भी अंतरिक्ष ले जा सकें. लेकिन तकनीक को पूरी तरह विकसित करने में अभी वक्त लगेगा. वैज्ञानिकों की कोशिश है कि बेहतर तकनीक की मदद से इंसान को अंतरिक्ष के अनछुए कोने तक पहुंचाया जाए.
रिपोर्ट: कोरनेलिया बोरमन/एमजी
संपादन: ईशा भाटिया