एनडीटीवी पर बैन के खिलाफ सुनवाई टली
८ नवम्बर २०१६जहां कई लोग इसे सरकार का यूटर्न बता रहे हैं, वहीं कुछ इसे समझदारी वाला फैसला कह रहे हैं. पिछले दिनों सरकार ने एनडीटीवी इंडिया पर पठानकोट हमले के दौरान 'संवेदनशील जानकारी' प्रसारित करने का आरोप लगाते हुए उसे एक दिन के लिए प्रसारण रोकने का आदेश दिया था. एनडीटीवी ने इन आरोपों से इनकार किया है.
ये भी पढ़िए: "एनडीटीवी तो हमेशा के लिए बैन होना चाहिए"
एनडीटीवी टीवी को बैन करने के सरकार के फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया हुई. मीडिया की नहीं, विपक्ष ने भी इसे अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला बताया. सोमवार को चैनल के अधिकारियों से मुलाकात के बाद वेंकैया नायडू ने प्रतिबंध की समीक्षा का फैसला आने तक बैन पर रोक लगाने की बात कही.
एनडीटीवी की वेबसाइट के अनुसार बैन पर रोक का फैसला सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर सुनवाई के लिए याचिका स्वीकार किए जाने के बाद आया है. एनडीटीवी ने बैन को गैरकानूनी और असंवैधानिक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
कहां कितना आजाद है मीडिया, देखिए
ये भी पढ़िए: एनडीटीवी पर बैन, ये कैसी सजा किसको सजा
बैन पर भले ही रोक हट गई, लेकिन ये मुद्दा भारत में लगातार सोशल मीडिया पर छाया है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे लोगों की जीत बताया है और एनडीटीवी को बधाई दी है.
वहीं जाने माने पत्रकार शेखर गुप्ता ने कहा, देर आए दुरुस्त आए. उन्होंने कहा कि ये उन लोगों के लिए सोच विचार करने का समय है जो बुनियादी आजादी पर पाबंदी लगा रहे थे.
वहीं एनडीटीवी के प्रमुख प्रणॉय रॉय ने बैन के खिलाफ मीडिया की एकजुटता के लिए शुक्रिया अदा किया है.
इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने बैन के खिलाफ याचिका पर सुनवाई 5 दिसंबर तक टाल दी है. अदालत का कहना है कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय पहले ही बैन पर रोक लगा चुका है, ऐसे में तत्काल सुनवाई की जरूरत नहीं है.