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एक साथ, एक जैसे चार बच्चे

२६ जनवरी २०१२

जर्मनी में एक महिला ने चार बच्चियों को जन्म दिया है जो बिलकुल एक जैसे हैं. डॉक्टरों का कहना है कि ऐसा एक करोड़ में एक बार ही होता है. जर्मनी के लाइपजिग शहर के डॉक्टर इसे चमत्कार का नाम दे रहे हैं.

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तस्वीर: MAK/Fotolia

इन बच्चों का जन्म 6 जनवरी को हुआ और यह जन्म निर्धारित समय से दस हफ्ते पहले था. डॉक्टर कहते हैं कि बच्चों को अभी अस्पताल में ही रखा गया है लेकिन खतरे की कोई बात नहीं है. जन्म के समय सभी बच्चों को वजन करीब एक किलो था. आम तौर पर एक स्वस्थ नवजात शिशु का वजन ढाई से चार किलो के बीच होना चाहिए. अस्पताल के डॉक्टर हॉल्गर श्टेफान का कहना है कि मां की उम्र 31 साल है और वह तंदुरुस्त हैं.

यह चारों बच्चियां एक जैसी हैं और डॉक्टरों के लिए भी उनकी अलग अलग पहचान करना मुश्किल साबित हो रहा है. अधिकतर ऐसे मामले आईवीएफ यानी 'टेस्ट ट्यूब बेबी' के साथ देखे जाते हैं. डॉक्टर श्टेफान बताते हैं, "ऐसा बहुत ही कम होता है कि एक साथ चार बच्चे जन्म लें और वे स्वस्थ भी रहे." वह इस बात से भी हैरान हैं कि गर्भावस्था में मां को किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा, "यह एक करिश्मा है कि उन्हें 28वें हफ्ते तक किसी भी तरह की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ा."

Neonatologische Station der Uniklinik Leipzig Geburt Vierlinge
तस्वीर: picture-alliance/dpa

म्युन्स्टर विश्वविद्यालय की क्लिनिक के डॉक्टर वॉल्टर क्लॉकेनबुश का भी यही कहना है, "प्रकृति अधिकतर ऐसे जन्म नहीं होने देती." क्लॉकेनबुश बताते हैं कि उन्होंने अपने बीस साल के तजुर्बे में दो या तीन बार ही चार बच्चों का एक साथ जन्म होते देखा है, लेकिन उनमें से कोई भी हमशक्ल यानी आइडेंटिकल नहीं थे.

लाइपजिग में आखिरी बार एक साथ चार बच्चों को जन्म 1976 में हुआ लेकिन यह एक जैसे नहीं थे. लाइपजिग के मेयर ने जच्चा बच्चा को शुभ कामनाएं दी हैं. अगले कुछ दिनों में वे परिवार से भेंट कर उन्हें पांच सौ यूरो यानी करीब 30,000 रुपये का उपहार देंगे. लाइपजिग यूनिवर्सिटी क्लिनिक ने भी अगले कुछ सालों तक बच्चों के नैपी का खर्चा उठाने का वादा किया है.

ऐसा भी कहा जा रहा है कि शायद यह जर्मनी का पहला इस तरह का मामला है. इस तरह के मामलों पर नजर रखने वाली जर्मन संस्था एबीसी क्लब का कहना है कि उनके पास मौजूदा रिकॉर्ड में इस तरह का जन्म कभी नहीं देखा गया.

रिपोर्ट: डीपीए / ईशा भाटिया

संपादन: एम गोपालकृष्णन

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