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एक फिल्म में सबकी कहानी

३० जुलाई २०११

इस हफ्ते रिलीज हुई फिल्म लाइफ इन अ डे ज्यादा चर्चा में नहीं रही है. इसको लेकर हंगामा भी खड़ा नहीं हुआ. लेकिन हो सकता है कि यह अब तक की सबसे ज्यादा अजीब फिल्मों में शामिल की जाए.

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तस्वीर: AP

एक साल पहले 24 जुलाई 2010 को हॉलीवुड के निर्माता निर्देशक रिडले स्कॉट के कहने पर हजारों लोगों ने अपनी जिंदगी का एक दिन रिकॉर्ड करके यूट्यूब पर डाल दिया. इन सारी क्लिपिंग्स को फिल्मकारों के कुछ समूहों को भेजा गया. उनसे इन क्लिपिंग्स को एडिट करके एक पूरी फिल्म तैयार करने को कहा गया. इस तरह तैयार हुई फिल्म लाइफ इन अ डे.

इस फिल्म को सबसे पहले सनडांस फिल्म फेस्टिवल में दिखाया गया था. शुक्रवार यह अमेरिका में रिलीज हुई. और शुरुआती टिप्पणियों से लग रहा है कि लोग इसे काफी पंसद कर रहे हैं.

Kevin MacDonald
तस्वीर: AP

विचार से पर्दे तक

फिल्मकार खुद कहते हैं कि लाइफ इन अ डे सिर्फ एक विचार था जिसे प्रयोग के तौर पर शुरू किया गया. लेकिन डायरेक्टर केविन मैकडॉनल्ड और एडिटर जो वॉल्टन ने 192 देशों से मिलीं 4500 विडियो में से काट छांट कर एक फिल्म तैयार कर दी.

मैकडॉनल्ड अपनी डॉक्युमेंट्री वन डे इन सेप्टेंबर के लिए ऑस्कर जीत चुके हैं. द लास्ट किंग ऑफ स्कॉटलैंड जैसी फिल्म भी उनके खाते में दर्ज है. लेकिन लाइफ इन अ डे को वह एक प्रयोगधर्मी फिल्म ही मानते हैं. वह कहते हैं, "यह ऐसा कुछ है जो पहले कभी नहीं बनाया गया. यह कुछ अनूठा है. और इसकी खास बात है कि एक एक्सपेरिमेंटल फिल्म भी पूरी दुनिया के दर्शकों को हंसाने और रुलाने का माद्दा रखती है."

Screenshot YouTube Sierov und Schmidt Weimar Bahnhof

आलोचक भी मैकडॉनल्ड की बात से काफी हद तक सहमत नजर आते हैं. फिल्म रिव्यू वेबसाइट रॉटनटोमेटोज डॉट कॉम पर इसे 82 फीसदी की रेटिंग मिली है. जनवरी में जब फिल्म सनडांस में दिखाई गई तो वहां भी उसने खूब भीड़ खींची थी.

यू ट्यूब जेनरेशन

इस फिल्म की सारी योजना यूट्यूब और फिल्म निर्माता लीजा मार्शल ने बनाई थी. उसे अंजाम तक पहुंचाया फिल्मकारों के एक समूह ने जिसका नेतृत्व मैकडॉनल्ड के हाथों में था. उन्हें कुल 80 हजार घंटों की विडियो रिकॉर्डिंग मिली थी जिसमें से उन्होंने 90 मिनट की फिल्म तैयार की है.

फिल्म के लिए विडियो रिकॉर्डिंग भेजने वालों में ऐसे नौजवान फिल्मकार भी शामिल हैं जो अपने लिए मौके तलाश रहे हैं. लेकिन ज्यादातर रिकॉर्डिंग ऐसे लोगों और परिवारों ने भेजी जिनके पास कहने के लिए एक कहानी थी. मसलन कोरिया का एक आदमी साइकल पर दुनिया की सैर करने निकला है. एक जापानी आदमी है जो अकेला अपने बच्चे को पाल रहा है और उसने अपने बेटे के बारे में विडियो भेजा. शिकागो के एक परिवार ने कैंसर से अपनी लड़ाई की विडियो भेजी. भारत का एक माली है जो दुबई में काम करता है, उसने अपनी कहानी भेजी. पेरू में जूते पॉलिश करने वाला एक लड़का इस विडियो में नजर आया.

मैकडॉनल्ड कहते हैं, "इन सारी कहानियों को एक बात सार्थक बना देती है कि सारी दुनिया के लोगों में कुछ न कुछ साझा है. यानी आप फिल्म में जो कुछ देखते हैं वह असल में वही है जो हम सब अपनी जिंदगी में रोज जीते हैं...प्यार, बच्चे, दिल का टूटना, मौत. हर वह चीज जो लोगों के लिए जरूरी होती है."

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः एन रंजन

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