उम्मीद लिए सरबजीत के रिश्तेदार पाकिस्तान रवाना
२३ अप्रैल २००८सरबजीत को 1990 में लाहौर में हुए बम धमाकों के सिलसिले में मौत की सजा सुनाई गई है। फिलहाल वह लाहौर की कोटलखपत जेल में बंद हैं।
18 साल बाद मिलन
सरबजीत सिंह बुधवार को अपने रिश्तेदारों से मिल पाएंगे। पूरे 18 सालों बाद उनके सामने होंगी उनकी बहन दलबीर कौर, पत्नी और वो दो बेटियां भी, जो होश संभालने के बाद अपने बाप से मिली ही नहीं हैं। सरबजीत पर आरोप है कि वह लाहौर में 1990 में हुए बम धमाकों में शामिल थे, और इसी सिलसिले में उन्हें मौत की सजा सुनाई गई है। जबकि सरबजीत के घरवाले कहते हैं कि वह बेकसूर हैं।
बहन को पूरी उम्मीद
भारत सरकार पहले ही पाकिस्तान से अपील कर चुकी है कि वह सरबजीत के साथ दया दिखाए। इसके अलावा बहुत से राजनेता और धार्मिक नेता भी ऐसी अपील कर चुके हैं जिनमें दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम भी शामिल हैं। हालांकि पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ सरबजीत की दया की अपील पहले ही खारिज कर चुके हैं। लेकिन पाकिस्तान के पूर्व मानवाधिकार मंत्री अजीज बर्नी की पहल पर हाल ही में भारतीय नागरिक कश्मीर सिंह की रिहाई के बाद सरबजीत की बहन दलबीर कौर को भी उम्मीद बंधी है, जो भाई की रिहाई के लिए दिन रात एक किए हुए हैं। दलबीर कौर को पूरी उम्मीद है कि भाई सरबीत को माफी मिल जाएगी।