ईशनिंदा मामले में मौत की सजा
७ अप्रैल २०१४पाकिस्तान में पंजाब प्रांत के टोबा टेक सिंह जिले में अदालत ने न्यायाधीश मियां आमिर हबीब ने दंपति को मौत की सजा सुनाई. दोषी दंपति शफकत एमानुएल और शगुफ्ता कौसर के वकील नदीम हसन ने फैसले की पुष्टि की है. टोबा टेक सिंह की तहसील गोजरा के रहने वाले इस दंपति के तीन बच्चे हैं. हसन के अनुसार गोजरा ईसाइयों के खिलाफ हिंसा के मामलों के लिए पहले से जाना जाता रहा है. दोनों ने अपने ऊपर लगे आरोप से इनकार किया है और कहा है कि वे फैसले के खिलाफ अपील करेंगे. गोजरा की एक स्थानीय मस्जिद के मौलवी मुहम्मद हुसैन ने पिछले साल 21 जुलाई को दंपति के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी. इसमें कहा गया था कि दंपति ने उन्हें ऐसा टेक्स्ट मेसेज भेजा जिसमें पैगंबर मुहम्मद का अपमान किया गया था. उनके मुताबिक उन्हें संदेश पति ने पत्नी के सेल फोन से भेजा था.
आपसी बदले के मामले
बचाव पक्ष के वकील हसन का कहना है कि जब यह संदेश भेजा गया, उसके कुछ समय पहले से यह फोन गुम गया था. उनके मुताबिक फोन खो जाने की स्थिति में दंपति के संदेश भेजने का सवाल ही नहीं उठता. हसन ने बताया कि दंपति ने यह शक जताया था कि आपसी बदला लेने के लिए उन्हें जानबूझ कर ईशनिंदा के मामले में फंसाया गया है.
पाकिस्तान में इस्लाम के खिलाफ आपत्तिजनक कदम उठाने के मामले में सख्त कानून हैं. मानव अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि कई बार आपसी झगड़ों में इन बातों का फायदा उठाया जाता है.
साल 2009 में गोजरा में ही कुरान का अनादर करने की खबरें आने पर गुस्से से भड़की भीड़ ने 77 घर जला दिए थे. इस घटना में कम से कम सात लोग मारे गए थे. इस साल मार्च में एक अन्य ईसाई व्यक्ति को लाहौर के पूर्वी शहर में मौत की सजा सुनाई गई. उस पर आरोप है कि मुसलमान दोस्त के साथ बातचीत में उसने पैगंबर मुहम्मद का अपमान किया. पाकिस्तान की लगभग 97 फीसदी आबादी मुसलमान है.
एसएफ/एएम (एएफपी)