इराक में अपराध स्पेन में मुकदमा
५ जनवरी २०११27 दिसंबर को सुनाया गया फैसला पांच दिन की अपील की अवधि पूरी होने के बाद प्रभावी हो गया है. राष्ट्रीय अदालत के जज फर्नांडो आंद्रेउ ने इराक के दियाला प्रांत के पुलिस प्रमुख मेजर जनरल अब्दुल हुसैन अल शेमारी को 8 मार्च को कोर्ट में पेश होने को कहा है.
जज आंद्रेउ का यह फैसला स्पेन के वैश्विक न्यायक्षेत्र वाले सिद्धांत के तहत आया है जो मानवाधिकार वाले अपराधों के लिए उस देश के बाहर भी मुकदमा चलाने की अनुमति देता है जहां अपराध हुए हैं. स्पेन में 2005 से यह कानून लागू है लेकिन 2009 में स्पेन ने एक कानून पास किया जिसमें इस सिद्धांत को लागू करने को उन मामलों तक सीमित कर दिया जिनसे स्पेन का सीधा संबंध हो. चीन और इस्राएल जैसे देशों से संबंधित मामलों की जांच के कारण स्पेन के लिए कूटनीतिक सिर दर्द पैदा हो गया था.
लेकिन स्पेनी अदालतों के जज अभी भी उन मामलों में मुकदमा शुरू कर सकते हैं जिनमें उन अंतरराष्ट्रीय संधियों का हनन हुआ हो जिन पर स्पेन ने हस्ताक्षर किए हैं. आंद्रेउ का कहना है कि इस मामले में संदिग्ध अपराधों से 1949 की युद्ध क्षेत्र में असैनिक नागरिकों की सुरक्षा की जेनेवा संधि का हनन हुआ हो सकता है जिसपर स्पेन ने हस्ताक्षर किए हैं.
मृतकों के परिजनों के वकील खुआन गार्सेस ने कहा है, "यह पहली बार है कि एक इराकी अधिकारी को अंतरराष्ट्रीय कानून के गंभीर हनन के लिए अदालत में हाजिर होने को कहा गया है." मानवाधिकार वकीलों द्वारा दायर मुकदमे में शिकायत की गई है कि इराकी पुलिस और सैनिकों ने कैंप के निहत्थे निवासियों को पीटा और गोली मार दी ताकि उस जगह पर पुलिस स्टेशन बनाया जा सके.
अल शेमारी का कहना है कि छापे से उनका कोई लेना देना नहीं है. उनका कहना है कि कैंप में घुसने वाली टुकड़ी बगदाद से आई थी. उन्होंने कहा, "कैंप में घुसने के बाद उन्होंने दियाला पुलिस से कैंप में पुलिस स्टेशन बनाने को कहा और हमने यही किया."
जज आंद्रेउ ने कहा है कि जैसे ही इराकी अधिकारी कैंप में हुई मौतों की जांच शुरू करते हैं, मैं मुकदमे को बंद कर दूंगा. इराकी विदेश मंत्रालय ने स्पेनी अधिकारियों से कहा है कि उन्होंने मामले की कानूनी जांच कराई है, लेकिन आंद्रेउ ने उनके दावे को ठुकरा दिया है और कहा है कि इस बात के पर्याप्त सबूत नहीं है कि सही जांच की गई है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: वी कुमार