इतिहास में आज: 26 जून
२५ जून २०१४अमेरिकी डेंटल एसोसिएशन के अनुसार 1448 में ही पहली बार एक चीनी शासक ने सूअर के बालों और हड्डियों से एक ब्रश तैयार करवाया. चीन के मिंग वंश के राजा होंगझी ने ऐसा पहला मॉडल पेटेंट करवाया. यहीं से दांत साफ करने के लिए आधुनिक टूथब्रश की नींव पड़ी. बाद में यह डिजाइन यूरोप की ओर बढ़नी लगी. यूरोप में बड़ी मात्रा में ब्रश बनाने के लिए विलियम ऐडिस ने साइबेरिया और उत्तरी चीन से सूअर के बालों का आयात करने की शुरुआत की.
17वीं शताब्दी तक कई पश्चिमी देशों में भी दांतो को साफ करने के लिए टूथब्रश का चलन आम नहीं था. 19वीं सदी में जाकर जानवरों के बालों से बने ब्रश की जगह पर कृत्रिम रेशों का इस्तेमाल शुरू हुआ. 1938 में डुपॉन्ट नाम की अमेरिकी कंपनी ने ब्रश के लिए नायलॉन का इस्तेमाल किया. इस पहले नायलॉन ब्रश का नाम था डॉक्टर वेस्ट्स मिरैकल.
ब्रश के पहले भी दांत साफ करने के लिए दुनिया के कई हिस्सों में चबाने वाली लकड़ियों की टहनियों का इस्तेमाल होता था. भारतीय आयुर्वेदिक चिकित्सा में नीम और बरगद और मुसलमानों में अरक के पेड़ की टहनी को दांत साफ करने के लिए उपयोगी माना जाता था. इन सभी लकड़ियों में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं. आज इस मामले में तकनीक इतनी आगे बढ़ चुकी है कि ब्रश स्मार्टफोन से जोड़े जा रहे हैं. अब तो डॉक्टर भी कहते हैं कि बैटरी से चलने वाले ब्रश दांतों को बेहतर रूप से साफ कर पाते हैं. और तो और अब ब्लू टूथ से चलने वाले ब्रश भी आ गए हैं जिसमें स्मार्टफोन ऐप के जरिये यह दिखता है कि दांत सही तरह से साफ किया जा रहा है या नहीं.